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- The Lunar Eclipse Of March 14 Will Not Be Visible In India, Lunar Eclipse Facts, Chandra Story In Hindi, Holi 2025
57 मिनट पहले
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2025 का पहला चंद्र ग्रहण 14 मार्च को हो रहा है। ये ग्रहण भारत में नहीं दिखेगा। इस कारण देश में ग्रहण का सूतक भी नहीं रहेगा। जिन जगहों पर ग्रहण दिखाई देता है, वहां-वहां चंद्र ग्रहण शुरू होने से 9 घंटे पहले सूतक शुरू हो जाता है।
चंद्र ग्रहण के सूतक के समय में पूजा-पाठ नहीं किए जाते हैं, मंदिर बंद रहते हैं। ग्रहण खत्म होने के बाद सूतक खत्म होता है। मंदिरों का शुद्धिकरण होता है और फिर पूजा-पाठ आदि धर्म-कर्म किए जाते हैं, लेकिन 14 मार्च का ग्रहण भारत में नहीं दिखने से यहां सूतक भी नहीं रहेगा, इस वजह से पूरे दिन धर्म-कर्म और पूजा-पाठ आदि शुभ काम किए जा सकेंगे।
चंद्र ग्रहण से जुड़ी मान्यताएं
धर्म और विज्ञान के नजरिए से चंद्र ग्रहण से जुड़ी मान्यताएं अलग-अलग हैं। धर्म की मान्यता राहु से जुड़ी है और विज्ञान के मुताबिक पृथ्वी, सूर्य और चंद्र की एक विशेष स्थिति के कारण ग्रहण होता है। जानिए ये दोनों मान्यताएं…
वैज्ञानिक फैक्ट – पृथ्वी अपने उपग्रह चंद्र के साथ सूर्य का चक्कर लगाती है। चंद्र पृथ्वी का चक्कर लगाते हुए पृथ्वी के साथ चलता है। जब ये तीनों ग्रह एक सीधी लाइन में आ जाते हैं, पृथ्वी चंद्र और सूर्य के बीच में आ जाती है, तब चंद्र ग्रहण होता है। चंद्र ग्रहण पूर्णिमा पर ही होता है।
धार्मिक मान्यता – चंद्र ग्रहण से जुड़ी मान्यता राहु से जुड़ी है। जब राहु सूर्य या चंद्र को ग्रसता है यानी निगलता है, तब ग्रहण होता है। इस संबंध में प्रचलित कथा के मुताबिक पुराने समय में देवताओं और दानवों ने एक साथ मिलकर समुद्र मंथन किया था। मंथन के अंत में अमृत निकला। देवता और दानव दोनों ही अमृत पीकर अमर होना चाहते थे। उस समय भगवान विष्णु ने देवताओं को अमृत पान कराने के लिए मोहिनी अवतार लिया था।
मोहिनी देवताओं को अमृत पिला रही थी। उसी समय राहु देवताओं के बीच भेष बदलकर बैठ गया और उसने भी अमृत पी लिया। सूर्य-चंद्र ने राहु को पहचान लिया था और विष्णु जी को राहु की सच्चाई बता दी। भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से राहु का सिर धड़ से अलग कर दिया।
राहु अमृत पी चुका था, इस वजह से वह मरा नहीं। राहु के दो हिस्से हो गए। एक हिस्सा राहु और दूसरा हिस्सा केतु के नाम से जाना जाता है।
राहु की शिकायत सूर्य-चंद्र ने की थी, इस वजह से राहु इन दोनों को दुश्मन मानता है और समय-समय पर इन दोनों ग्रहों को ग्रसता है, जिसे ग्रहण कहते हैं।
फाल्गुन पूर्णिमा पर कौन-कौन से शुभ काम करें
फाल्गुन पूर्णिमा 13 और 14 मार्च को दो दिन रहेगी। 14 की सुबह करीब 10.30 बजे पूर्णिमा तिथि शुरू होगी और 14 मार्च की सुबह करीब 11.35 बजे तक रहेगी। इस वजह से 14 मार्च की सुबह फाल्गुन पूर्णिमा से जुड़े शुभ काम किए जा सकेंगे। इस दिन नदी स्नान कर सकते हैं। जरूरतमंद लोगों को दान-पुण्य करें। अपने इष्टदेव की पूजा करें।
