Comedian Kunal Kamra News: किसी को भी हंसाना सबसे मुश्किल कला में से एक माना जाता है। हंसना एक ऐसा इमोशन होता है जो उतनी आसानी से आता नहीं है। आजकल के तनावपूर्ण वाले माहौल में किसी को खुश करना और ज्यादा कठिन हो चुका है, लेकिन इसी कठिनाई को या कहना चाहिए इस तनाव को कम करने का काम करती है कॉमेडी। कॉमेडी कई तरह की होती है- फिल्मों में दिखने वाली, थिएटर में आर्टिस्ट द्वारा की जाने वाली या फिर आजकल बहुत ज्यादा पॉपुलर हो चुकी स्टैंड अप कॉमेडी।
क्या होती है स्टैंड अप कॉमेडी?
स्टैंड अप कॉमेडी का क्या मतलब होता है- एक ऑडियंस है, एक स्टेज है और स्टेज पर खड़ा एक ऐसा आर्टिस्ट जो तय समय में आपको अपनी स्क्रिप्ट के जरिए, अपने अंदाज के जरिए हंसाने की कोशिश करता है। लेकिन आजकल लोगों को हंसाना भी एक बड़ा विवाद का विषय बन चुका है, किस बात पर किसके सेंटीमेंट हर्ट हो जाए, कौन सी बात कब ज्यादा तूल पकड़ ले, इस वजह से स्टैंड अप कॉमेडी करना और स्टैंड अप कॉमेडी करने वाले आर्टिस्ट की मुश्किलें काफी ज्यादा बढ़ चुकी हैं।
कुणाल कामरा के साथ क्या हुआ?
आजकल कॉमेडियन कुणाल कामरा विवादों में चल रहे हैं, हाल ही में उन्होंने महाराष्ट्र में एक अपना शो किया था जिसमें पीएम मोदी से लेकर महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे तक पर तंज कसा गया था। लेकिन कुणाल की कॉमेडी लोगों को तो हंसा पाई लेकिन शिवसेना के कार्यकर्ता नाराज हो गए और वहीं से विवाद बढ़ता चला गया। अब कुणाल कामरा ने जो किया, उस पर जिस तरीके का विवाद हुआ, यह कोई पहली बार नहीं है। देश में कई ऐसे स्टैंड अप कॉमेडियन हैं जो इसी तरह से अपने जोक्स की वजह से निशाने पर आ चुके हैं। लेकिन आज बात उन कॉमेडियंस की नहीं करनी है, आज बात उन विवादों की भी नहीं होनी है, लेकिन असल में स्टैंड अप कॉमेडी के मतलब को समझना है, इसके इतिहास को जानने की कोशिश करनी है। आखिर कहां से शुरू हुआ था स्टैंड अप कॉमेडी का कॉन्सेप्ट? कितने साल पुरानी इस कला को माना जाए?
स्टैंड अप कॉमेडी का इतिहास
किताब Behind the Burnt Cork Mask में अमेरिका की शुरुआती संस्कृति और स्टैंड अप कॉमेडी के इतिहास के बारे में काफी कुछ पता चलता है, कहा जा सकता है कि यह 130 साल से भी ज्यादा पुरानी कला है। इसकी शुरुआत सबसे पहले अमेरिका में दिखाई देती है। अब अमेरिका के इतिहास में क्योंकि श्वेत बनाम अश्वेत की लड़ाई सदियों पुरानी रही है, ऐसे में माना जाता है कि इसी लड़ाई ने एक रंगभेद वाली कॉमेडी को सबसे पहले जन्म दिया था, अंग्रेजी में इसे Minstrel Show कहा जाता है। इन शोज में गाना होता था, डांस होता था और थिएटर भी एक अहम हिस्सा रहता था। लेकिन अमेरिका में क्योंकि रंगभेद की बीमारी बहुत ज्यादा प्रभाव छोड़ चुकी थी, उस वजह से इन शोज की हाईलाइट अश्वेत लोगों का मजाक बनाना रहता था। श्वेत लोग ही काले कपड़े पहनकर उनकी टांग खीचते हैं।
इतिहास के पन्ने टटोलने पर पता चलता है कि 1830 में Minstrel Shows की शुरुआत हुई थी। करीब 70 साल तक अमेरिका में ऐसी ही रेसिस्ट कॉमेडी होती रही, कुछ दूसरी जगहों पर भी इसका चलन शुरू हुआ, लेकिन फिर 1900 आते-आते यह ट्रेंड खत्म हुआ और नई तरह की कॉमेडी देखने को मिली।
कॉमेडी का Vaudeville दौर क्या था?
