opposition parties not on same delimitation meeting in chennai tamilnadu mk stalin
खेलकूद क्रिकेट

opposition parties not on same delimitation meeting in chennai tamilnadu mk stalin

Spread the love


Delimitation Meeting Tamil Nadu: दक्षिण के राज्यों की ओर से विशेषकर तमिलनाडु ने प्रस्तावित परिसीमन के खिलाफ पिछले काफी वक्त से जोर-शोर से आवाज उठाई है। शनिवार को तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की अगुवाई में ही विपक्षी दलों की चेन्नई में एक बड़ी बैठक बुलाई गई। इसमें दक्षिण के राज्यों ने हुंकार भरी कि वे परिसीमन को किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं करेंगे। बताना जरूरी होगा कि साल 2026 में जनगणना के बाद देश भर की लोकसभा सीटों का परिसीमन होना है।

दक्षिण के राज्यों को लगातार इस बात का डर सता रहा है कि जनसंख्या के आधार पर होने वाले इस परिसीमन की वजह से उनके राज्यों की लोकसभा सीटें कम हो सकती हैं और उत्तर भारत की सीटें बढ़ सकती हैं। विपक्षी दलों की बैठक से पश्चिम बंगाल में सरकार चला रही तृणमूल कांग्रेस दूर रही तो दक्षिण के राज्य आंध्र प्रदेश में एनडीए सरकार की अगुवाई कर रही तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) इस मुद्दे पर चुप है।

डीएमके ने इंडिया गठबंधन में शामिल समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल, महाराष्ट्र की ओर से शिवसेना (यूबीटी) और एनसीपी (शरद पवार) को इस बैठक में नहीं बुलाया। इसकी वजह भी साफ है क्योंकि इनमें से अधिकतर दल परिसीमन का विरोध नहीं कर रहे हैं। शायद वह परिसीमन के मामले में डीएमके से सहमत नहीं हैं। क्योंकि इन पार्टियों के सूत्रों का कहना है कि वे इस मामले में किसी भी नतीजे तक पहुंचने से पहले एनडीए सरकार की ओर से उसका पक्ष सामने आने का इंतजार कर रही हैं।

टीएमसी ने अभी तक इस मुद्दे पर अपना रुख घोषित नहीं किया है। सपा के एक सीनियर नेता ने कहा कि उनकी पार्टी का ध्यान 2027 के विधानसभा चुनाव पर है और परिसीमन में अगर सीटें बढ़ीं तो इसमें उत्तर प्रदेश को सबसे ज्यादा फायदा होगा।

10.11 लाख औसत जनसंख्या वाला फॉर्मूला

1977 की लोकसभा में भारत के हर सांसद ने औसतन 10.11 लाख लोगों का प्रतिनिधित्व किया था। अगर 10.11 लाख औसत जनसंख्या वाले फॉर्मूले पर ही परिसीमन हुआ तो उत्तर प्रदेश (उत्तराखंड सहित) में सांसदों की कुल सीटें 85 से बढ़कर 250 हो जाएंगी। बिहार और झारखंड की कुल सीटें 54 हैं, जो बढ़कर 169 हो जाएंगी (मतलब तीन गुना बढ़ोतरी)। इसी तरह, राजस्थान की लोकसभा सीटें 25 से बढ़कर 82 हो जाएंगी।

तमिलनाडु की लोकसभा सीटें भी बढ़ेंगी लेकिन यह 39 से बढ़कर 76 हो जाएगी और यह दोगुने से भी कम है। केरल की सीटें 20 से बढ़कर 36 हो जाएंगी। लेकिन नई संसद में केवल 888 सीटें होने के कारण यह फॉर्मूला शायद लागू नहीं किया जाएगा।

‘वाजपेयी के रास्ते पर चलें PM मोदी…’ परिसीमन के मामले में तेलंगाना के CM ने दी केंद्र को सीधी सलाह

Revanth Reddy on delimitation, Fair delimitation opposition meeting, Revanth Reddy opposition leaders meeting
तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी। (Source-FB)

दक्षिणी राज्यों को होगा नुकसान

अगर हर लोकसभा सीट की आबादी को दोगुना करके 20 लाख वाला फ़ॉर्मूला लागू किया जाए तो संसद में 543 के बजाय 707 सीटें होंगी लेकिन इससे दक्षिणी राज्यों को जबरदस्त नुकसान होगा। इस फॉर्मूले में तमिलनाडु की सीटें 39 ही रहेंगी जबकि केरल की दो सीटें कम होकर 18 रह जाएंगी। दूसरी ओर, उत्तर प्रदेश (उत्तराखंड सहित) में 126 सीटें जबकि बिहार और झारखंड में 85 सीटें होंगी।

अगर हर लोकसभा सीट की औसत जनसंख्या 15 लाख हो तो देश में सीटों की संख्या 942 हो जाएगी और इस स्थिति में भी दक्षिणी राज्यों को नुकसान होगा। इस फ़ॉर्मूले पर परिसीमन होता है तो तमिलनाडु में 52 और केरल में 24 लोकसभा सीटें होंगी लेकिन उत्तर प्रदेश (उत्तराखंड को मिलाकर) में 168 सीटें और बिहार और झारखंड में 114 लोकसभा सीटें हो जाएंगी।

जनसंख्या के चलते बढ़ रहा परिसीमन पर नॉर्थ वर्सेज साउथ विवाद, समझिए सुलझाने के लिए क्या हो सकते हैं विकल्प

delimitation, delimitation row, delimitation commission,
परिसीमन विवाद। (इमेज-एक्सप्रेस फोटो)

कांग्रेस इस मुद्दे पर बेहद सतर्क है। वह तमिलनाडु में डीएमके के साथ गठबंधन में है। आरजेडी के सांसद मनोज झा ने कहा कि जनगणना के बाद परिसीमन होना चाहिए और इससे पहले इसे लेकर संसद में चर्चा की जानी चाहिए। एनडीए का सहयोगी दल टीडीपी इस पर चुप है और एनडीए की एक और सहयोगी पवन कल्याण की जनसेना पार्टी भी विपक्ष की बैठक में शामिल नहीं हुई। हालांकि ओडिशा में लंबे वक्त तक सत्ता में रही बीजू जनता दल ने बैठक में बैठक में भाग लिया।

विपक्ष की इस बैठक के बाद ऐसा लगता है कि परिसीमन के मुद्दे पर विपक्षी दल बहुत मजबूती के साथ एक मंच पर नहीं खड़े हैं और ऐसे में उनके लिए इस मुद्दे पर बड़ा आंदोलन खड़ा करना मुश्किल हो जाएगा।

यह भी पढ़ें- 49 साल तक बादशाह रहा औरंगजेब क्यों चाहता था उसकी कब्र बेहद साधारण हो?





Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *