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- N. Raghuraman’s Column A Strong ‘firewall’ Is The Biggest Protection For Business In The Future
8 घंटे पहले
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एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु
मजबूत फायरवॉल की दुनिया में आपका स्वागत है, क्योंकि मजबूत लोहे के गेट और सुरक्षा गार्ड के दिन अब लद गए हैं। अगर ऐसा नहीं है तो आप उस मास्टरमाइंड की वारदात को कैसे समझाएंगे जो पिछले दो वर्षों से 14 अलग-अलग राज्यों के 42 टोल प्लाजा से रियल टाइम में उगाही करता रहा और नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) को इस बुधवार को पहली गिरफ्तारी होने तक इसकी भनक तक नहीं लगी। न केवल व्यक्तियों बल्कि व्यवसायों और सरकार को लूटने की नई दुनिया में आपका स्वागत है, जबकि बुद्धिमान, पढ़े-लिखे ग्रेजुएट चोर कहीं दूरदराज में बैठे हैं।
आलोक कुमार सिंह (35) कंप्यूटर एप्लीकेशन में पीजी है और प्रोग्रामिंग में विशेषज्ञता के साथ सॉफ्टवेयर डेवलपर है। आलोक ने अनधिकृत सॉफ्टवेयर बनाया, जो एनएचएआई के आधिकारिक सिस्टम के समानांतर काम कर रहा था। इसने एनएचएआई इंटरफेस को कॉपी किया और हूबहू रसीद निकालता था।
ये दो श्रेणियों के वाहनों को टारगेट करता था- पहला बिना फास्टैग की गाड़ियां, दूसरी, जिनमें टैग था लेकिन खाते में पर्याप्त राशि नहीं थी। आलोक ने टोल प्लाजा प्रबंधकों व आईटी कर्मियों से सांठगांठ करके टोल बूथ के कंप्यूटर्स पर गुप्त रूप से सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करवा दिया।
इसने दोनों श्रेणियों से जमा हुए टोल का सिर्फ 5% रिकॉर्ड किया और 95% को ‘छूट प्राप्त’ या ‘अपंजीकृत’ में चिह्नित किया। इससे टोल संग्रह पर तत्काल संदेह नहीं हुआ। फिर सॉफ्टवेयर ने उपरोक्त दोनों श्रेणियों की कारों से टोल संग्रह को आरोपियों व गिरोह के निजी खातों में भेजा।
ये सॉफ्टवेयर आलोक के लैपटॉप से जुड़ा था, जिससे वह रियल टाइम में दूर से सभी टोल संग्रहों की निगरानी कर सकता था। इस धोखाधड़ी के दायरे का अंदाजा इससे लगा सकते हैं कि अकेले मिर्जापुर के अतरैला टोल पर एनएचएआई को रोज 45 हजार रु. का नुकसान हुआ, कल्पना कर सकते हैं अब तक पता चले 42 टोल प्लाजा से दो साल में कितना नुकसान हुआ होगा।
साइट पर कुछ मुट्ठी भर सदस्यों के साथ दूर बैठे व्यक्ति ने न केवल यूपी, बल्कि एमपी, राजस्थान, गुजरात, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, झारखंड, पंजाब, असम, बंगाल, जम्मू, ओडिशा, हिमाचल, तेलंगाना जैसे राज्यों से पैसा उड़ा लिए। इस विशाल भौगोलिक स्थिति से अंदाजा हो जाएगा कि कोई भी व्यक्ति बिना उस स्थान पर आए आपके बिजनेस की कमाई कैसे ले जा सकता है, वह भी सरकारी बिजनेस से।
खुफिया सूचना पर कार्रवाई करते हुए एसटीएफ ने पहले आलोक को बुधवार को वाराणसी के बाबतपुर हवाई अड्डे के पास से गिरफ्तार किया और बाद में उससे पूछताछ के बाद एमपी से मनीष मिश्रा और प्रयागराज टोल प्लाजा प्रबंधक राजीव मिश्रा को मिर्जापुर राजमार्ग पर शिवगुलाम टोल प्लाजा से गिरफ्तार किया।
एसटीएफ अब घोटाले में शामिल अन्य टोल प्लाजा की जांच कर रही है और अतिरिक्त सुराग के लिए जब्त किए लैपटॉप और सॉफ्टवेयर का विश्लेषण कर रही है। एसटीएफ के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक विनोद कुमार सिंह ने कहा कि आलोक कुमार ने एक अवैध सॉफ्टवेयर विकसित किया, जो एनएचएआई की आधिकारिक टोल संग्रह प्रणाली को बायपास करने में सक्षम था।
यहां ये जिक्र करना जरूरी है कि निजी विश्वविद्यालय से पढ़े आलोक को अच्छी नौकरी नहीं मिल पाई और कुछ समय तक उसने एक टोल प्लाजा पर काम किया। ये घटना उन सारे बिजनेस हाउस- जिनके देशभर में ऑफिस है- के लिए परोक्ष संकेत है कि किसी भी बिजनेस को संचालित करने के लिए फायरवॉल कितनी मायने रखती है।
यह घटना, उन फायरवॉल की निगरानी के लिए प्रशिक्षित और अच्छे वेतन वाले आईटी पेशेवरों के महत्व पर भी प्रकाश डालती है। वहीं किसी भी बिजनेस मेंे एचआर को इस प्रमुख कार्य के लिए नैतिक रूप से जिम्मेदार व्यक्ति को चुनने की आवश्यकता है।
फंडा यह है कि आपके पास हर बिजनेस में एक अंदरूनी सूत्र या एक टीम होनी चाहिए जो कंप्यूटर विशेषज्ञ हो और नियमित अंतराल पर सभी सॉफ्टवेयर की कार्यक्षमता का ऑडिट करती रहे। अन्यथा, आपको कभी पता नहीं चलेगा कि किसने कितना पैसा निकाला और कहां गया।