रसरंग में मेरे हिस्से के किस्से:  पठकथाकार को ड्राइवर सहित तोहफे में दी थी कार
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रूमी जाफरी4 घंटे पहले

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ख्वाजा अहमद अब्बास के साथ राजकपूर - Dainik Bhaskar

ख्वाजा अहमद अब्बास के साथ राजकपूर

मेरे हिस्से के किस्से में मैंने पिछले हफ्ते राज कपूर जी के सौवें जन्मदिन और रणधीर कपूर जी द्वारा मुझे गिफ्ट किए हुए उनके सोफे का किस्सा सुनाया था। मगर राज कपूर जी का जो किरदार है और सिनेमा में उनका जो योगदान है, वह एक-दो या चार कॉलम में नहीं लिखा जा सकता। फिर भी मैंने सोचा कि कम से कम एक और कॉलम लिखकर कुछ और बातें आप लोगों से साझा करनी चाहिए। इसलिए आज मेरे हिस्से के किस्से में बात फिर राज कपूर साहब की।

उनका सौवां जन्मदिन बहुत जबरदस्त तरीके से मनाया गया। उस दिन पीवीआर में चारों तरफ उनकी फिल्मों के पोस्टर लगे थे। उनके कई फोटोग्राफ भी लगे थे, उनकी निजी जिंदगी के, पृथ्वीराज कपूर जी के साथ, शम्मी कपूर, शशि कपूर के साथ, अपनी बहन उम्मी के साथ, उनके बच्चों – ऋषि कपूर, रणधीर कपूर के साथ। वह उनके म्यूजिक के सारे इंस्ट्रूमेंट्स ढोलक, तबला, सारंगी, हारमोनियम, अक्सोर्डियन से इतना अच्छा सजा था कि मन कर रहा था कि बस देखते ही रहें। उनका आवारा का पोस्टर, आवारा का स्टैन्डी। मेरा नाम जोकर में जोकर का स्टैन्डी। लोग उसके साथ फोटो खिंचवा रहे थे। एक तरफ पूरा बैंड बैठा था, जो राज कपूर के गानों की धुनें बजा रहा था।

अपनी गाड़ी से उतरते ही मैंने एंट्रेंस पर देखा कि पूरा परिवार खड़ा हुआ है। रणधीर कपूर और बबिता जी कुर्सी पर बैठे हैं। बाकी सभी लोग नीतू कपूर, नीला आंटी, केतन देसाई, कंचन देसाई, करिश्मा कपूर, करीना कपूर, सैफ अली खान, रीमा, मनोज जैन, उनके दोनों बेटे, रिद्धिमा, ये पूरा परिवार एंट्रेंस पर खड़े होकर सबका इस्तकबाल कर रहा था। मैं अपनी बेटी अल्फिया और बेटे साहिर के साथ जैसे ही पहुंचा, सबसे पहले नीतू जी ने मुझे देखा और अपनी स्टाइल में चिल्लाई – रूमी जी और मुझे गले लगा लिया। बड़ी गर्मजोशी से मेरा स्वागत किया। उसके बाद रणबीर से मुलाकात हुई। हम चिंटू जी की बातें करने लगे, उन्हें याद करने लगे। हम उन्हें मिस कर रहे थे। उसके बाद सैफ मिले, फिर करिश्मा, करीना, केतन देसाई। सबसे हैरानी की बात ये थी कि सारे लोग एंट्रेंस पर खड़े होकर सभी का वेलकम कर रहे थे, मिल रहे थे। मैंने अपने बच्चों से कहा कि देखो ये फैमिली है, कितनी कमाल है, कितनी विनम्र है, कितनी डाउन टु अर्थ है। ये जितने भी लोग खड़े हैं, सब कितने बड़े स्टार हैं। रणबीर, आलिया, करिश्मा, करीना, नीतू जी। चारों तरफ इतनी पब्लिक है, लेकिन कोई खास सिक्योरिटी नहीं है। जो आ रहा है, उनसे आराम से मिल रहा है और अंदर जा रहा है।

