Ajay Devgan’s one-liners are the real soul of the film, Aman and Rasha’s hard work was visible, story and screenplay were weak | मूवी रिव्यू- आजाद: अजय देवगन की वन-लाइनर्स फिल्म की असली जान, अमन और राशा की मेहनत नजर आई, कहानी-स्क्रीनप्ले कमजोर
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Ajay Devgan’s one-liners are the real soul of the film, Aman and Rasha’s hard work was visible, story and screenplay were weak | मूवी रिव्यू- आजाद: अजय देवगन की वन-लाइनर्स फिल्म की असली जान, अमन और राशा की मेहनत नजर आई, कहानी-स्क्रीनप्ले कमजोर

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3 घंटे पहलेलेखक: वीरेंद्र मिश्र

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अजय देवगन के भांजे अमन देवगन और रवीना टंडन की बेटी राशा थडानी ने फिल्म ‘आजाद’ से बॉलीवुड में डेब्यू किया है। इस फिल्म में अजय देवगन, डायना पेंटी, पीयूष मिश्रा और मोहित मलिक की अहम भूमिकाएं हैं। यह फिल्म आज सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। इस फिल्म की लेंथ 2 घंटे 27 मिनट है। दैनिक भास्कर ने इसे 5 में से 3 स्टार रेटिंग दी है।

फिल्म की कहानी क्या है?

फिल्म की कहानी आजादी से पहले 1920 की है। गोविंद (अमन देवगन) अपनी नानी से महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक की कहानियां सुन कर अपने लिए एक काले घोड़े को पाने का सपना देखता रहता है। वह गांव के जमींदार (पीयूष मिश्रा) के अस्तबल में घोड़ों की देखभाल करता है। एक बार वह एक घोड़े पर गलती से बैठ जाता है। उसकी बहुत पिटाई होती है। गोविंद को लगता है कि जमींदार की बेटी जानकी (राशा थडानी) की शिकायत पर उसकी पिटाई हुई है।

गांव में होली समारोह के दौरान गोविंद, जानकी के चेहरे पर रंग डाल देता है। दुबारा पिटाई के डर से वह चंबल के बीहड़ में भाग जाता है। वहां उसकी मुलाकात बागी विक्रम सिंह (अजय देवगन) से होती है। विक्रम सिंह के पास आजाद नाम का एक काला घोड़ा है। जिसे गोविंद अपने सपने में देखा करता था। वह आजाद से दोस्ती बनाने की कोशिश करता है, लेकिन उसे विक्रम सिंह के अलावा कोई और काबू में नहीं रखा सकता है। एक हमले में विक्रम सिंह की जान चली जाती है। इसके बाद गोविंद आजाद के करीब कैसे आता है? गांव वापस आकार अंग्रेजों और जमींदार को आजाद के साथ मिलकर कैसे परास्त करता है? यही इस फिल्म की कहानी है।

स्टारकास्ट की एक्टिंग कैसी है?

फिल्म का शीर्षक जैसा आजाद है, वैसे ही फिल्म की पूरी कहानी आजाद नाम के घोड़े के ही इर्द-गिर्द घूमती है। अमन देवगन और राशा थडानी ने इस फिल्म को लेकर जिस तरह की तैयारी की है। वह फिल्म में नजर आता है। डेब्यू फिल्म के हिसाब से दोनों का परफॉर्मेंस बहुत अच्छा है। अजय देवगन के वन-लाइनर्स फिल्म की असली जान हैं। डायना पेंटी, पीयूष मिश्रा, मोहित मलिक ने अपने किरदार के साथ पूरी तरह से न्याय करने की कोशिश की है। गांव के सपोर्टिंग कलाकारों ने अच्छा काम किया है।

डायरेक्शन कैसा है?

इस फिल्म को अभिषेक कपूर ने डायरेक्ट की है। इस फिल्म का सबसे कमजोर पहलू सुस्त स्क्रीनप्ले है। फिल्म का फर्स्ट हाफ थोड़ा कमजोर है। कहानी चंबल के ही बीहड़ों में घूमती रहती है। अमन और राशा की लव स्टोरी वाले सीन पर थोड़ा और मेहनत करने की जरूरत थी। फिल्म में आजाद घोड़े को जिस तरह से पेश किया है। उसे देखकर लगता है कि यह अमन और राशा की डेब्यू नहीं बल्कि घोड़े की डेब्यू फिल्म है।

फिल्म का म्यूजिक कैसा है?

फिल्म का म्यूजिक सामान्य है। चूकी फिल्म 1920 के कालखंड की है। अगर फिल्म के गाने में उस दौर के संगीत और भाषा का समावेश होता तो फिल्म का म्यूजिक और बेहतर हो सकता था। फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर ठीक है।

फाइनल वर्डिक्ट, देखे या नहीं?

अगर आप एनिमल लवर हैं तो यह फिल्म एक बार जरूर देखनी चाहिए। आजाद घोड़े और अमन देवगन की बीच ऐसे कई सीन हैं, जो भावुक कर देते हैं। साथ ही इस फिल्म में अमन देवगन और राशा थडानी की फ्रेश जोड़ी देखने को मिलेगी।



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