टॉप-10 कंपनियों में से 9 की मार्केट-वैल्यू ₹2.9 लाख-करोड़ घटी:  TCS टॉप लूजर रही; इसका मार्केट कैप ₹1.10 लाख करोड़ गिरकर ₹11.93 लाख करोड़ हुआ
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टॉप-10 कंपनियों में से 9 की मार्केट-वैल्यू ₹2.9 लाख-करोड़ घटी: TCS टॉप लूजर रही; इसका मार्केट कैप ₹1.10 लाख करोड़ गिरकर ₹11.93 लाख करोड़ हुआ

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मुंबई38 मिनट पहले

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पिछले हफ्ते के कारोबार में देश की टॉप-10 कंपनियों में से 9 का कंबाइन मार्केट कैपिटलाइजेशन 2.9 लाख करोड़ रुपए गिरा है। इनमें टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) को पिछले हफ्ते सबसे ज्यादा नुकसान हुआ। इसका मार्केट कैप ₹1.10 लाख करोड़ गिरकर ₹11.93 लाख करोड़ पर आ गया है।

वहीं रिलायंस इंडस्ट्रीज का मार्केट कैप ₹95 हजार करोड़ गिरकर ₹16.30 लाख करोड़ रहा। इंफोसिस का मार्केट कैप ₹49 हजार करोड़ गिरकर ₹6.03 लाख करोड़ पर आ गया है। इसके अलावा बजाज फाइनेंस, ICICI बैंक, HDFC बैंक, HUL, SBI और ITC का मार्केट कैप भी गिरा है। हालांकि, पिछले हफ्ते सिर्फ भारतीय एयरटेल का मार्केट कैप बढ़ा है।

पिछले हफ्ते सेंसेक्स 2,112 अंक गिरा था

पिछले हफ्ते सेंसेक्स 2,112 अंक यानी 2.73% गिरा। निफ्टी में भी बीते सप्ताह 568 (2.42%) की गिरावट रही थी। वहीं बीते हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन यानी 4 अप्रैल को सेंसेक्स 930 अंक (1.22%) की गिरावट के साथ 75,364 के स्तर पर बंद हुआ। वहीं निफ्टी में 345 अंक (1.49%) की गिरावट रही, ये 22,904 के स्तर पर बंद हुआ था।

मार्केट कैपिटलाइजेशन क्या होता है?

मार्केट कैप किसी भी कंपनी के टोटल आउटस्टैंडिंग शेयरों यानी वे सभी शेयर, जो फिलहाल उसके शेयरहोल्डर्स के पास हैं, की वैल्यू है। इसका कैलकुलेशन कंपनी के जारी शेयरों की टोटस नंबर को स्टॉक की प्राइस से गुणा करके किया जाता है।

मार्केट कैप का इस्तेमाल कंपनियों के शेयरों को कैटेगराइज करने के लिए किया जाता है ताकि निवेशकों को उनके रिस्क प्रोफाइल के अनुसार उन्हें चुनने में मदद मिले। जैसे लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप कंपनियां।

मार्केट कैप = (आउटस्टैंडिंग शेयरों की संख्या) x (शेयरों की कीमत)

मार्केट कैप कैसे काम आता है?

किसी कंपनी के शेयर में मुनाफा मिलेगा या नहीं इसका अनुमान कई फैक्टर्स को देख कर लगाया जाता है। इनमें से एक फैक्टर मार्केट कैप भी होता है। निवेशक मार्केट कैप को देखकर पता लगा सकते हैं कि कंपनी कितनी बड़ी है।

कंपनी का मार्केट कैप जितना ज्यादा होता है उसे उतनी ही अच्छी कंपनी माना जाता है। डिमांड और सप्लाई के अनुसार स्टॉक की कीमतें बढ़ती और घटती है। इसलिए मार्केट कैप उस कंपनी की पब्लिक पर्सीवड वैल्यू होती है।

मार्केट कैप कैसे घटता-बढ़ता है?

मार्केट कैप के फॉर्मूले से साफ है कि कंपनी की जारी शेयरों की कुल संख्या को स्टॉक की कीमत से गुणा करके इसे निकाला जाता है। यानी अगर शेयर का भाव बढ़ेगा तो मार्केट कैप भी बढ़ेगा और शेयर का भाव घटेगा तो मार्केट कैप भी घटेगा।

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