नया इनकम-टैक्स बिल तैयार करने में 60 हजार घंटे लगे:  20,976 सुझाव मिले, जानें ये कैसे बना और इसमें क्या है?
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नया इनकम-टैक्स बिल तैयार करने में 60 हजार घंटे लगे: 20,976 सुझाव मिले, जानें ये कैसे बना और इसमें क्या है?

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नई दिल्ली19 घंटे पहले

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को संसद में नया आयकर बिल पेश किया है। यह लोकसभा में पास हो गया। आइए जानते हैं कि इस बिल में क्या खास है?

मौजूदा इनकम टैक्स एक्ट कब पारित हुआ था?

1961 में पारित यह अधिनियम 1 अप्रैल, 1962 से प्रभावी था। इसमें वित्त अधिनियम के तहत 65 बार में 4,000 से ज्यादा संशोधन हुए।

नए बिल का मसौदा बनाने में कितनी मशक्कत हुई?

इनकम टैक्स बिल को आसान, समझने लायक बनाने और गैर-जरूरी प्रावधान हटाने के लिए 20,976 ऑनलाइन सुझाव मिले। इनका विश्लेषण किया गया। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी मशविरा किया गया। अतीत में ऐसे संशोधन कर चुके ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन के आयकर विभागों से भी सलाह ली गई। 2009 और 2019 में इस संदर्भ में तैयार किए गए दस्तावेजों का अध्ययन भी किया गया।

कितनी बड़ी टीम ने इसे अंजाम दिया?

विभाग के करीब 150 अफसरों की कमेटी ने इस पूरी मशक्कत को अंजाम दिया। नए बिल को अंतिम रूप देने में 60 हजार से ज्यादा घंटे लगे।

सैलरीड क्लास के लिए नए बिल में क्या आसान होगा?

वेतन संबंधी सभी प्रावधान आसानी से समझने के लिए एक ही जगह पर लाए गए हैं, ताकि इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते समय अलग-अलग अध्याय का संदर्भ न लेना पड़े। सेक्शन-10 के तहत पहले दी जानी वाली कटौती, मसलन ग्रेच्युटी, लीव इनकैशमेंट, पेंशन कम्प्यूटेशन आदि को अब सैलरी चैप्टर में ही लाया गया है।

बिल संसद में पेश हो गया, अब आगे क्या?

बिल संसद के दोनों सदनों से पारित होने के बाद कानून का स्वरूप लेगा। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद नए नियमों की अधिसूचना जारी होगी। साथ-साथ सॉफ्टवेयर तैयार करने का भी काम शुरू होगा।

क्या पुराने और नए सेक्शंस की कोई मैपिंग उपलब्ध होगी?

हां, आयकर विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर सेक्शन-वाइज मैपिंग उपलब्ध कराई जाएगी।

बिल में ‘पिछले वर्ष’ और ‘मूल्यांकन वर्ष’ की जगह क्या?

‘पिछले वर्ष’ और ‘मूल्यांकन वर्ष’ की जगह ‘टैक्स वर्ष’ की अवधारणा पेश की गई है। विधेयक में समय-सीमा और गणना अब उस वित्त वर्ष के संदर्भ में है, जिसके लिए आय पर टैक्स लगाया जाना है।

टीडीएस और टीसीएस के प्रावधान कैसे सरल बनाए गए?

टेबल के जरिये टीडीएस और टीसीएस के प्रावधान समझना आसान बना दिया गया है। देश में रहने वाले भारतीयों, एनआरइआई और जहां स्रोत पर कटौती (टीडीएस) की जरूरत नहीं है, वैसे मामलों में भुगतान के लिए अलग-अलग टेबल हैं।

पुराने व नए प्रावधान कैसे एक साल अस्तित्व में रहेंगे?

बिल में रिपील और सेविग्स क्लाउज में संबंधित वर्षों के लिए अनुपालन के अलग-अलग पहलुओं का उल्लेख किया गया है। ये पुराने कानून के तहत अर्जित सभी अधिकारों और दायित्वों की रक्षा करेंगे।

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