एन. रघुरामन का कॉलम:  अपने राज्य के बाहर नौकरी के लिए सबसे पहले केरल को आजमाएं!
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एन. रघुरामन का कॉलम: अपने राज्य के बाहर नौकरी के लिए सबसे पहले केरल को आजमाएं!

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6 घंटे पहले

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एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु - Dainik Bhaskar

एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु

क्यों? इसका दो शब्दों का जवाब है- अच्छे पैसे! हां। ताज्जुब हो रहा है कैसे? चलिए मैं आपको कुछ सुबूत दिए देता हूं! केरल वाकई मैनपावर बाहर भेजता है। केरल के लोगों के लिए भारत के बाहर काम करना गर्व का विषय होता है, बिल्कुल पंजाब की तरह।

अगर पंजाब के लोग कनाडा में बसना चाहते हैं, तो केरल के लोग खाड़ी देशों में कहीं भी काम करना चाहते हैं- इसका सबसे सामान्य कारण अच्छे पैसे व अच्छा जीवन है। इसलिए औसतन लगभग हर दूसरे घर का कोई न कोई व्यक्ति खाड़ी देशों में काम करता है।

यह अतिमहत्वाकांक्षा, बाहर गए लोगों द्वारा स्वदेश भेजे गए पैसे यानी रेमिटेंस के आंकड़ों में झलकती है, जो कि वे अपने नाते-रिश्तेदारों की सुख-सुविधा के लिए भेजते हैं, नतीजतन पैसों का अच्छा फ्लो रहता है। लेकिन इस हाई कैश फ्लो के साथ छोटी-सी दिक्कत है। पैसा कभी कंफर्ट नहीं देता।

पर ये कंफर्ट खरीद सकता है! और कंफर्ट खरीदने के लिए इसे तैयार करने की जरूरत है और उस कंफर्ट को तैयार करने के लिए ठीक-ठाक दर पर मैनपावर की जरूरत है। और केरल की यही बड़ी समस्या है! हां, चूंकि सारे युवा विदेश जाना चाहते हैं, ऐसे में स्थानीय नौकरियों में कोई रुचि नहीं दिखाता।

इस मांग-आपूर्ति के अंतर ने श्रम की लागत को बहुत बढ़ा दिया है। और तब ओडिशा के कंधमाल जिले में दरिंगबाड़ी के लोगों ने इस श्रम बाजार में अवसर देखा। कंधमाल वहां के सबसे पिछड़े जिलों में से एक माना जाता है।

ओडिशा में अनुसूचित जनजाति के रूप में अधिसूचित 62 जनजातियों में से 29 कंधमाल से हैं, जिसमें पिछले कुछ वर्षों में बहुआयामी गरीबों के अनुपात में महत्वपूर्ण गिरावट आई है। इसीलिए वो बाहर जाकर काम तलाश रहे हैं, जो ओडिशा से ज्यादा पैसा दे सकता है।

साल 2023 में दरिंगबाड़ी के प्रवासी श्रमिकों की अनुमानित संख्या 8,953 थी, जिनमें से लगभग 5,000 अनुसूचित जनजाति के थे। और पलायन करके आई ये आबादी रेमिटेंस के रूप में करोड़ों रुपए लाती है, जिससे इस पिछड़े क्षेत्र में अच्छा आर्थिक पुनरुत्थान दिख रहा है।

ऐसा इसलिए है क्योंकि ये दो ब्लॉक केरल में पलायन करने वाली आबादी का 60% हिस्सा हैं, जो अच्छा कमा रहे हैं, जैसा कि सेंटर फॉर माइग्रेशन एंड इन्क्लूसिव डेवलपमेंट (सीएमआईडी) द्वारा किए अध्ययन से पता चलता है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि केरल से भेजी गई रकम ज्यादा है क्योंकि मजदूरी ज्यादा है। इसमें कहा गया है कि इस रेमिटेंस ने प्रवासियों के परिवारों में गरीबी को कम करने, उन्हें ऋण चुकाने में मदद करने, अधिक बचत, अपने आवास और संपत्ति आधार में सुधार करने, बच्चों को बेहतर शिक्षा प्रदान करने और इलाके में उनकी स्थिति को बेहतर करने में योगदान दिया है।

सर्वेक्षणकर्ताओं ने पाया कि हर दस में से सात घरों में बच्चों की शिक्षा में सुधार हो रहा है, जबकि लगभग पांच में से दो ने बताया कि गांव में उनकी स्थिति में सुधार हुआ है। वहीं पांच में से तीन परिवारों ने बताया कि वे इस कमाई के साथ बेहतर खेती भी कर पा रहे हैं।

सीएमआईडी के कार्यकारी निदेशक बिनॉय पीटर ने रिपोर्ट जारी करते हुए मीडिया को बताया, “केरल के पसंदीदा गंतव्य होने के प्रमुख कारणों में से एक, यहां पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में सबसे अधिक मजदूरी मिलना है। साथ ही, पिछले अध्ययनों ने संकेत दिया है कि अन्य क्षेत्रों की तुलना में केरल में जातिगत भेदभाव नहीं है।

केरल में उन्हें प्रवासी के रूप में देखा जाता है, न कि आदिवासी या किसी विशेष जनजाति के रूप में जज किया जाता है। यह गरिमा उनके लिए मायने रखती है और सामाजिक अधिकार संपन्नता भी केरल को चुनने का एक कारण है।’ वे दिन गए जब फसल की बुवाई और कटाई के लिए मौसमी पलायन होता था, जो दरिंगबाड़ी से श्रमिकों के पलायन का प्रमुख रूप रहा है। आज यह माइग्रेशन आकांक्षाओं के रूप में ज्यादा है।

फंडा यह है कि यदि आप अपने राज्य के बाहर नौकरी की तलाश कर रहे हैं, और कहीं भी जाने के लिए तैयार हैं, तो उन राज्यों का प्रयास करें जो आपको अच्छा पैसा देते हैं और केरल वर्तमान में अच्छा भुगतान कर रहा है।

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