बिजली निजीकरण मुद्दा: तीन कंपनियों को मिला ट्रांसमिशन लाइसेंस, फंसा पेंच… अदालत जाएगा विद्युत उपभोक्ता परिषद
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बिजली निजीकरण मुद्दा: तीन कंपनियों को मिला ट्रांसमिशन लाइसेंस, फंसा पेंच… अदालत जाएगा विद्युत उपभोक्ता परिषद

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Electricity Regulatory Commission in UP issued transmission license to three Power Transmission Ltd.

बिजली निगम का एक सब स्टेशन। (सांकेतिक)
– फोटो : संवाद

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उत्तर प्रदेश में विद्युत नियामक आयोग ने जेवर, तिर्वा और मेरठ-शामली पावर ट्रांसमिशन लि. को ट्रांसमिशन लाइसेंस जारी कर दिया है। आयोग के आदेश में कहा गया है कि निजीकरण के बाद जो भी नई कंपनी होगी, उस पर सभी एग्रीमेंट स्वत: लागू जाएगा।

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इसमें पूर्वांचल और दक्षिणांचल के निजीकरण का मामला एक बार फिर फंसता नजर आ रहा है। क्योंकि उपभोक्ता परिषद दोनों विद्युत वितरण निगम पर उपभोक्ताओं का करीब 16 हजार करोड़ रुपये बकाया बता रहा है। इस मामले को लेकर वह अदालत भी जाने की तैयारी में है।

उपभोक्ता परिषद की आशंकाओं का दिया जवाब

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने आम जनता की सुनवाई में देनदारी का मुद्दा उठाया था। कहा था कि उपकेंद्र और ट्रांसमिशन लाइन तैयार करने में जेवर ट्रांसमिशन लि. ने 713 करोड़, मेरठ-शामली ने 164 करोड़ और तिर्वा ट्रांसमिशन लि. ने लगभग 136 करोड़ रुपये खर्च किया है। 

इसकी भरपाई अगले 35 वर्षों तक पावर ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन सहित प्रदेश की बिजली कंपनियां करेगी। इसमें दक्षिणांचल व पूर्वाचल भी शामिल है। इन दोनों कंपनियों का निजीकरण हो रहा है। ऐसे में इन कंपनियों के साथ 35 साल के लिए हुए ट्रांसमिशन सर्विस एग्रीमेंट (टीएसए) का क्या होगा? जब वह खुद अपने को बेच रही है तो 35 वर्षों तक उसकी अदायगी कौन करेगा? 

उपभोक्ता परिषद ने इस पर विधिक सवाल उठाते हुए नियामक आयोग से पारदर्शी नीति अपनाने पर जोर दिया था। नियामक आयोग द्वारा अपने आदेश में पहली बार प्रक्रियाधीन बिजली कंपनियों के निजीकरण पर उपभोक्ता परिषद की आपत्ति को अपने आदेश का पार्ट बनाते हुए यह लिखा गया है कि वितरण कंपनियों के संभावित निजीकरण के बारे में उठाई गई चिंताओं के संबंध में आयोग ने परीक्षण और अध्ययन किया।

एग्रीमेंट देनदारी दोनों तरफ की स्वत: लागू हो जाएगी

इसमें यह पाया कि परियोजना से जुड़े सभी प्रासंगिक अनुबंध निहित आदेश, सभी अनुबंधधीन एग्रीमेंट आवश्यकताओं के अनुपालन में उत्तराधिकारी संस्थाओं को स्थानांतरित कर दिए जाएंगे। आयोग द्वारा जारी आदेश के बाद अब यह पूरी तरह स्पष्ट हो गया है कि निजीकरण के फलस्वरुप जो आने वाले नई बिजली कंपनी होगी यानी कि सक्सेसर कंपनी आएगी। उन पर यह सभी एग्रीमेंट देनदारी दोनों तरफ की स्वत: लागू हो जाएगी। 

ऐसे में अब आने वाले समय में एक नया विवाद पैदा होगा कि बिजली कंपनियों पर जो प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का लगभग 33122 करोड़ सरप्लस निकल रहा है। पूर्वांचल व दक्षिणांचल के मद में लगभग 16000 करोड़ सरप्लस निकल रहा। इस आदेश के बाद आने वाली नई बिजली कंपनियों को इसका वहन करना पड़ेगा।



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