हरिद्वार13 घंटे पहले
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भारत की सनातन संस्कृति में माता-पिता, गुरु, वरिष्ठ, विद्वान, चरित्रशील लोगों का आदर करने के लिए कहा गया है। इन्हीं में देवत्व रहता है, इसलिए हमारी संस्कृति में माता-पिता और हमारे पूर्वजों को देव प्रतिमा कहा जाता है। वे देवताओं की साकार प्रतिमाएं हैं, क्योंकि इनमें परम पिता के संदेश हैं, उनके अंश हैं। हमें कभी भी अपने माता-पिता का अनादर नहीं करना चाहिए।
आज जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद जी गिरि के जीवन सूत्र में जानिए हमारे किन कामों से देवता प्रसन्न होते हैं?
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