बसंत ऋतु से जुड़ी है होली मनाने की कहानी:  कामदेव ने शिव जी का ध्यान तोड़ने के लिए प्रकट की थी बसंत ऋतु, ऋतुओं में श्रीकृष्ण हैं बसंत
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बसंत ऋतु से जुड़ी है होली मनाने की कहानी: कामदेव ने शिव जी का ध्यान तोड़ने के लिए प्रकट की थी बसंत ऋतु, ऋतुओं में श्रीकृष्ण हैं बसंत

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  • The Story Of Celebrating Holi Is Related To The Spring Season, Rituals About Holi Festival, Holi2025, Holika Dahan On 13th March

32 मिनट पहले

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गुरुवार, 13 मार्च की रात होलिका दहन किया जाएगा। होली क्यों मनाई जाती है, इस संबंध में कई कथाएं हैं। इनमें प्रहलाद और होलिका की कथा सबसे ज्यादा प्रचलित है। इसके अलावा ये पर्व नई फसल आने की खुशी में और बसंत ऋतु की शुरुआत होने की खुशी में भी मनाया जाता है।

बसंत ऋतु को ऋतुराज भी कहा जाता है। पुराने समय में बसंत ऋतु की शुरुआत में रंग उड़ाकर उत्सव मनाया जाता है। इसके लिए फूलों से बने रंगों का इस्तेमाल करते थे। पौराणिक कथा है कि कामदेव ने बसंत ऋतु को उत्पन्न किया था। इसीलिए इस ऋतु को कामदेव का पुत्र भी कहते हैं। श्रीमद् भगवद् गीता में श्रीकृष्ण ने कहा है कि ऋतुओं में मैं बसंत हूं। बसंत ऋतु श्रीकृष्ण का स्वरूप है।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक फाल्गुन पूर्णिमा के आसपास से ही बसंत ऋतु की शुरुआत होती है। बसंत ऋतु में हल्की ठंडी हवाएं चलती हैं, मौसम सुहावना हो जाता है, पेड़ों में नए पत्ते आना शुरू हो जाते हैं, सरसों के खेत में पीले फूल खिल जाते हैं, आम के पेड़ों पर केरी के बौर आने लगते हैं। प्रकृति के अद्भुत रंग दिखाई देने लगते हैं। इसी मनमोहक वातावरण की वजह से बसंत को ऋतुराज कहते हैं।

कामदेव ने क्यों प्रकट किया बसंत ऋतु को?

  • शिवपुराण की कथा है। जब प्रजापति दक्ष ने देवी सती के सामने भगवान शिव के लिए अपमानजनक बातें कहीं, तब देवी सती ने अपने पिता दक्ष के हवन में अपनी देह त्याग दी थी। इसके बाद सती के वियोग में शिव ध्यान में बैठ गए थे।
  • दूसरी ओर देवताओं का शत्रु तारकासुर जानता था कि शिव सती के वियोग में ध्यान में बैठे हैं, उनका ध्यान टूटना असंभव है और वे दूसरा विवाह भी नहीं करेंगे। उस समय तारकासुर ने तप करके ब्रह्मा को प्रसन्न कर लिया। ब्रह्मा प्रकट हुए तो तारकासुर ने वर मांगा कि उसकी मृत्यु सिर्फ शिव का पुत्र ही कर सके, ऐसा वरदान दीजिए। ब्रह्मा ने तारकासुर को मनचाहा वर दे दिया।
  • ब्रह्मा से वरदान पाकर तारकासुर ने सभी देवताओं को पराजित कर दिया और देवराज इंद्र से स्वर्ग छीन लिया। तारकासुर के अत्याचार से देवता, ऋषिमुनि और मनुष्य सभी परेशान हो गए थे। सभी देवता और ऋषि मुनि भगवान विष्णु के पास पहुंचे। ब्रह्मा के वरदान की वजह से विष्णु भी तारकासुर का वध नहीं कर सकते थे।
  • सभी देवताओं ने विचार किया कि किसी भी तरह भगवान शिव का ध्यान भंग करके उनका फिर से विवाह कराना होगा, इसके बाद ही तारकासुर का अंत हो सकेगा। देवताओं ने शिव का ध्यान भंग करने का काम कामदेव को सौंपा। कामदेव ने शिव का तप भंग करने के लिए बसंत ऋतु को उत्पन्न किया।
  • बसंत ऋतु के सुहावने मौसम में कामदेव ने काम बाण शिव पर चलाए, इस कारण शिव का ध्यान टूट गया। ध्यान टूटने से शिव क्रोधित हो गए और उन्होंने तीसरा नेत्र खोलकर कामदेव को भस्म कर दिया। जब शिव का क्रोध शांत हुआ तो देवताओं ने तारकासुर के बारे में बताया।
  • कामदेव की पत्नी रति ने भगवान शिव से कामदेव को जीवित करने की प्रार्थना की। तब शिवजी ने रति को वरदान दिया कि द्वापर युग में श्रीकृष्ण के पुत्र प्रद्युम्न के रूप में कामदेव का फिर से जन्म होगा। इसके बाद शिव का विवाह माता पार्वती से हुआ। विवाह के बाद कार्तिकेय स्वामी का जन्म हुआ और कार्तिकेय ने तारकासुर का वध कर दिया।

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