रसरंग में डाइट एंड वेलनेस:  अपने तेल का चयन किस तरह करें?
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रसरंग में डाइट एंड वेलनेस: अपने तेल का चयन किस तरह करें?

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डॉ. शिखा शर्मा39 मिनट पहले

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले रविवार को ‘मन की बात’ में लोगों से अपने तेल की खपत में कम से कम 10 फीदसी की कटौती करने का सुझाव दिया है। सेहतमंद रहने के लिए तेल के सेवन में कटौती करना एक अच्छा आइडिया है। लेकिन साथ ही यह जानना भी जरूरी है कि हमारे लिए कौन-सा तेल सबसे बेहतर है।

कौन-सा तेल सबसे अच्छा? स्वास्थ्य संबंधी लाभ, तापमान और स्वाद जैसे कई कारकों के आधार पर हम यह तय कर सकते हैं कि कौन-सा तेल खाना पकाने के लिए सबसे अच्छा है। – डीप फ्राई करने के लिए: मूंगफली का तेल और सनफ्लॉवर ऑयल (सूरजमुखी का तेल) सबसे बेहतर होते हैं, क्योंकि इनका स्मोक पॉइंट अधिक होता है। – सौते (हल्की आंच पर भूनना): इसके लिए जैतून का तेल (ऑलिव ऑयल) तथा तिल का तेल सबसे अच्छे माने जाते हैं। – बघार के लिए: इसके लिए सरसों का तेल, मूंगफली का तेल या सनफ्लॉवर ऑयल का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। – बेकिंग के लिए: बेकिंग आइटमों के लिए नारियल का तेल सबसे बेहतर माना जाता है। लेकिन ध्यान रहें, नारियल के उसी तेल का इस्तेमाल करें जो खाने योग्य (एडिबल) हो। सनफ्लॉवर ऑयल भी एक विकल्प है। – ड्रेसिंग के लिए: ड्रिजलिंग व ड्रेसिंग (सजावट) के लिए एक्स्ट्रा वर्जिन ऑलिव ऑयल सबसे बेहतर। अलसी का तेल भी अच्छा विकल्प है।

कोल्ड-प्रेस्ड/कच्ची घानी तेल क्या है? इन दिनों कोल्ड-प्रेस्ड या कच्ची घानी तेल काफी चर्चा में रहते हैं। कोल्ड प्रेस्ड या कच्ची घानी तेल वह होता है, जो नेचुरल प्रक्रिया से बगैर गर्म किए और बगैर किसी केमिकल का इस्तेमाल किए निकाला जाता है। इस विधि में तेल के पोषक तत्व, एंटीऑक्सीडेंट्स और मूल स्वाद सुरक्षित रहते हैं। ये तेल फिल्टर तेल कहलाते हैं, क्योंकि इन्हें सामान्य तरीके से ही फिल्टर किया जाता है। ये फिल्टर या कोल्ड प्रेस्ड तेल, रिफाइंड तेलों की तुलना में अधिक सेहतमंद होते हैं, क्योंकि रिफाइंड तेलों में रिफाइन करने के लिए केमिकल का इस्तेमाल काफी मात्रा में होता है। तेल की शेल्फ लाइफ बढ़ाने के लिए उसे ब्लीचिंग और डियोडराइजिंग जैसी प्रक्रियाओं से भी गुजारा जाता है, जिससे तेल से आवश्यक पोषक तत्व और एंटीऑक्सीडेंट्स नष्ट हो जाते हैं। इसलिए जहां तक संभव हो सके, रिफाइंड तेलों के सेवन से बचना चाहिए। तेल खरीदते समय लेबल से आपको पता चल जाएगा कि कौन-सा तेल फिल्टर है और कौन-सा रिफाइंड। सोयाबीन, सनफ्लॉवर, राइस ब्रान आमतौर पर रिफाइंड होते हैं। मूंगफली, सरसों, तिल, नारियल जैसे तेल फिल्टर होते हैं और इसलिए अपेक्षाकृत अधिक सेहतमंद।

कितना तेल खाएं? तेल कोई सा भी हो, ज्यादा मात्रा में खाने पर सेहत के लिए हानिकारक होता ही है। एक वयस्क व्यक्ति को रोजाना अधिकतम तीन छोटे चम्मच तेल ही खाना चाहिए। तीन चम्मच का मतलब है करीब 20 मिली तेल। यानी महीने में लगभग आधा लीटर या 600 मिली तेल। अर्थात अगर छोटे-बड़े मिलाकर चार सदस्य हैं तो दो या अधिकतम ढाई लीटर से ज्यादा तेल की खपत नहीं होनी चाहिए, छौंक, अचार, डीप फ्राई सब मिलाकर।

क्यों बार-बार बदलें तेल? हर कुकिंग ऑयल अपने आप में विशिष्ट होता है। तेल में तीन तरह के फैट पाए जाते हैं – पॉलीअनसैचुरेटेड फैट (PUFA), मोनोअनसैचुरेटेड फैट (MUFA) और सैचुरेटेड फैट। किसी तेल में कोई ज्यादा रहता है तो किसी तेल में कोई कम। तीनों ही फैट की एक निश्चित मात्रा हमारे शरीर के लिए जरूरी है। न एक सीमा से ज्यादा, न ही बहुत कम। इसलिए तेलों को बदल-बदलकर खाना एक बेहतर तरीका होता है। इससे तीनों फैट हमारे शरीर को मिलते रहते हैं और उनकी अधिकता भी नहीं होती। इसके अलावा किचन में कम से कम दो तरह के तेल इसलिए भी रखने चाहिए, क्योंकि हर तेल डीप फ्राई के लिए अच्छा नहीं होता।



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