पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम:  भक्ति भाव के साथ नए वर्ष में अपना उत्साह बनाए रखिए
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पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम: भक्ति भाव के साथ नए वर्ष में अपना उत्साह बनाए रखिए

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2 घंटे पहले

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पं. विजयशंकर मेहता - Dainik Bhaskar

पं. विजयशंकर मेहता

पुराने वर्ष के बीत जाने पर उदास से उदास व्यक्ति भी नए वर्ष के लिए कोई न कोई संकल्प यानी ‘रिजॉल्यूशन’ जरूर ले लेता है। लेना भी चाहिए। जीवन उदासी और उत्साह का मिश्रण होता है। अब जब हम नए वर्ष में प्रवेश कर चुके हैं, तो प्रभु श्रीराम को याद करें। श्रीराम ने कहा है, ‘कहहु भगति पथ कवन प्रयासा। जोग न मख जप तप उपवासा।’

मनुष्य को भक्ति मार्ग जरूर अपनाना चाहिए। भक्त एक संपूर्ण चरित्र होता है और भक्ति को अपनाने में न योग की जरूरत है, न यज्ञ की और न ही जप या तप की। यहां तक कि उपवास की भी आवश्यकता नहीं है। फिर राम जी ने कहा, तीन बातें करो, तो भक्ति उतर आएगी। और भक्ति भाव से नए वर्ष में प्रवेश करो। ‘सरल सुभाव न मन कुटिलाई। जथा लाभ संतोष सदाई।’

‘सरल स्वभाव हो, मन में कुटिलता न हो और जो कुछ मिले उसी में सदा संतोष रखें।’ संकल्प लें कि नए वर्ष में हम नियमित रूप से हनुमान चालीसा का पाठ करेंगे। यदि हम हनुमान चालीसा से ध्यान करते हैं तो हमारे स्वभाव में सरलता उतरेगी। मन की कुटिलता दूर होगी। और संतोष का मतलब होता है धैर्य। जीवन में कुछ प्राप्त करने के लिए सारा परिश्रम करना है, पर न मिले तो उदास नहीं होना है।

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