नई दिल्ली:
पूर्व रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने भारत के इंफ्रास्ट्रक्चर में डेवलपमेंट के लिए लॉजिस्टिक्स में सुधार की बात कही है. सुरेश प्रभु ने ‘NDTV फ्यूचर समिट 2025’ में सोमवार को कहा, “जब आप इंफ्रास्ट्रक्चर की बात करते हैं, तो ये अपने आप में बहुत बड़ा टर्म है. इसमें रोड भी है और रेल भी. एविएशन भी है और पोर्ट्स भी. लॉजिस्टिक्स का मतलब इन सभी इंफ्रास्ट्रक्टर को आपस में लिंक करना है. आजकल हम मल्टी मॉडल ट्रांसपोर्ट की बात करते हैं. लेकिन भारत के सामने हमेशा से ही लॉजिस्टिक्स एक बड़ी समस्या रहा है.”
सुरेश प्रभु ने मोदी सरकार में रेल मंत्री (2014-17), वाणिज्य और उद्योग मंत्री (2017-19) और नागरिक उड्डयन मंत्री (2018-19) के रूप में काम किया है. प्रभु वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए समिट से जुड़े थे. उन्होंने कहा, “कार्गो हैंडलिंग में लॉजिस्टिक्स का कॉस्ट बहुत ज्यादा पड़ जाता है. लेकिन मैं इस मामले में प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार की सराहना करना चाहूंगा कि उन्होंने एक हब तैयार किया है. कॉमर्स मिनिस्टर रहते हुए मुझे लॉजिस्टिक्स को बढ़ाने और मजबूत करने की जिम्मेदारी मिली थी. हमने लॉजिस्टिक्स पर न सिर्फ पॉलिसी बनाई, बल्कि इन्हें कैसे लागू करना है, उसके लिए एक्शन प्लान भी बताया. इस पर अभी काम हो रहा है.”
मोदी सरकार और ट्रांसपोर्ट मंत्री नितिन गडकरी ने रोड कनेक्टिविटी और रेल कनेक्टिविटी को लेकर हाल के समय में काफी काम किए हैं. ऐसे में दिल्ली और मुंबई इकोनॉमिक कॉरीडोर के रूप में कैसे काम कर सकते हैं? इस सवाल के जवाब में सुरेश प्रभु कहते हैं, “दिल्ली इकोनॉमिक कॉरीडोर पहले से मौजूद है. हमने फ्रेट कॉरीडोर भी बनाए हैं. आज एक ही ट्रैक पर अलग-अलग समय में मालगाड़ी भी चलती है और पैसेंजर ट्रेनें भी. फ्रेट कॉरीडोर का हमें आगे चलकर बहुत फायदा मिलने वाला है. दिल्ली और मुंबई इकोनॉमिक कॉरीडोर को लेकर अगर सरकार भविष्य में कोई काम करें, तो जाहिर तौर पर इसका फायदा ही मिलेगा.”
सड़कों पर कारों के मैनजमेंट को लेकर पूछे गए सवाल पर प्रभु ने कहा, “हममे से किसी के पास एक कार होता है, किसी के पास एक भी नहीं होगा. शायद किसी के पास 3 से ज्यादा गाड़ियां हों. हमें ये समझने की जरूरत है कि शहर के लोगों का पॉल्यूशन से सांस लेना मुश्किल होता जा रहा है और लोग ज्यादा से ज्यादा गाड़ियों का कलेक्शन कर रहे हैं. इसके लिए एक मैकानिज्म बनाने की जरूरत है.”