14 घंटे पहले
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- साउथ के सुपरस्टार रजनीकांत इन दिनों अपनी दो हिट फिल्म ‘जेलर’ की जापान रिलीज को लेकर चर्चा में हैं। जीवन में आगे बढ़ने के उनके गुर, उन्हीं की जुबानी…
1977 में जब निर्माता थानु ने मुझे अपनी पहली फिल्म में ‘सुपरस्टार’ कहा, तो मैंने उनसे कहा, ‘सर, इसकी जरूरत नहीं है। कृपया इसे ना करें’। तब कुछ लोगों ने कहा, ‘राजनीकांत डर गए हैं। वह कांप रहे हैं, वह सुपरस्टार टाइटल से घबरा गए हैं’। लेकिन मैं केवल दो चीजों से डरता हूं- एक ईश्वर से, क्योंकि उनके बिना कुछ भी नहीं है। और दूसरा… अच्छे लोगों से, क्योंकि हमें अच्छे लोगों का दिल नहीं तोड़ना चाहिए, उन्हें दु:खी नहीं करना चाहिए। अच्छे लोगों की बददुआ असर करती है और जीवनभर पीछा करती है। 1977 में शिवाजी सर हीरो थे और कमल हासन अपने करियर के चरम पर थे। उस वक्त अगर मैं खुद को सुपरस्टार कहता, तो यह उनका अपमान होता। तब बहुत विरोध और नफरत थी। लेकिन जो नफरत और विरोध मैंने झेला है, वह एक सुनामी की तरह था। आज के युवा नहीं जानते होंगे क्योंकि तब सोशल मीडिया या इतने सारे मीडिया चैनल नहीं थे। इसी विरोध से एक आग पैदा हुई। इसी आग की वजह से मुझे कई फिल्में मिलीं। …और वह आग आज भी जल रही है। यह विरोध और नफरत सिर्फ मेरे लिए नहीं है, यह हर किसी के जीवन में होता है। स्कूल, कॉलेज, ऑफिस, हर जगह। हमें इससे कैसे निपटना चाहिए? जानवरों में बंदर सबसे शरारती होता है और पक्षियों में कौवा सबसे ज्यादा शरारत करता है। लेकिन बाज सबसे ऊंचा उड़ता है, वह मुश्किल से नीचे आता है। कौवा दूसरे पक्षियों को परेशान करता है, लेकिन वह हमेशा बाज को देखता है। क्योंकि कितनी भी कोशिश कर ले, वह बाज की ऊंचाई तक नहीं पहुंच सकता। इसलिए कौवा ईर्ष्या के कारण बाज को परेशान करता है। लेकिन बाज कोई प्रतिक्रिया नहीं देता, वह बस और ऊपर उड़ता जाता है। कौवा आखिर में थक जाता है और अंत में नीचे गिर जाता है। तो जब भी कोई हमें परेशान करे, हमें चुप रहकर अपने काम में लगे रहना चाहिए। यही सबसे अच्छी प्रतिक्रिया हो सकती है।
गुस्सा भी कमाल चीज है! किसी भी इंडस्ट्री में टिकने के लिए आप शायद मेहनत और समझदारी को जरूरी मानते होंगे। लेकिन मैं इसमें एक चीज और जोड़ता हूं। मैं मानता हूं कि अपनी जगह बनाने के लिए थोड़ा गुस्सा भी आवश्यक होता है। यह गुस्सा अंदर होना चाहिए और किसी को नजर नहीं आना चाहिए। किसी पर जाहिर तो बिल्कुल नहीं होना चाहिए। गुस्सा आपसे जो करवा सकता है, वो शायद टैलेंट भी नहीं करवा पाए।
सेहत को प्राथमिकता दें यह जरूरी है कि बिना किसी बीमारी के आप दुनिया छोड़ें। आपकी बीमारी दूसरों की परेशानी बनती है। हर इंसान अपनी सेहत को प्राथमिकता दे। आप स्वस्थ रहेंगे तो बिना कोई बीमारी लिए दुनिया से विदा होंगे। जिंदगी के सार में मैं पाता हूं कि खुशी और शांति स्थायी नहीं है। मैंने सब देखा… पैसा, शोहरत, नाम, राजनीति। आप कितना भी कर लें, खुशी और शांति थोड़े वक्त के लिए आएगी और चली जाएगी। (2023 के एक इवेंट में सुपरस्टार रजनीकांत।)