AMU: देश की तीन उर्दू अकादमियों को आठ साल से नहीं मिला बजट, कुछ दिनों तक शिक्षकों ने अपने पास से भी किया खर्च
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AMU: देश की तीन उर्दू अकादमियों को आठ साल से नहीं मिला बजट, कुछ दिनों तक शिक्षकों ने अपने पास से भी किया खर्च

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India three Urdu academies have not received budget for eight years

एएमयू में उच्च उध्ययन केन्द्र उर्दू विभाग
– फोटो : संवाद

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देश के तीन-तीन अलग विश्वविद्यालयों में स्थापित उर्दू अकादमी को आठ साल से कोई बजट नहीं मिला है। जिससे यहां उर्दू शिक्षकों को अपडेट करने वाला शिक्षण कार्य बंद हो गया है। जामिया मिलिया इस्लामिया नई दिल्ली की उर्दू अकादमी के पूर्व निदेशक प्रो. गजनफर कहते हैं कि देश को तीन हिस्सों में बांट कर वर्ष 2006 में तीन उर्दू अकादमी बनाई गईं थीं।

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दरअसल उर्दू भाषा के विकास के लिए देश को तीन जोन में बांट कर तीन अलग अलग विश्वविद्यालयों में तीन उर्दू अकादमी बनाईं गईं थीं। इसमें जामिया मिलिया इस्लामिया दिल्ली की अकादमी के पास राजस्थान, पंजाब, दिल्ली, हिमाचल और जम्मू कश्मीर के शिक्षकों को पढ़ाने की जिम्मेदारी थी। एएमयू की अकादमी पर यूपी, उत्तराखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल और ओडिशा के शिक्षकों की जिम्मेदारी तय थी। इसी तरह से मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी हैदराबाद के पास दक्षिण भारतीय राज्यों का जिम्मा था। फिलहाल तीनों अकादमी के पास कोई बजट नहीं है। इसलिए तीनों जगह शिक्षण कार्य बंद हैं। 

उर्दू अकादमी में उन शिक्षण संस्थाओं के शिक्षकों को अपग्रेड किया जाता था, जहां पर उर्दू प्रथम, द्वितीय या तृतीय भाषा के तौर पर पढ़ाई जाती है। इसमें मदरसा के शिक्षक भी शामिल थे। लगभग 35 से 40 शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए यहां 15 दिन का कार्यक्रम होता था। अकादमी की ओर से शिक्षकों को ठहराने और उनके खाने का इंतजाम किया जाता था। जब बजट बंद हो गया तो उर्दू अकादमी के शिक्षकों ने अपनी ओर से कुछ दिन तक इस कार्यक्रम को जारी रखा, लेकिन उसके बाद आर्थिक तंगी में ये कार्यक्रम बंद कर दिए गए।



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