होलाष्टक आज से शुरू:  होलाष्टक से होली तक, इन 8 दिनों में मांगलिक कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त क्यों नहीं होते हैं?
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होलाष्टक आज से शुरू: होलाष्टक से होली तक, इन 8 दिनों में मांगलिक कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त क्यों नहीं होते हैं?

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44 मिनट पहले

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आज (7 मार्च) फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि से होलाष्टक शुरू हो गया है, जो कि 13 मार्च को होलिका दहन के साथ खत्म होगा। होलाष्टक यानी होली से पहले के आठ दिन। इन आठ दिनों का महत्व काफी अधिक है, इन दिनों में विवाह, गृह प्रवेश और मुंडन जैसे शुभ कार्य के मुहूर्त नहीं रहते हैं। होलाष्टक के समय में मंत्र जप, पूजा, अभिषेक, दान-पुण्य, हवन, ध्यान आदि शुभ काम करना चाहिए।

ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, होलाष्टक के दिनों ग्रहों की स्थिति उग्र रहती है। प्रत्येक दिन अलग-अलग ग्रह उग्र स्थिति में रहते हैं। अष्टमी को चंद्र, नवमी को सूर्य, दशमी को शनि, एकादशी को शुक्र, द्वादशी को गुरु, त्रयोदशी को बुध, चतुर्दशी को मंगल, पूर्णिमा को राहु। इन ग्रहों की उग्रता के कारण होलाष्टक के दिनों में मांगलिक कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त नहीं रहते हैं। मांगलिक कामों में सभी ग्रहों की शुभ स्थिति देखी जाती है, तभी इन कामों के लिए मुहूर्त मिलते हैं। अगर ग्रहों की उग्र स्थिति में मांगलिक कार्य किए जाते हैं तो इन कामों में सफलता मिलने की संभावनाएं काफी कम हो जाती हैं।

भक्त प्रह्लाद की कथा – पौराणिक कथा है कि असुरों के राजा हिरण्यकश्यपु ने अपने पुत्र प्रह्लाद को मारने के लिए फाल्गुन कृष्ण अष्टमी से फाल्गुन पूर्णिमा तक कई यातनाएं दी थीं। इतनी यातनाएं झेलते हुए भी प्रह्लाद विष्णु जी की भक्ति करता रहा, इसकारण वह सारी यातनाओं से बच गया। अंत में हिरण्यकश्यपु की बहन होलिका प्रह्लाद को लेकर आग में बैठ गई। होलिका को आग में न जलने का वरदान मिला था, लेकिन विष्णु कृपा से प्रह्लाद तो बच गया, लेकिन होलिका जल गई।

होलाष्टक के दिनों में कौन-कौन से शुभ काम करें

  • होलाष्टक के आठ दिनों को साधना और पूजा-पाठ के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। इस दौरान विशेष रूप से हनुमान जी, शिव जी और विष्णु जी की पूजा करना शुभ फलदायी होता है। तंत्र-मंत्र साधक इस समय विशेष अनुष्ठान करते हैं। तीर्थ यात्रा, दान-पुण्य और मंत्र जाप करने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  • शिवलिंग पर जल और दूध चढ़ाएं। शिवलिंग पर चंदन का लेप लगाएं। बिल्व पत्र, धतूरा, आंकड़े फूलों से श्रृंगार करें। ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करें।
  • हनुमान जी के सामने दीपक जलाएं और ऊँ रामदूताय नम: मंत्र का जप करें। हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ करें।
  • होलाष्टक होलिका दहन के बाद खत्म होता है। तब तक अपने इष्टदेव के मंत्रों का जप करना चाहिए। माता-पिता और गुरु से आशीर्वाद लेकर दिन की शुरुआत करें।
  • घर के मंदिर में बाल गोपाल का विशेष अभिषेक करें। माखन-मिश्री के साथ तुलसी चढ़ाएं। भगवान विष्णु और महालक्ष्मी की पूजा करें। ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करें।
  • होलाष्टक में मांगलकि कार्यों के लिए मुहूर्त नहीं रहते हैं, लेकिन ये समय साधना और भक्ति के लिए अत्यंत श्रेष्ठ समय माना जाता है।

होलिका दहन वाले दिन रहेगा भद्रा का साया

13 मार्च की शाम को होलिका दहन किया जाएगा। इस दिन पूर्णिमा तिथि रहेगी। 13 मार्च की सुबह करीब 10:20 बजे से रात 11:30 बजे तक भद्रा रहेगी। भद्रा के समय में होलिका दहन नहीं करना चाहिए। इस कारण 13 मार्च की रात 11.30 बजे के बाद होलिका दहन करना ज्यादा शुभ रहेगा।

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