पौष मास में सूर्य पूजा करने की परंपरा क्यों है?:  जानिए सूर्य को जल चढ़ाते समय किन बातों का ध्यान रखें और किन मंत्रों का जप करें?
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पौष मास में सूर्य पूजा करने की परंपरा क्यों है?: जानिए सूर्य को जल चढ़ाते समय किन बातों का ध्यान रखें और किन मंत्रों का जप करें?

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2 घंटे पहले

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अभी हिन्दी पंचांग का दसवां महीना पौष चल रहा है, इस महीने में सूर्य पूजा करने का विशेष महत्व है। जानिए इस परंपरा से जुड़ी खास बातें…

पौष मास में सूर्य पूजा क्यों जरूरी है?

दरअसल, इस महीने में ठंड अपने पूरे प्रभाव में होती है और ठंड की वजह से लोग पूरे दिन ऊनी वस्त्र पहनते हैं, कपड़ों से पूरा शरीर ढंका रहता है, ऐसे में हमारे शरीर तक सूर्य की किरणे नहीं पहुंच पाती है। जिससे हमें विटामिन डी नहीं मिल पाता है।

अच्छी सेहत, रोग प्रतिरोधक क्षमता, हड्डियों की मजबूती और शारीरिक शक्ति के लिए विटामिन डी बहुत जरूरी है। रोज सुबह जल्दी उठकर सूर्य को जल चढ़ाने की परंपरा है, ताकि हम सुबह कुछ देर सूर्य की धूप में रह सके।

इस परंपरा का भाव ये है कि हमें ठंड के दिनों में सुबह-सुबह कुछ देर धूप में बैठना चाहिए और कोशिश करनी चाहिए कि सूर्य की किरणे सीधे हमारे शरीर तक पहुंचे।

सूर्य पूजा से दूर होता है आलस

  • शास्त्रों में सूर्य को शक्ति, तेज, और ज्ञान का प्रतीक बताया गया है। इसलिए लोग रोज सुबह सूर्य की पूजा करते हैं, उन्हें शक्ति, तेज और ज्ञान मिलता है, व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ता है। सूर्य की रोशनी से त्वचा की चमक बढ़ती है, व्यक्तित्व तेजस्वी बनता है।
  • ज्योतिष में सूर्य को मान-सम्मान और ज्ञान का कारक माना जाता है। रोज सूर्य पूजा करने से व्यक्ति की कुंडली के ग्रह दोष शांत होते हैं और घर-परिवार के साथ ही समाज में भी मान-सम्मान मिलता है।
  • सूर्य की वजह से विचारों की नकारात्मकता दूर होती है। विचार सकारात्मक और पवित्र बनते हैं। रोज सुबह जल्दी जागने से दिन की शुरुआत अच्छी होती है। आलस दूर होता है, दिनभर काम करने के लिए थोड़ा ज्यादा समय मिलता है। सुबह जल्दी जागते हैं तो रात में जल्दी नींद भी आती है। अच्छी सेहत के लिए रात को जल्दी सोना और सुबह जल्दी जागना बहुत जरूरी है।
  • सूर्य पंचदेवों में शामिल हैं, इनकी वजह से सभी काम सिद्ध होते हैं। सूर्य भगवान की कृपा से बाधाएं दूर होती हैं और मुश्किलें हल हो जाती है।
  • सूर्य भगवान अंधकार से उजाले की ओर बढ़ने की प्रेरणा देते हैं। जिस तरह सूर्योदय होते ही रात का अंधेरा खत्म होता है, रात कितनी भी लंबी हो, सूर्योदय जरूर होता है, ठीक इसी तरह जीवन में परेशानियों के बाद सुख जरूर आता है। हमें अंधकार से उजाले की ओर बढ़ने के लिए प्रयत्न करते रहना चाहिए। सूर्य हमें सकारात्मक रहने का संदेश देता है।
  • सूर्य ही हमारे जीवन का मूल स्रोत है। सूर्य से ही पूरी सृष्टि चल रही है। सूर्य से ही हमें खाना, पानी, प्राण वायु और पेड़-पौधे सबकुछ मिल रहा है। सूर्य की पूजा करने का भाव ये है कि हम पूजा करके सूर्य के प्रति अपना आभार प्रकट करते हैं।

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