मुझे वहां पर कृष्णा आंटी की याद आ रही थी। फिर वहीं पर बोनी साहब मिल गए। बोनी साहब और मैं कृष्णा आंटी, राज कपूर के बारे में पुरानी बातें करने लगे। बोनी कपूर उन चंद लोगों में से हैं, जो राज कपूर के सबसे नजदीक थे। राज कपूर उन्हें बहुत चाहते थे। बोनी साहब ने बताया कि राज कपूर इतने पैशनेट फिल्ममेकर थे कि उन्होंने अपनी कमाई फिल्म बनाने, स्टूडियो बनाने में लगाई। घर बाद में बनाया। मैंने कहा कि हां, मुझे भी कृष्णा आंटी ने बताया था कि मेरी आधी जिंदगी किराए के घर में कट गई। मैं उनसे झगड़ा करती थी। उन पर नाराज होती थी और कहती थी कि तुम स्टूडियो बना रहे हो, पहले घर तो बनाओ। इस बात पर वो मुझसे प्यार से कहते थे कि कृष्णा, फिल्म मेरा पैशन है, फिल्म स्टूडियो से बनती है, घर से नहीं और किसी भी फिल्ममेकर का सपना होता है कि उसका अपना एक स्टूडियो हो। तो मैं कहती थी कि मैं घरवाली हूं और हर घरवाली का सपना होता है उसका अपना घर। तो इस पर वो हंसकर बोलते थे कि कृष्णा मेरा सपना पूरा होगा तो तुम्हारा सपना भी पूरा होगा।

‘मेरा नाम जोकर’ के बाद उन्होंने स्टूडियो भी गिरवी रख दिया था। उनका कर्ज ‘बॉबी’ में उतरा और उसके भी कई सालों के बाद जाकर उन्होंने घर खरीदा। जिस घर में वो किराए से रह रहे थे, वही घर उन्होंने बाद में कृष्णा आंटी को गिफ्ट किया था। इसी बात पर मुझे अमीर कजलबाश का एक शेर याद आ रहा है –

मिरे जुनूं का नतीजा ज़रूर निकलेगा इसी सियाह समुंदर से नूर निकलेगा

मुझे बोनी साहब ने बताया कि ‘मेरा नाम जोकर’ के समय उन पर कर्ज हो गया था और एक दिन उनके पास ख्वाजा अहमद अब्बास आए और उनको कहानी का आइडिया सुनाया। उन्होंने राज साहब से कहा कि मेरे कहने पर आप ये कहानी बनाओ। आपके सारे कर्ज उतर जाएंगे। और फिर राज कपूर साहब ने फिर बनाईं ‘बॉबी’। यह इतनी बड़ी हिट हुई कि सचमुच उनके सारे कर्ज उतर गए। लेकिन एक दिन राज साहब ने एक नई एम्बेसडर कार खरीदी और उसे लेकर अब्बास साहब के यहां पहुंचे। अब्बास साहब से बोले कि ये कार मेरी तरफ से आपको गिफ्ट है और गाड़ी में ये जो ड्राइवर बैठा है, ये भी आपका ड्राइवर है। इसकी तनख्वाह आर. के. प्रोडक्शन देगा। आर. के. का जिस पेट्रोल पंप पर खाता चलता है, पेट्रोल भी वहीं से डलेगा। तो उन्होंने गाड़ी भी ड्राइवर और पेट्रोल के साथ गिफ्ट की। ये दिल था राज कपूर का।

वो इतने खुद्दार थे कि उन पर इनकम टैक्स का कुछ पैसा निकलता था, एक विवाद था। उसको चुकाने के लिए उन्होंने पड़ोस में जो श्रीकांत स्टूडियो खरीदा था, वो बेच दिया लेकिन किसी मंत्री, नेता या ऑफिसर से बात करके उसे माफ कराने की कोशिश नहीं की। आज उनकी याद में उनकी फिल्म ‘अनाड़ी’ का ये गीत सुनिए, अपना खयाल रखिए, खुश रहिए।

सब कुछ सीखा हमने, न सीखी होशियारी…

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