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- N. Raghuraman’s Column One Person Should Travel Abroad, But Two People Should Have Visa!
7 घंटे पहले
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एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु
नीलम शिंदे (35) मूलरूप से, महाराष्ट्र के कोल्हापुर के पास, सतारा की कराड तहसील के एक गांव, वडगाव की रहने वाली हैं। उन्होंने सिंहगढ़ इंस्टिट्यूट, पुणे से कम्प्यूटर साइंस में बीई की डिग्री हासिल की और फिर नासा में एक साल की इंटर्नशिप पूरी की। फिर उन्होंने इंजीनियरिंग में एमएस की डिग्री पाने के लिए कैलिफोर्निया स्टेट यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया।
वहां उन्होंने कोर्स के चार साल पूरे कर लिए थे और अंतिम वर्ष में थीं। वे आखिरी बार फरवरी 2024 में भारत आई थीं, जब उनकी मां का निधन हुआ था। बीती 12 फरवरी को, घर की इकलौती संतान, नीलम ने अपने पिता को फोन किया था और पुण्यतिथि पर मां को याद करते हुए लंबी बात की थी। उन्हें अफसोस था कि वे मां के गुजरने के बाद जल्द घर नहीं आ पाईं क्योंकि उसी वक्त फाइनल सेमेस्टर की परीक्षाएं थीं।
नीलम 14 फरवरी को शाम 6 बजे, अपनी ई-साइकिल से (कुछ रिपोर्टों के मुताबिक पैदल), कैलिफोर्निया के सैक्रामेंटो इलाके में योग क्लास जा रही थीं कि तभी तेज रफ्तार गाड़ी ने टक्कर मारकर उन्हें 40 फीट ऊपर उछाल दिया।
उन्हें दोनों पैरों, बायें हाथ और खोपड़ी में गंभीर फ्रैक्चर हुए और सिर में चोट के कारण वे कोमा में चली गईं। स्थानीय पुलिस उन्हें यूसी डेविस मेडिकल सेंटर ले गई। परिवार को इस भीषण हादसे के बारे में 16 फरवरी को पता चला।
डॉक्टरों का मानना था कि अगर नीलम के पापा उनके साथ होंगे, तो वे जल्दी ठीक हो सकती हैं। साथ ही, उनके पिता जरूरी मेडिकल फैसले भी ले पाएंगे। लेकिन बैंक में चपरासी के पद से रिटायर हुए नीलम के पिता, तानाजी शिंदे (62) की विदेश जाने की कोई योजना नहीं थी। इसलिए उनके पास वीजा भी नहीं था।
परिवार, कराड उत्तर के पूर्व विधायक और मंत्री बालासाहेब पाटिल के पास पहुंचा, जिन्होंने बारामती की सांसद, सुप्रिया सुले से नीलम के पिता की परेशानी हल करने की गुज़ारिश की। सांसद सुप्रिया ने मामला विदेश मंत्रालय पहुंचाया और वीजा की प्रक्रिया में मदद मांगी।
जब से मामला प्रकाश में आया है, परिवार के पास मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का फ़ोन पहुंचा है और उपमुख्यमंत्री अजित पवार तथा एकनाथ शिंदे ने भी मदद की पेशकश की है। तानाजी का वीजा इंटरव्यू शुक्रवार को था, उम्मीद है वे इसमें शामिल हुए होंगे। वहीं यूनिवर्सिटी के शिक्षकों और छात्रों ने कैलिफोर्निया का टिकट खरीदने में मदद की।
तानाजी खुशकिस्मत हैं कि उन्हें राज्य और केंद्र सरकार से ही नहीं, कैलिफोर्निया के छात्रों से भी मदद मिली। इस मामले मेंं सबक यह है कि जिनके बच्चे विदेश में रहते हैं, उनके लिए ऐन वक्त पर वीजा के लिए भागदौड़ करने से बेहतर है कि परिवार का एक सदस्य पहले से ही वीजा ले ले, ताकि वह इमरजेंसी की स्थिति में यात्रा कर सके।
यह स्थिति हादसे से लेकर मेडिकल इमरजेंसी, हाइवे पर लूट या कोई प्राकृतिक आपदा तक हो सकती है, जिससे काफी नुकसान होता है। कोई नहीं चाहता कि ऐसा कुछ हो लेकिन इस बात की गारंटी नहीं कि ऐसा नहीं होगा। यात्रा न कर रहे किसी सदस्य के पास वीजा होना, मेडिकल इंश्योरेंस जैसा ही है, जिसे हम चाहते हैं कि कभी इस्तेमाल न करना पड़े। स्वस्थ रहना, बीमार होकर मेडिकल इंश्योरेंस क्लेम करने से बेहतर है।
फंडा यह है कि हम नीलम के स्वस्थ होने की कामना करते हैं, लेकिन साथ ही ये सबक भी लेते हैं कि अगर कोई विदेश जा रहा है, तो उसके परिवार के एक और व्यक्ति के पास भी उसी देश का वीजा होना चाहिए, भले ही वह यात्रा न कर रहा हो। किसी आपातकालीन स्थिति में यह काम आ सकता है।