रसरंग में मेरे हिस्से के किस्से:  जितेंद्र और हसन दोनों ने ठुकरा दी थी चालबाज
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रसरंग में मेरे हिस्से के किस्से: जितेंद्र और हसन दोनों ने ठुकरा दी थी चालबाज

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रूमी जाफरी3 घंटे पहले

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‘चालबाज’ फिल्म के एक दृश्य में श्रीदेवी और शक्ति कपूर। - Dainik Bhaskar

‘चालबाज’ फिल्म के एक दृश्य में श्रीदेवी और शक्ति कपूर।

बीती 24 फरवरी को श्रीदेवी जी की पुण्यतिथि थी। हम सब ने उन्हें बहुत याद किया। उनकी यादगार फिल्मों में से एक फिल्म है चालबाज। तो आज मेरे हिस्से के किस्से में बात इसी चालबाज मूवी की करते हैं।

चालबाज के डायरेक्टर पंकज पराशर मेरे अजीज दोस्त हैं। मैंने उनके साथ काम भी किया है। मैंने उनसे पूछा कि फिल्म कैसे प्लान हुई तो उन्होंने बताया कि मेरी फिल्म ‘जलवा’ देखकर एलवी प्रसाद जी ने दक्षिण के बहुत बड़े प्रोड्यूसर पूरनचंद राव जी से कहा कि आप इस डायरेक्टर को लेकर फिल्म बनाओ। उसके बाद पूरनचंद जी ने मुझसे संपर्क किया और अपने ऑफिस बुलाया। मैं रास्ते भर सोचता हुआ गया कि मैं कहूंगा कि आपने तो अमिताभ बच्चन के साथ अंधा कानून, आखिरी रास्ता जैसी सुपरहिट फिल्में बनाई हैं और मेरी दिली ख्वाइश है कि मैं भी अमिताभ जी के साथ काम करूं। मैं जैसे ही उनके दफ्तर में पहुंचा तो मैंने देखा कि सामने ही श्रीदेवी की साउथ की किसी फिल्म का पोस्टर लगा था।

उसे देखकर मेरा इरादा बदल गया। मैंने तुरंत पूरनचंद जी से कहा कि क्या आप श्रीदेवी को जानते हैं? उन्होंने कहा कि यह तुम्हारे लिए श्रीदेवी है, मगर मेरे लिए ‘पप्पी’ है (उनके करीबी लोग श्रीदेवी जी को प्यार से पप्पी बुलाते थे) और उसके साथ मेरा पारिवारिक रिश्ता है। मैं श्रीदेवी से बात कर लूंगा, मगर सब्जेक्ट क्या है? मैं किसी तैयारी के साथ तो गया नहीं था। मेरे दिमाग में तो अमिताभ बच्चन का ही नाम था। तो अचानक मेरे मुंह से निकल गया- सीता और गीता। पूरनचंद जी ने कहा, ठीक है और उन्होंने उसी वक्त 11 हजार रुपए के साइनिंग अमाउंट का चेक मुझे दे दिया और बोले कि पप्पी अभी अमेरिका में है, मगर कल दोपहर तक मैं तुम्हें डेट्स दे दूंगा। अगले दिन ही उन्होंने मुझे डेट्स भी दे दीं। उसके बाद पूरनचंद जी ने कहा कि तुम फौरन स्क्रिप्ट लिखने बैठ जाओ। मैंने पूछा कि सर हीरो किसको लेंगे तो वो बोले, धर्मेंद्र के रोल में रजनीकांत को और संजीव कुमार के रोल में जितेंद्र को ले लेंगे। दोनों से भी मेरे बहुत करीबी रिश्ते हैं। उन्होंने जीतू जी का अपॉइंटमेंट फिक्स कर दिया। मैंने जाकर उन्हें कहानी सुनाई। कहानी सुनकर जितेंद्र को मजा नहीं आया। उन्होंने मुझसे कहा कि पंकज, तूने करमचंद जैसा इतना स्टाइलिश शो बनाया, जलवा जैसी इतनी जबरदस्त फिल्म बनाई। तो तू रमेश सिप्पी की फिल्म का रीमेक क्यों कर रहा है? कुछ ओरिजिनल बना न तेरे स्टाइल का।

