21 मिनट पहले
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संत कबीर काम करते-करते अपने शिष्यों को और अन्य लोगों को उपदेश दिया करते थे। वे कपड़ा बुनने का काम करते थे। कपड़ा बुनने और उपदेश देने के साथ ही वे भगवान का ध्यान भी कर लिया करते थे। वे दिनभर सभी काम बहुत संतुलित ढंग से करते थे।
एक व्यक्ति ने कबीरदास की दिनचर्या को बहुत ध्यान से कई दिनों तक देखा। एक दिन उसने कबीर जी से पूछा कि मैं कई दिनों से आपको देख रहा हूं, आप परमात्मा की भक्ति के लिए प्रसिद्ध हैं, आप दिनभर कपड़े बुनते रहते हैं, लोगों को उपदेश भी देते हैं, इतना व्यस्त रहने के बाद भी आप भक्ति कब करते हैं।
कबीरदास ने उस व्यक्ति की बातें ध्यान से सुनीं। कबीर लोगों के प्रश्नों का उत्तर उदाहरण के साथ दिया करते थे। उन्होंने उस व्यक्ति से कहा कि मैं तुम्हारे प्रश्न का उत्तर दूंगा, लेकिन पहले चलो आगे चौराहे तक थोड़ा घूम आते हैं।
कबीर जी की बात उस व्यक्ति ने मान ली और दोनों साथ चल दिए। रास्ते में कबीर जी को एक महिला दिखाई दी, उस महिला ने सिर पर पानी से भरा घड़ा रखा हुआ था।
वह महिला गीत गाते हुए चल रही थी, लेकिन उसने घड़े को पकड़ा नहीं था, घड़ा सिर पर स्थिर था, वह हिल भी नहीं रहा था, इसलिए घड़े का पानी भी छलक नहीं रहा था।
कबीर जी ने उस व्यक्ति से कहा कि इस महिला को देख रहे हो? ये अपने गीत गाते हुए पानी लेकर जा रही है। इसका ध्यान अपने घड़े पर भी है, अपने गाने पर भी है और रास्ते पर भी है। बस ठीक इसी तरह मैं भी अपने सभी काम करता हूं। हर पल मेरा मन परमात्मा की भक्ति में भी लगा रहता है और मैं अन्य काम भी करते रहता हूं।
कबीर की सीख
- संत कबीर की बातें सुनकर उस व्यक्ति को समझ आ गया कि जीवन में संतुलन होना बहुत जरूरी है।
- कबीर ने उस व्यक्ति को आगे समझाया कि हमें जीविका चलाने के लिए काम करने की जरूरत है, लेकिन इसके साथ ही हमारा मन भक्ति में भी लगे रहना चाहिए।
- परमात्मा का ध्यान करते रहेंगे तो मन शांत रहेगा और विपरीत समय में भी हम विचलित नहीं होंगे, भक्ति हमें कर्म करने की शक्ति देती है।