1 घंटे पहलेलेखक: संदीप सिंह
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सर्दियों में वायरल इन्फेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। साथ ही ठंडा मौसम हमारी आंखों के लिए भी कई तरह की समस्याएं लेकर आता है। इस मौसम में कंजंक्टिवाइटिस यानी ‘पिंक आई’ की समस्या बहुत कॉमन है।
अमेरिकन एकेडमी ऑफ ऑप्थेल्मोलॉजी के मुताबिक, अमेरिका में हर साल करीब 10 लाख लोग आंखों के इन्फेक्शन की वजह से हॉस्पिटल जाते हैं। वहीं बहुत से लोग ऐसे भी होते हैं, जो समस्या होने पर भी हॉस्पिटल नहीं जाते हैं।
कंजंक्टिवाइटिस में आंखों का रंग गुलाबी या लाल दिखाई दे सकता है। साथ ही आंखें ड्राई हो सकती हैं या उनमें जलन हो सकती है। इसलिए इस मौसम में आंखों की देखभाल करना बेहद जरूरी है।
तो चलिए, आज जरूरत की खबर में बात करेंगे कंजंक्टिवाइटिस की। साथ ही जानेंगे कि-
- सर्दियों में कंजंक्टिवाइटिस का खतरा क्यों बढ़ जाता है?
- इससे बचने के लिए क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?
एक्सपर्ट: डॉ. सुदीप्तो पकरासी, ऑप्थेल्मोलॉजिस्ट, मेदांता हॉस्पिटल, गुरुग्राम
सवाल- कंजंक्टिवाइटिस या पिंक आई क्या है?
जवाब- हमारी आंखों के ऊपर एक पतली लेयर होती है। इसे कंजंक्टिवा कहते हैं। कंजंक्टिवा आंखों को हेल्दी रखने का काम करती है। जब इसमें किसी तरह का इन्फेक्शन होता है तो इसे कंजंक्टिवाइटिस कहा जाता है।
आमतौर पर तीन तरह के कंजंक्टिवाइटिस होते हैं।
- वायरल कंजंक्टिवाइटिस
- बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस
- एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस
सवाल- कंजंक्टिवाइटिस के लक्षण क्या हैं?
जवाब- गुरुग्राम के मेदांता हॉस्पिटल के ऑप्थेल्मोलॉजिस्ट डॉ. सुदीप्तो पकरासी बताते हैं कि हमारी आंखें बहुत ही नाजुक और सेंसिटिव होती हैं। आंखों में कुछ भी असामान्य होने पर इसके लक्षण तुरंत दिखाई देने लगते हैं। कंजंक्टिवाइटिस के कई लक्षण हो सकते हैं। इसके कॉमन लक्षणों में आंख से पानी आना, आंख का रंग लाल या गुलाबी पड़ना, आंखों से सफेद या पीला लिक्विड निकलना शामिल है। इसके अलावा कुछ अन्य लक्षण भी हो सकते हैं। इसे नीचे दिए ग्राफिक से समझिए-
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सवाल- सर्दियों में कंजंक्टिवाइटिस का खतरा क्यों बढ़ जाता है? इसके क्या कारण हैं?
जवाब- सर्दियों में कंजंक्टिवाइटिस बढ़ने के कई कारण हैं। इसे इन पॉइंट्स से समझते हैं।
सर्दी-जुकाम और फ्लू एक बड़ा कारण
ठंड में सर्दी-खांसी और फ्लू का खतरा बढ़ जाता है। ऐसी स्थिति में आंखों को छूने से, संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से या संक्रमित व्यक्ति के कपड़े, तौलिया व रजाई-कंबल का इस्तेमाल करने से भी कंजंक्टिवाइटिस का खतरा बढ़ जाता है।
सर्दियों की ड्राई हवा से होती आंखों में जलन
सर्दियों में ह्यूमिडिटी लेवल कम होने से हवा ड्राई हो जाती है। इस मौसम में लोग पानी कम पीते हैं, जिससे आंखें ड्राई होने का खतरा बढ़ जाता है। इससे आंखों में जलन, खुजली या सूजन आ सकती है।
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सवाल- कंजंक्टिवाइटिस क्या एक व्यक्ति से दूसरे में फैल सकता है?
