- Hindi News
- Opinion
- Pt. Vijayshankar Mehta’s Column If A Mother Gives Something To Another Mother, The Children Benefit
2 घंटे पहले
- कॉपी लिंक

पं. विजयशंकर मेहता
पिछले दिनों नेपाल के जनकपुर धाम में रामकथा करते हुए एक अनुभव हुआ। वहां गंगासागर में गंगा-आरती होती है। सीता जी जब श्रीराम-लक्ष्मण के साथ वन को चली थीं तो गंगातट पर खड़े होकर उन्होंने मां गंगा से आशीर्वाद मांगा था कि मैं अपने पति और देवर के साथ 14 वर्ष बाद सकुशल अयोध्या लौटूं।
मां गंगा ने यह आशीर्वाद तो दिया ही था- ‘सियं सुरसरिहि कहेउ कर जोरी। मातु मनोरथ पुरउबि मोरी’। कि तुम्हारे मनोरथ पूरे होंगे। लेकिन लगे हाथ गंगा जी ने सीता जी को आठ सिद्धि और नौ निधि का भी आशीर्वाद दिया। और वही आशीर्वाद सीता जी ने हनुमान जी को दे दिया।
इसलिए हनुमान चालीसा की 31वीं चौपाई में लिखा है- ‘अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता, अस बर दीन जानकी माता’। और हनुमान जी इसे अपने भक्तों को देते हैं। आरती इस सुंदर ढंग से होती है कि जनकपुर धाम में उस स्थान पर खड़े होकर लगता है, हम उसी युग में पहुंच गए हैं। एक मां दूसरी मां को जब कुछ दे रही हो तो सबसे बड़ा फायदा संसार की समूची संतानों को होता है।