7 घंटे पहले
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एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु
मंगलवार को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय ने कहा कि यदि कोई राजमार्ग ‘निर्माण गतिविधियों के कारण’ खराब स्थिति में है, तो एनएचएआई या उसके प्रतिनिधि यात्रियों से टोल टैक्स नहीं वसूल सकते। एनएच-44 के पठानकोट-उधमपुर खंड के बारे में सुगंधा साहनी द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश ताशी राबस्तान और न्यायमूर्ति एमए चौधरी की पीठ ने एनएचएआई को लखनपुर और बन्न नामक टोल प्लाजा पर केवल 20% टोल वसूलने का आदेश दिया, जब तक कि लखनपुर से उधमपुर तक का राजमार्ग पूरी तरह से संचालन-योग्य नहीं हो जाता।
उच्च न्यायालय ने एनएचएआई को एनएच-44 के 60 किमी के भीतर कोई भी प्लाजा स्थापित न करने का भी निर्देश दिया और दो महीने के भीतर ऐसे निर्माणों को हटाने का निर्देश दिया। न्यायालय ने कहा आम जनता को दोनों मामलों में परेशानी हो रही है- निर्माण गतिविधियों के कारण खराब राजमार्ग और भारी टोल।
फैसले में कहा गया कि दिसंबर 2021 से इस खंड का लगभग 60% से 70% हिस्सा निर्माणाधीन है, फिर भी एनएचएआई टोल वसूल रहा है। ज्यादातर यात्री यह समझने में विफल रहते हैं कि परियोजनाओं के विस्तार के दौरान खराब रखरखाव, राइडिंग की गुणवत्ता और डायवर्शनों के कारण होने वाली परेशानियों के बावजूद उन्हें पूरा शुल्क चुकाना पड़ता है, जबकि वे इससे अपना वांछित लाभ यानी समय की बचत प्राप्त नहीं कर पाते। इसी तरह के एक अन्य आदेश में आमजन के समय के महत्व को उजागर किया गया था और इसके व्यापक परिणाम होने की संभावना है।
6 जनवरी 2024 को अभिषेक एमआर ने बेंगलुरु के अरियन मॉल के पीवीआर सिनेमा में शाम 4.05 बजे के शो के लिए 825.66 रुपए में तीन टिकट बुक किए। सैम बहादुर नामक फिल्म के बारे में उन्होंने जो समीक्षा पढ़ी थी, उसमें कहा गया था कि फिल्म 2.25 घंटे लंबी है।
उन्होंने अपनी शाम की योजना यह मानते हुए बनाई कि शो 6.30 बजे खत्म हो जाएगा। लेकिन अभिषेक और उनके परिवार को लगभग 30 मिनट तक विज्ञापन, ट्रेलर और प्रचार-सामग्री दिखाए जाते रहे और फिल्म 4.30 बजे शुरू हुई। उन्होंने विज्ञापनों का एक वीडियो बनाकर बेंगलुरु (शहरी) जिला उपभोक्ता आयोग में शिकायत दर्ज कराई।
उन्होंने कहा कि लंबे समय तक चलने वाले प्री-शो विज्ञापनों ने उनके शेड्यूल को बाधित किया है। पीवीआर ने कहा थिएटर में वीडियो रिकॉर्ड करना अवैध है और थिएटरों को कानूनी तौर पर सार्वजनिक सेवा घोषणाएं (पीएसए) दिखाना जरूरी है, जैसे तंबाकू विरोधी विज्ञापन।
अदालत के ध्यान में लाया गया कि सरकारी दिशा-निर्देशों में स्पष्ट है पीएसए का समय फिल्म शुरू होने से 10 मिनट पहले से अधिक का नहीं होना चाहिए। पीवीआर ने आगे कहा कि दर्शकों की आवाजाही और सुरक्षा जांच के कारण फिल्म शुरू होने के समय में बदलाव हो सकता है।
दलीलें सुनने के बाद अदालत ने पीवीआर सिनेमा, बेंगलुरु और उसकी मूल कंपनी पीवीआर आईनॉक्स को उस ग्राहक को 1.28 लाख रुपए का जुर्माना भरने का निर्देश दिया, जिसने शिकायत की थी कि उसे विज्ञापनों के दौरान आधे घंटे बैठाकर रखा गया था।
कोर्ट ने कहा शिकायतकर्ता ने वास्तविक फिल्म-स्क्रीनिंग को रिकॉर्ड नहीं किया था और प्री-शो विज्ञापन सामग्री का 95% हिस्सा भी कमर्शियल था, न कि सरकार द्वारा अनिवार्य पीएसए। अदालत ने यह भी कहा कि फिल्म की स्क्रीनिंग टिकट पर छपे समय पर ही शुरू होनी चाहिए और उसने सिफारिश की कि थिएटर कमर्शियल विज्ञापनों और पीएसए को इंटरमिशन के दौरान ही दिखाएं। अदालत ने कहा, अपने व्यावसायिक लाभ के लिए थिएटर दर्शकों को बैठाकर नहीं रख सकते। समय आर्थिक संपत्ति है और शो के समय के बारे में भ्रामक सूचना देना फिल्म देखने वालों के लिए असुविधाजनक है।
फंडा यह है कि यदि आप सेवा-प्रदाता हैं, तो याद रखें कि अपने उपभोक्ता के समय का सम्मान करें। क्योंकि समय एक आर्थिक संपत्ति है और कोई भी इसे उपभोक्ता की अनुमति के बिना नहीं ले सकता।