जवाब- अमेरिकन एकेडमी ऑफ ऑप्थेल्मोलॉजी के मुताबिक, बैक्टीरियल और वायरल कंजंक्टिवाइटिस आसानी से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है। हालांकि एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस संक्रामक नहीं होता है।
सवाल- बच्चों में कंजंक्टिवाइटिस का खतरा ज्यादा क्यों रहता है?
जवाब- बच्चों की इम्यूनिटी कमजोर होती है। इसलिए उन्हें इस मौसम में अधिक देखभाल की जरूरत होती है। आमतौर पर बच्चों में बैक्टीरिया या वायरस कंजंक्टिवाइटिस का खतरा ज्यादा रहता है क्योंकि बच्चे स्कूल में ज्यादा बच्चों के संपर्क में आते हैं। साथ ही वे खेलते-कूदते के समय प्रॉपर हाइजीन का ध्यान नहीं रखते हैं।
सवाल- बच्चों को कंजंक्टिवाइटिस से बचाने के लिए पेरेंट्स को किन बातों का ख्याल रखना चाहिए?
जवाब- पेरेंट्स को बच्चों को कंजंक्टिवाइटिस के बारे में जागरूक करना चाहिए। उन्हें इसके लक्षणों और बचाव के तरीकों के बारे में बताना चाहिए। जैसेकि-
- बच्चों को बार-बार हाथ धोने के महत्व के बारे में समझाएं।
- बच्चों को बताएं कि कभी भी आंखों को हाथ से न रगड़ें। हमेशा आंख साफ करने के लिए टिश्यू या रूमाल का इस्तेमाल करें।
- पर्सनल चीजें जैसे रूमाल, तौलिया या चश्मा कभी भी किसी के साथ शेयर न करें।
- अगर किसी व्यक्ति की आंखें लाल दिखाई दे रही हैं तो उससे दूर रहें।
सवाल- कंजंक्टिवाइटिस से बचने के लिए किन बातों का ध्यान रखें?
जवाब- कंजंक्टिवाइटिस से बचने के लिए कुछ सावधानी बरतने की जरूरत है। जैसे सर्दी में आंखों को बार-बार छूने से बचें। खाना खाने से पहले और बाद में हाथों को कम-से-कम 20 सेेकेंड तक एंटी बैक्टीरियल साबुन से धोएं। साथ ही किसी के साथ आई लाइनर, अपना तौलिया, रजाई-कंबल या तकिया शेयर न करें। इसके अलावा कुछ अन्य बातों का ध्यान रखना भी जरूरी है। इसे नीचे दिए ग्राफिक से समझिए-
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सवाल- अगर कोई कंजंक्टिवाइटिस से इन्फेक्टेड हो जाए तो क्या करें?
जवाब- जैसा कि हम जानते हैं कि कंजंक्टिवाइटिस एक संक्रामक बीमारी है। यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में आसानी से फैल सकती है। इसलिए कंजंक्टिवाइटिस से इन्फेक्टेड होने पर सबसे पहले खुद को एक कमरे में आइसोलेट करें। इसके अलावा कुछ अन्य बातों का ख्याल रखें। जैसेकि-
- दूसरे फैमिली मेंबर्स के संपर्क में न आएं।
- स्कूल, कॉलेज या ऑफिस जाना अवॉइड करें।
- टीवी, मोबाइल या कंप्यूटर से दूरी बनाएं।
- आंखों में खुजली होने पर उन्हें रगड़ने की कोशिश न करें।
- डॉक्टर की सलाह के बाद ही किसी आई ड्रॉप का इस्तेमाल करें।
सवाल- कंजंक्टिवाइटिस कितने दिन में सही हो जाता है?
जवाब- ऑप्थेल्मोलॉजिस्ट डॉ. सुदीप्तो पकरासी बताते हैं कि ये इस बात पर निर्भर करता है कि इन्फेक्शन कैसा है। आमतौर पर वायरल कंजंक्टिवाइटिस 1 से 2 सप्ताह में ठीक हो जाता है। बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस ठीक होने में 2 से 5 दिन लग जाते हैं। वहीं एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस तब तक रहता है, जब तक आंख में एलर्जी बनी रहती है।
सवाल- कंजंक्टिवाइटिस होने पर डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए?
जवाब- आमतौर पर यह एक खतरनाक स्थिति नहीं है। सही हाइजीन और देखभाल से यह एक हफ्ते में अपने आप ठीक हो जाता है। हालांकि अगर स्थिति लगातार बिगड़ रही है तो लापरवाही न करें। इससे आंख को नुकसान पहुंच सकता है।
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