Fact Check: शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद पर लाठीचार्ज का पुराना वीडियो महाकुंभ का बताया जा रहा, पढ़ें पड़ताल
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Fact Check: शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद पर लाठीचार्ज का पुराना वीडियो महाकुंभ का बताया जा रहा, पढ़ें पड़ताल

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Old video of lathicharge on Shankaracharya Avimukteshwarananda shared as recent

फैक्ट चेक
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार


सोशल मीडिया पर शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद पर पुलिस द्वारा हुए लाठीचार्ज का वीडियो शेयर किया जा रहा है। वीडियो में पुलिस शंकराचार्य को लाठी से मारती हुई नजर आ रही है। 

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क्या है दावा 

इस वीडियो को शेयर करके हालिया बताया जा रहा है और भाजपा सरकार पर निशाना साधा जा रहा है। साथ ही इसके लिए योगी सरकार को जिम्मेदार बताया जा रहा है। 

यशवंत कुमार सरोहा (@Yashwant_Saroha) नाम के एक एक्स यूजर ने लिखा “सनातन धर्म में सबसे सर्वश्रेष्ठ माने जाने वाले ये आदिगुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद महाराज जी पर लाठीचार्ज करते हुए पुलिसकर्मी जरा भी नहीं सोच रहे की किस पर लाठी चला रहे ये है योगी जी का सनातन प्रेम ऐसे ही तो मोदी जी भारत को विश्वगुरु बनाएंगे।” (पोस्ट का आर्काइव लिंक)

 

जितेन्द्र जाटव (@Jitendra_jatav_) नाम के एक एक्स यूजर ने लिखा “हिंदुओं के धर्मगुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती को कुंभ से बहिष्कृत कर योगी जी तानाशाही के चलते पुलिस प्रशासन द्वारा लाठी डंडों से पिटवाना बहुत दुखद है।”(पोस्ट का आर्काइव लिंक)

 

आशीष रंजन (@ashishranj2003) नाम के एक एक्स यूजर ने सवाल पूछते हुए लिखा “शंकराचार्य पर लाठीचार्ज क्यों ?”(पोस्ट का आर्काइव लिंक)

 

पड़ताल 

वीडियो की पड़ताल करने के लिए हमने वायरल वीडियो के कीफ्रेम्स को गूगल रिवर्स इमेज पर सर्च किया। यहां हमें ये वीडियो इंडिया टीवी को यूट्यूब चैनल पर देखने को मिला। यहां इस वीडियो को 23 सितंबर 2015 को पोस्ट किया गया था। इसके साथ कैप्शन में लिखा गया था “वाराणसी में गणेश विसर्जन के दौरान हंगामा, पुलिस ने किया लाठीचार्ज”

अमर उजाला के न्यूज डेस्क से संपर्क करने पर इस खबर के बारे में हमें ज्यादा जानकारी मिली। पता चला कि ये बवाल 23 सितंबर 2015 को वाराणसी में गणेश मूर्ति विसर्जन के दौरान हुआ था। उस समय अविमुक्तेश्वरानंद समेत कई संत गंगा में मूर्ति विसर्जित करने की मांग के साथ धरने पर बैठे थे, इन लोगों को हटाने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज करना शुरू कर दिया था।

पड़ताल का नतीजा 

हमारी पड़ताल में ये साफ है कि मामला 2015 का जिसे हाल का बताकर शेयर किया जा रहा है। 

 





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