रसरंग में मायथोलॉजी:  पांडवों के सामने द्रौपदी ने रखी थी अनूठी शर्त!
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रसरंग में मायथोलॉजी: पांडवों के सामने द्रौपदी ने रखी थी अनूठी शर्त!

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सभी जानते हैं कि पांडव द्रौपदी को अपने बीच साझा करते थे, लेकिन कई लोग इस बात से अपरिचित होंगे कि प्रत्येक पांडव की अन्य पत्नियां भी थीं। वास्तव में शक्तिशाली भीम विवाह करने वाले पहले पांडव थे, न कि ज्येष्ठ युधिष्ठिर या महान धनुर्धर अर्जुन। कौरवों ने पांडवों को पुरोचन नामक वास्तुकार द्वारा लाख से बनाए गए लाक्षागृह नामक महल में रहने के लिए आमंत्रित किया था। उनका उद्देश्य महल में आग लगाकर पांडवों का वध करना था। लेकिन पांडवों को इस षड्यंत्र के बारे में पहले ही पता चल गया था और वे महल से जंगल भाग आए थे। वहां वे एक ब्राह्मण विधवा के पुत्रों के वेश में रहने लगे। जंगल में भीम ने बक और हिडिम्ब जैसे कई राक्षसों का वध किया। हिडिम्ब की बहन हिडिम्बि ने भीम की शक्ति से प्रभावित होकर उनसे विवाह किया। हिडिम्बि ने घटोत्कच नामक पुत्र को जन्म दिया। राजस्थान और ओडिशा की कुछ लोककथाओं के अनुसार इससे भी पहले भीम ने एक नाग स्त्री से विवाह किया था। एक बार जब कौरवों ने उन्हें विष पिलाकर डुबाेने का प्रयास किया, तब अहुक नामक नाग भीम को बचाकर उन्हें नाग लोक ले गया। वहां भीम का एक नाग कन्या से विवाह किया गया। दोनों ने बिलालसेन नामक पुत्र को जन्म दिया, जिसने आगे जाकर कुरुक्षेत्र के युद्ध में भी भाग लिया। इसी कथा के अन्य कथनों के अनुसार बिलालसेन, जिसे बर्बरीक के नाम से भी जाना जाता था, घटोत्कच का पुत्र था। इस प्रकार, बिलालसेन भीम का पुत्र नहीं, बल्कि पोता था। यह तय हुआ कि द्रौपदी प्रत्येक पांडव के साथ एक वर्ष रहकर अगले पांडव के साथ रहने चली जाएंगी। इस व्यवस्था ने निश्चित किया कि पांडवों में ईर्ष्या नहीं होगी और इससे द्रौपदी की संतानों के पिता का निर्धारण करना भी सहज हो गया। बीच के चार वर्षों में प्रत्येक पांडव अपनी किसी अन्य पत्नी के साथ समय बिताते थे। युधिष्ठिर ने सिवि जनजाति के गोवासन की पुत्री देविका से विवाह किया। दोनों ने यौधेय नामक पुत्र को जन्म दिया। भीम ने काशी की राजकुमारी वलंधरा से विवाह किया और दोनों को सर्वग नामक पुत्र हुआ। नकुल ने चेदि की राजकुमारी करेणुमति से विवाह किया और उन्हें निरामित्र नामक पुत्र हुआ। सहदेव ने मद्र के राजा द्युतिमत की पुत्री विजया से विवाह किया और दोनों को सुहोत्र नामक पुत्र हुआ। ये सभी पत्नियां अपने-अपने पुत्रों के साथ अपने-अपने पिताओं के साथ रहती थीं। द्रौपदी सभी पांडवों की सार्वजनिक पत्नी बनने के लिए इस शर्त पर तैयार हुई थीं कि वे अपनी गृहस्थी किसी अन्य स्त्री के साथ साझा नहीं करेंगी। इसलिए उस समय की प्रथा के विपरीत पांडव अपनी अन्य पत्नियों को इंद्रप्रस्थ नहीं ला सकते थे। लेकिन अर्जुन अपनी एक पत्नी और कृष्ण की बहन सुभद्रा को लाने में सफल हुए। हालांकि अर्जुन द्रौपदी के सबसे प्रिय पति थे, लेकिन सभी पांडवों में उन्हीं की सबसे अधिक पत्नियां थीं। कथा है कि एक बार जब युधिष्ठिर द्रौपदी के साथ उनके कक्ष में थे, तब अर्जुन ने भूल से उसमें प्रवेश कर लिया। इसका प्रायश्चित करने के लिए वे एक ‘तीर्थयात्रा’ पर गए, जहां उन्होंने कई महिलाओं से विवाह किया। संस्कृत पुनःकथन में अर्जुन ने उलूपी नामक नाग कन्या सहित मणिपुर की राजकुमारी चित्रांगदा और कृष्ण की बहन सुभद्रा से विवाह किया। लेकिन महाभारत के तमिल पुनःकथनों के अनुसार उन्होंने कुल सात स्त्रियों से विवाह किए। उनमें से एक अली नामक योद्धा भी थीं। अर्जुन उनसे इतना आसक्त हुए कि वे उनसे विवाह करना चाहते थे। जब अली ने उन्हें नकार दिया, तब अर्जुन ने कृष्ण से मदद मांगी। कृष्ण ने अर्जुन को सांप में बदल दिया। सांप के रूप में अर्जुन ने अली की शय्या में प्रवेश कर और उन्हें डराकर उनसे विवाह किया। कुछ लोगों का मानना है कि उन्होंने अली के साथ संपूर्ण रात सांप बनकर बिताई और इसलिए उन्हें अपनी पत्नी बनने के लिए विवश किया। इस प्रकार, महाभारत में बहुपति प्रथा और बहुपत्नी प्रथा का सहजता से उल्लेख किया गया है। रोचक बात यह है कि अधिकांश कथाकार बहुपति प्रथा से लज्जित हैं, जबकि बहुपत्नी प्रथा से इतने नहीं। इसलिए द्रौपदी के कई पति होने की बात ‘समझाने’ के लिए कई कहानियां हैं, लेकिन पांडवों की अन्य पत्नियों को समझाने के लिए इतनी कहानियां नहीं हैं।



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