पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम:  क​र्णप्रिय संगीत भी है एक माध्यम आत्मा से जुड़ने का
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पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम: क​र्णप्रिय संगीत भी है एक माध्यम आत्मा से जुड़ने का

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3 घंटे पहले

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पं. विजयशंकर मेहता - Dainik Bhaskar

पं. विजयशंकर मेहता

मनुष्य के जीवन में सबकुछ जुड़ा हुआ है। इसलिए जीवन में जब कोई परिस्थि​ति आए तो खण्ड-खण्ड करके मत देखिएगा। जैसे हम अपने जीवन की यात्रा में मार्ग और मंजिल को बांट लेते हैं। अगर बारीकी से देखें तो मंजिल अं​तिम छोर है और मार्ग उसका पहला छोर।

ऐसे ही, हमारे भीतर शरीर भी है और आत्मा भी है। लेकिन मन जब हावी होता है तो इन दोनों को बांट देता है। अगर मन को हटा दें तो शरीर और आत्मा का अंतर समाप्त हो जाए। मन के हटते ही आप समझ जाएंगे कि हम और परमात्मा एक ही हैं।

जीवन में सब कुछ जोड़ने के लिए कुछ प्रयोग हैं। उनमें से एक प्रयोग कर्णप्रिय संगीत सुनने का भी है। आत्मा तक जाने के लिए एक साधन तो योग है ही, पर यदि कोई अच्छा-सा गीत-भजन सुनें- जिसका संगीत बड़ा शांत, सहज-सरल हो- तो भी आप जुड़ जाएंगे। क्योंकि उस गीत की ध्वनि और कम्पन ब्रह्माण्ड की ध्वनि से आपको जोड़ देगा। और यही हमारे भीतर के चक्रों पर एक ऊर्जा का कम्पन होता है, जो हमको आत्मा का स्पर्श कराता है।

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