स्टैंड अप कॉमेडी को जो लोग समझते हैं, उन्हें पता है कि जब भी इस कला के इतिहास में झांका जाएगा तो Vaudeville दौर को नहीं भूला जा सकता। Vaudeville फ्रांस का एक शब्द है, इसका मतलब होता है उस तरीके का थिएटर जहां पर कई सारे एक्ट दिखाए जाते हैं, इसमें एक्रोबैट, जगलर्स, कॉमेडी, ताकत वाली कला शामिल रहती हैं। आजकल की जो स्लैपस्टिक कॉमेडी हम देखते हैं, माना जाता है कि उसकी शुरुआत इसी Vaudeville दौर में शुरू हो गई थी। यह बात भी 1800 की ही है।
बड़ी बात यह है कि जिस Vaudeville थिएटर की इतनी चर्चा होती थी, आगे चलकर न्यूयॉर्क में जो बेहतर थिएटर एक्ट्स देखने को मिले, उनका आधार यही Vaudeville दौर रहा। किस तरीके से अपने दर्शकों के ध्यान को बनाए रखा जाए, किस तरीके से लगातार उन्हें हंसाया जाए, इस बात पर फोकस रहता है। अब Vaudeville दौर तो अमेरिका और कनाडा में 50 सालों तक चला, लेकिन 1930 के बाद उसका क्रेज भी खत्म होता चला गया।
सबसे पहला स्टैंड अप कॉमेडियन किसे माना जाए?
वैसे स्टैंड अप कॉमेडियन्स की जब बात की जाती है तो अमेरिकी कमेंटटेर विल रोजर्स का जिक्र जरूर होना चाहिए। अपने न्यूजपेपर कॉलम्स के जरिए उन्होंने पूरी दुनिया में सुर्खियां बटोरी थीं। जिस समय स्टैंड अप कॉमेडी को एक करियर के रूप में देखा भी नहीं जाता था, विल रोजर्स ने तीन वर्ल्ड टूर कर लिए थे, वे अपनी कॉमेडी के साथ सामाजिक संदेश को हमेशा ब्लैंड किया करते थे। लेकिन 1935 में एक प्लेन क्रैश में उनका निधन हो गया।
अब आजकल के समय में स्टैंड अप कॉमेडी एक ऐसा करियर बन चुका है जहां पर काफी पैसा है, अगर लोकप्रियता मिल गई तो आपकी वीडियो आग की तरह वायरल होती है। कई तरह की स्टैंड अप कॉमेडी देखने को मिलती है, एक को हम कहते हैं क्लासिक कॉमेडी जहां पर अपनी ही पसंद के विषयों पर एक आर्टिस्ट जोक सुनाता है और लोगों को हंसाता है।
कितने तरह की होती है स्टैंड अप कॉमेडी?
एक आर्ट फॉर्म स्केचेज भी होती है जिसमें रोजमरा की घटनाओं को आधाकर बनाकर स्क्रिप्ट तैयार की जाती है और लोगों को हंसाने का प्रयास दिखता है। अब तो रोस्टिंग भी एक तरह की कॉमेडी बन चुकी है जहां पर किसी एक व्यक्ति को ही निशाने पर लेकर उसकी टांग खीची जाती है। सबसे मुश्किल आर्ट फॉर्म इम्प्रूव को माना जाता है जहां पर आडियंस में से कोई आपको टॉपिक देगा और आप उस पर कॉमेडी करेंगे। यहां पर एक आर्टिस्ट की हाजिरजवाबी मायने रखती है जिसमें कपिल शर्मा को भी माहिर माना जाता है।
भारत में कब चली स्टैंड अप कॉमेडी की बहार?
भारत के लिहाज से बात करें तो सालल 2007 गेमचेंजर साबित हुआ था, इसी साल टीवी पर ग्रेट इंडियन लाफ्टर चैलेंज शुरू हुआ था। पहली बार स्टैंड अप कॉमेडी का लुत्फ लोगों ने अपनी टीवी स्क्रीन पर उठाया था। इससे पहले भी ऐसे प्रयास हुए थे, कवि सम्मेलनों के जरिए भी ऐसे ही हंसाया जाता था, एक समय तक पंजाब में कैसेट्स के जरिए भी कॉमिक वीडियो आते थे, लेकिन टिपिकल स्टैंड अप कॉमेडी 2007 में देखने को मिली। इसके बाद जब जब डिजिटल युग ने और ज्यादा प्रगति की तो यूट्यूब पर कॉमेडी का चलन बढ़ना शुरू हो गया। हाल के सालों में कुणाल कामरा, गौरव गुप्ता, अमित टंडन, गौरव कपूर, संदीप शर्मा, जाकिर खान, नेहा पाल्टा, समय रैना, उरूज अशफाक, भुवन बाम जैसे कलाकारों ने खूब नाम कमाया है। कई ने अगर यूट्यूब पर स्टैंड अप कॉमेडी को और लोकप्रिय किया है तो कुछ ने वेब सीरीज के जरिए भी लोगों को खूब हंसाया है।
ऐसे में स्टैंड अप कॉमेडी कोई आज की कला नहीं है, लोगों को हंसाना भी एक बड़ा पुन्य माना गया है। सवाल सिर्फ इतना है- क्या स्टैंड अप कॉमेडी में भी लक्ष्मण रेखा पार होने लगी है? क्या स्टैंड अप कॉमेडी में भी कोई मर्यादा का पालन करना जरूरी है? इन सवालों के जवाब ही बताएंगे कि कुणाल कामरा जैसे कलाकारों का भविष्य आगे चलकर क्या रहने वाला है।