मैंने ये बात पूरनचंद जी को बताई तो वो बोले कि कोई बात नहीं, हम किसी और को ले लेंगे। तुम्हें सीता और गीता बनानी है न, तो तुम उसी पर काम करो। मैंने कहा ठीक है और मैं राजेश मजूमदार और कमलेश पांडेय को लेकर पूरनचंद जी के बंगले पर चला गया। वहीं बैठकर मैंने स्क्रिप्ट ये सोचकर लिखी कि इसको सीता और गीता से अलग कैसे करूं। खैर वहां से मैं लौटकर आया तो पूरनचंद जी ने कहा कि मैंने कमल हसन से अपॉइंटमेंट फिक्स कर दी है। तुम उसे सुनाओ। मैं कमल हसन के पास गया और उनको नरेशन दिया तो वे बोले कि तुमने सीता और गीता में बदलाव क्यों कर दिए? ये तुम गलत कर रहे हों। अगर तुम शेक्सपीयर की कहानी लेकर बोलोगे कि मैंने इसमें बदलाव कर दिए हैं तो वो खराब हो जाएगी। वैसे भी तुम्हारे डायलॉग्स, तुम्हारे किरदार, तुम्हारी लोकेशन, तुम्हारा शॉट डिवीजन सब अलग होगा तो फिल्म तो अलग लगनी ही है। लेकिन सीता और गीता की जो बुनियादी कहानी है, उसे मत बदलो।

मैं मन में सोचने लगा कि जितेंद्र ने इसलिए मना कर दिया, क्योंकि उन्हें लगा कि मैं सीता और गीता ही बना रहा हूं और कमल हसन ने इसलिए मना कर दिया क्योंकि मैंने सीता और गीता को बदल दिया है। खैर, मैंने आकर पूरनचंद जी को बताया तो उन्होंने कहा कि तुम अपने कन्विक्शन से सीता और गीता को लिखो। हीरो तो दूसरा भी आ जाएगा। और फिर सनी देओल ने रोल किया और बाकी रिजल्ट तो दुनिया के सामने है। चालबाज यादगार फिल्मों में से एक बनी। इसी बात पर मुझे शकील बदायुनी का एक शेर याद आ रहा है:

चाहिए खुद पे यकीन-ए-कामिल हौसला किसका बढ़ाता है कोई

मुझे पंकज ने बताया कि जब फिल्म की फर्स्ट कॉपी आई और उसका पहला ट्रायल हुआ तो मैंने रमेश सिप्पी जी को बुलाया और उनके पैरों में बैठकर पूरी फिल्म देखी और उन्हें दिखाई। फिल्म खत्म होने के बाद उन्होंने मुझे शाबाशी दी।

इसी बात पर मुझे जावेद साहब का सुनाया एक और किस्सा याद आ रहा है। जावेद साहब ने बताया कि हम सिप्पी फिल्म में काम करते थे और तब ‘राम और श्याम’ बहुत बड़ी हिट हो गई थी। तब सिप्पी फिल्म ने सोचा कि क्यों न दिलीप कुमार की जगह किसी हीरोइन को लेकर इसी फिल्म को बनाया जाए और उन्होंने हेमा मालिनी को लेकर सीता और गीता बना दी, जो सुपर-डुपर हिट हुई। राम और श्याम के प्रोड्यूसर थे बी नागी रेड्डी। एक दिन सिप्पी फिल्म में नागी रेड्डी जी का फोन आया कि मैं बम्बई आया हूं और मुझे सिप्पी साहब से मिलना है। सिप्पी साहब ने टाइम भी दे दिया कि कल आ जाइए। ऑफिस में बहुत हलचल मच गई कि नागी रेड्‌डी जी आने वाले हैं, जिनकी राम और श्याम को चुराकर सीता और गीता बना दी है, उसका रीमेक किया है। तो इनको कैसे फेस करेंगे। नागी रेड्डी जी आए और जीपी सिप्पी साहब से मिलकर चले गए। सबने पूछा कि क्यों आए थे तो जीपी साहब ने बताया कि वो तमिल के लिए ‘सीता और गीता’ के रीमेक राइट लेने आए थे। बकौल सिप्पी साहब, मैंने उनसे कहा कि सर क्यों शर्मिंदा कर रहे हैं। हमने तो आप ही की राम और श्याम में हीरो को हीरोइन के साथ रीमेक किया है। तो नागी रेड्डी जी ने कहा, लेकिन हीरो के रोल में लड़की ये रोल करेगी, ये तो आपका आइडिया है न? पैसे आइडिया के होते हैं। तो आपसे मैं राइट्स लेने के बाद ही इसे साउथ में बनाऊंगा। ऐसा मॉरल और ऐसा करैक्टर हुआ करता था नागी रेड्डी जैसे इंसानों का। तो आज श्रीदेवी की याद में उनके बुखार के दौरान शूट किया हुआ फिल्म ‘चालबाज’ का ये गाना सुनिए, अपना खयाल रखिए, खुश रहिए।

न जाने कहां से आई है, न जाने कहां को जाएगी…



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