यूपी पुलिस कांस्टेबल भर्ती के अंतिम परिणाम में जातिगत भेदभाव के लग रहे आरोपों पर यूपी पुलिस रिक्रूटमेंट एंड प्रमोशन बोर्ड (UPPRPB) ने रविवार को अपना स्पष्टीकरण दिया। UPPRPB ने एक सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से ये साफ किया है कि कांस्टेबल भर्ती में सरनेम या टाइटल के आधार पर किसी अभ्यर्थी को पास या फेल नहीं किया गया है।
क्या कहा है बोर्ड ने?
बोर्ड ने कहा है कि सोशल मीडिया पर कुछ अभ्यर्थियों के सरनेम या टाइटल के आधार पर उनकी जातियों आदि को लेकर भ्रामक टिप्पणियां की जा रही हैं। उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड इस संबंध में यह स्पष्ट करता है कि सरनेम या टाइटल के आधार पर किसी अभ्यर्थी को सफल या असफल घोषित नहीं किया जाता।
13 मार्च को जारी हुआ था रिजल्ट
बता दें कि बोर्ड ने 13 मार्च को यूपी पुलिस कांस्टेबल भर्ती 2024 की लिखित परीक्षा का परिणाम जारी किया था। 60,244 रिक्त पदों के लिए निकाली गई इस भर्ती के फाइनल रिजल्ट में चयनित उम्मीदवारों की लिस्ट में कई नाम के टाइटल को लेकर आशंकाएं जाहिर की गईं। आशंकाएं कुछ ऐसी थी कि कई उम्मीदवारों के टाइटल सामान्य वर्ग में आने वाली जातियों के हैं, लेकिन उनका सेलेक्शन ओबीसी कैटेगिरी में हुआ। इसी को लेकर सोशल मीडिया पर कई तरह के आरोप बोर्ड पर लग रहे थे।
क्या लगे आरोप
इस पूरे विवाद के बीच दो अभ्यर्थियों के चयन को लेकर बोर्ड पर आरोप लग रहे थे। बोर्ड ने उस पर सफाई देते हुए कहा है कि उल्लिखित प्रकरणों में पंकज पांडे नाम के अभ्यर्थी की जाति उसके जारी प्रमाण पत्र के अनुसार गोसाई है। इसी तरह अभ्यर्थी शिवानी उपाध्याय की जाति जोगी है। दोनों ही जातियां अन्य पिछड़ा वर्ग के तहत आती हैं।