एन. रघुरामन का कॉलम:  क्या आप कुछ डेटिंग की आदतों के बारे में जानते हैं?
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एन. रघुरामन का कॉलम: क्या आप कुछ डेटिंग की आदतों के बारे में जानते हैं?

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6 घंटे पहले

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एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु - Dainik Bhaskar

एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु

शुुक्रवार रात वैलेंटाइन डे डिनर के बाद वीकेंड पर मैंने एक छात्र की तरह दो दिन की वर्कशॉप में हिस्सा लिया। टीचर मुनीष वर्मा ने ये कहते हुए हमें शपथ दिलाई, ‘इस कक्ष में जब भी कोई अपनी निजी कहानी बताएगा, वादा करें कि ये बात चारदीवारी से बाहर नहीं जाएगी।’

इससे वर्कशॉप के प्रतिभागी अपनी कहानियां बताने में निश्चिंत हो गए, यहां तक कि उन कहानियों को लेकर भी, जो उन्हें लंबे समय से परेशान कर रही थीं। ये बहुत अच्छी आदत थी, जिसे टीचर्स क्लासरूम में अपना सकते हैं।

ठीक तभी मेरे मोबाइल पर दैनिक भास्कर के रीडर का मेल आया, जिसमें लिखा था, ‘सही जीवनसाथी पहचानने का आपका फंडा शेयर करें?’ तब मेरे मन में विचार आया, जैसे ट्रेनिंग कोच अच्छी आदतों पर बात करते हैं, वैसे ही डेटिंग से जुड़ी आदतें होनी चाहिए।

इसके लिए मैंने कुछ डेटिंग कोच की मदद लेना शुरू की, विकसित देशों में इस पेशे में काफी कमाई है। मुझे अहसास हुआ कि पहली नजर में आपको जो कुछ नजर आता है, प्यार असल में उससे कहीं ज्यादा उम्मीद करता है! पर बदकिस्मती से हमारे देश में डेटिंग कोच की तुलना में ‘मैच मेकर’ ज्यादा हैं, जो कि डेटिंग से जुड़ी किसी भी नियम पुस्तिका की बात नहीं करते। और अब पेश हैं डेटिंग से जुड़े कुछ नियम।

आमतौर पर हमारे देश में प्रेम ऐसे शुरू होता है ‘…महफिल में कैसे कह दूं किसी से, दिल बंध रहा है किसी अजनबी से…’ ऐसा एकतरफा प्यार हमने फिल्मों में देखा है और ऐसे गीत इस भाव को व्यक्त करते हैं। शायद हम कुछ जोड़ों को जानते होंगे, जिन्होंने उस भीड़ भरे कमरे में एक-दूसरे को देखा होगा, जब हम वहां थे। यही वो नैरेटिव या केमिकल रिएक्शन है, जिसे अधिकांश लोग पार्टनर की तलाश में दोहराने की कोशिश करते हैं। डेटिंग कोच के अनुसार वास्तव में दोनों से कुछ शिष्टाचार की अपेक्षा की जाती है।

डेटिंग और कुछ नहीं, बस एक-दूसरे के बारे में जानकारी जुटाने का तरीका है, जब तक कि दोनों एक-दूसरे को लेकर कॉन्फिडेंट नहीं हो जाते। डेटिंग कोच कहते हैं कि दो लोगों के बीच की केमिस्ट्री हमेशा तुरत-फुरत वाली और बिना कोशिशों के नहीं होनी चाहिए।

एक-दूसरे में स्पार्क की राह देखने के बजाय दोनों में से कोई इन्हें खुद ही पैदा कर सकता है। कोच सलाह देते हैं कि डेटिंग के दौरान दोनों को अपने फोन देखने की इजाजत होनी चाहिए, लेकिन ‘जीरो’ बार। एक-दूसरे को देखते रहने के बजाय आपस में जुड़ने के लिए नाम से बुलाएं और सवाल-जवाब करें।

डेटिंग में सबसे ज्यादा जरूरी ये है कि आप एक-दूसरे को कितना अटेंशन दे रहे हैं। अगर आप तीसरी या चौथी बार डिनर पर मिल रहे हैं, तो कभी भी खर्चों को साझा न करें। एक ही व्यक्ति को पूरा बिल देने दें, फिर चाहे ये एक हजार हो या पांच हजार। भविष्य के रिश्ते के लिए ये निवेश है। बात बन रही है या नहीं, इसकी फिक्र न करें।

विशेषज्ञों की सलाह में से एक गंभीर सलाह ये है कि शुरुआती पांच डेटिंग मीटिंग में एक-दूसरे को हर्गिज न छुएं! इससे लोग एक-दूसरे से भावनात्मक रूप से जुड़ जाते हैं और ऐसे में कई लोग चेतावनियां, यहां तक कि बेसिक-सी असंगति को भी नजरअंदाज कर देते हैं। और अंतिम बात, डेटिंग की मीटिंग को एक अच्छे मोड़ पर समाप्त करें, फिर भले ही वह व्यक्ति आपके टाइप का न हो।

शायद आप किसी को उनसे बेहतर जानते हैं। उनका सम्मान करें क्योंकि उन्होंने अपना समय और ऊर्जा दी है। इसलिए ये पक्का करें कि उन्हें धन्यवाद दिया है और मीटिंग को शिष्टतापूर्ण बनाएं। हर डेट, भले ही वह आपके हिसाब के व्यक्ति के साथ न हुई हो, लेकिन इससे आपको अपने बारे में मूल्यवान जानकारी मिल सकती है जैसे कि आप कौन हैं और अपने साथी में क्या चाहते हैं। परिणाम के बजाय प्रक्रिया पर ध्यान देने की कोशिश करें, मुझे यकीन है कि आपको अच्छी रिलेशनशिप के साथ अच्छा पार्टनर मिल जाएगा।

फंडा यह है कि प्रेम एक ऐसा अनुभव है जिसे किसी न किसी तरीके से जीवन में होना चाहिए, लेकिन अच्छी डेटिंग हैबिट इसका दूसरा पहलू भी है।

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