पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम:  मनुष्य को पलकों-पुतलियों पर काम करना चाहिए
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पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम: मनुष्य को पलकों-पुतलियों पर काम करना चाहिए

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28 मिनट पहले

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पं. विजयशंकर मेहता - Dainik Bhaskar

पं. विजयशंकर मेहता

मनुष्य अपने शरीर को सजाने के लिए अंगों पर विशेष काम करता है, करना भी चाहिए। शरीर को सजाने में 16 शृंगारों का नाम लिया जाता है। स्त्रियां 16 शृंगार को लेकर सावधान होती हैं। पैर से गले तक नौ शृंगार के अंग होते हैं और गले के ऊपर सात। हमारे पास एक अंग है आंख और उसकी पुतली। मनुष्य को अपनी पुतली और आंख पर खास काम करना चाहिए। अगर धीमे-धीमे पलक नीचे हो और ऊपर उठे तो उसका ध्यान लग सकता है।

पलकों की गति का संबंध मन की शांति और अशांति से है। वैसे ही पुतलियां दिन भर में कई बार बड़ी-छोटी होती हैं। जिस बात में हमको रस है वो दृश्य सामने आने पर पुतलियां बड़ी हो जाती हैं। पुरुषों की पुतलियां किसी स्त्री का चित्र देख बड़ी हो जाती हैं, ऐसा मनोवैज्ञानिक कहते हैं। वहीं स्त्री की पुतलियां बच्चे का चित्र देख कर बड़ी हो जाती हैं।

यदि आपको पलक और पुतली के रस को जानना है तो जब भी कभी देव स्थान पर जाएं, उस स्थान, वहां स्थापित प्रतिमा को देखकर पलक और पुतली पर काम करें, जीवन का रस मिल जाएगा।

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