एन. रघुरामन का कॉलम:  अपने बच्चों को सेहतमंद भोजन करना कैसे सिखाएं?
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एन. रघुरामन का कॉलम: अपने बच्चों को सेहतमंद भोजन करना कैसे सिखाएं?

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8 घंटे पहले

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एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु - Dainik Bhaskar

एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु

“क्या आप जानते हैं यह सलाद किसने बनाया है?’ जब मैं अपने मित्र के टैरेस-गार्डन में प्रवेश कर रहा था, तब मैंने उनकी पत्नी को यह कहते सुना। उन्होंने मुझे शाम के खाने के लिए आमंत्रित किया था। मैंने प्रवेश द्वार से ही ऊंची आवाज में पूछा- “किसने?’ वे पीछे मुड़ीं और एक बड़ी-सी मुस्कान के साथ मुझे आमंत्रित करते हुए कहा- “आइए, मेरी बात का विश्वास करने के लिए आपको यह खुद देखना होगा।

यह पूरा सलाद रोहन ने बनाया है।’ रोहन उनका चार साल का बेटा है। जब हम उस ऊंची मेज पर एकत्र हुए, जहां सलाद का कटोरा रखा था, तो उन्होंने बताया किस प्रकार रोहन ने सभी मेहमानों के लिए यह सलाद बनाने के लिए दो घंटे से अधिक समय तक मेहनत की थी।

मुझे तुरंत वह किताब याद आ गई, जिसका शीर्षक था, “सेहतमंद खाने वालों को हाई चेयर्स से हाई स्कूल तक कैसे बढ़ाएं?’ यहां हाई चेयर्स से आशय होटलों में भोजन के लिए उपलब्ध कराई जाने वाली लंबी कुर्सी से था।

किताब में कहा गया था कि बच्चों को रसोई की गतिविधियों में शामिल ​किया जाना चाहिए, जिससे न केवल उन्हें पौष्टिक भोजन के बारे में पता चलता है, बल्कि उनके कौशल, आत्मविश्वास और स्वायत्तता के विकास की जरूरत भी पूरी होती है।

मैं समझ गया वे यह बात क्यों कह रही थीं, जबकि उसके घर पर एक स्थायी रसोइया है। वे रोहन को अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड्स (यूपीएफ) से दूर रखना चाहती थीं। और इस लक्ष्य को अर्जित करने का सबसे आसान तरीका है- सराहना करना।

हम सभी छह आगंतुकों ने रोहन को बुलाया, उसे उस ऊंची मेज पर खड़ा किया, उसके हाथ में सलाद का कटोरा पकड़ाया और इस तरह उसका इंटरव्यू लिया, जैसा टीवी पर दिखाया जाता है। उसके माता-पिता ने अपने फोन पर वह इंटरव्यू रिकॉर्ड भी किया!

रोहन गर्व से मुस्करा रहा था। उसने ईमानदारी से बताया कि सलाद बनाने में मां ने भी मदद की थी। लेकिन उस रात की ब्रेकिंग न्यूज यह नहीं थी कि रोहन ने सलाद बनाया। ब्रेकिंग न्यूज यह थी कि रोहन ने खुद अपने हाथों से बनाया सलाद खाया।

रोहन की मां कितनी सही थीं। चूंकि वे नहीं चाहती थीं कि उनका बच्चा गर्म चूल्हे पर अपनी कुकिंग ​स्किल्स को आजमाए, इसलिए उन्होंने उसे एक अलग और मजेदार विकल्प दिया। टीमवर्क की मानसिकता बच्चों को उनके भोजन में अपरिचित चीजों को शामिल करने के लिए उत्साहित कर सकती है।

माता-पिता के लिए यह जरूरी है कि वे बच्चों को खानपान की तमाम चीजों से परिचित कराते समय इसे मजेदार भी बनाए रखें। किसी खाने-पीने की चीज की तैयारी में भाग लेने के लिए बच्चों को आमंत्रित करने से उनके उसे खाने की संभावना अधिक हो जाती है।

एक हालिया अध्ययन में पाया गया है कि उच्च मध्यम और धनी परिवारों में औसतन हर तीन साल का बच्चा अपनी कुल कैलोरी का लगभग आधा हिस्सा यानी 45% यूपीएफ से प्राप्त करता है, जिसमें ज्यादा सोडियम, शुगर और सेचुरेटेड फैट होता है। अध्ययन में चेतावनी दी गई है कि बचपन में यूपीएफ का अधिक सेवन बाद के सालों में मोटापे से जुड़ा है।

जो बच्चे पर्याप्त मात्रा में साबुत खाद्य पदार्थ नहीं खाते हैं, उनमें आयरन, विटामिन और खनिज की कमी का खतरा रहता है, जो विभिन्न प्रकार से उनके विकास में बाधा उत्पन्न कर सकता है। इसीलिए यह महत्वपूर्ण है कि माता-पिता दिखाएं कि वे संपूर्ण आहार- सब्जियों, फलों और अनाज का आनंद लेते हैं।

उनका दैनिक व्यवहार बच्चों पर भी प्रभाव डालता है। यह किताब पढ़ने की आदत से मिलता-जुलता है। यदि माता-पिता खुद किताबें पढ़ते हैं और टीवी नहीं चलाते, तो बच्चों के भी किताबें पढ़ने की संभावना अधिक होती है।

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