एन. रघुरामन का कॉलम:  हम अपनी नींद के बारे में कितना जानते हैं?
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एन. रघुरामन का कॉलम: हम अपनी नींद के बारे में कितना जानते हैं?

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11 घंटे पहले

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एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु - Dainik Bhaskar

एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु

अगर आप ठीक से सो नहीं पाते, तो ये आर्टिकल आपके लिए है। जब मैंने कुछ लोगों से सेहतमंद जीवनशैली परिभाषित करने को कहा, तो उन्होंने कसरत और पोषण पर फोकस किया, पर किसी ने भी नींद पर बात नहीं की, जबकि इसका हमारी सेहत और वेलबीइंग पर असर बहुत ज्यादा है।

विशेषज्ञ कहते हैं कि नींद के दौरान हमारा मस्तिष्क कई अवस्थाओं में प्रवेश करता है, जो कि हमारे शरीर और दिमाग को रिस्टोर, हील, विकास और मजबूत करता है। नींद की सेहत का संबंध निश्चित तौर पर सिर्फ नींद के घंटों से नहीं है, बल्कि हर रात इसकी चारों अवस्थाओं से होकर गुजरने से हैं, जो कि उस प्रक्रिया को सक्रिय कर देता है, जिससे मानसिक और शारीरिक प्रणाली बेहतर होती है।

पहली स्टेज की नींद में श्वसन, हृदय गति व मस्तिष्क की गतिविधियां धीमी हो जाती हैं। दूसरी स्टेज में दो विशेषताएं उभरती हैं- स्लीप स्पिंडल्स और के-कॉम्प्लेक्स। स्लीप स्पिंडल्स नई मेमोरी को बहाल करता है। दिमाग जितना स्पिंडल्स पैदा करेगा, आप पिछले दिन सीखी उतनी चीजें याद रखेंगे।

बल्कि दिमाग तो इतना उदार है कि व्यस्ततम दिन के बाद भी बहुत कुछ सीखने के लिए ढेर सारा स्पिंडल्स पैदा करता है। वहीं के-कॉम्पलेक्स नींद के रखवाले की तरह हैं। आपके पालतू के आपके बिस्तर पर कूदने भर से दिमाग में के-कॉम्प्लेक्स सक्रिय होता है। यह रजिस्टर करता है कि कुछ हुआ है, लेकिन आपको आश्वस्त करता है कि कोई खतरा नहीं है ताकि आप सोते रह सकें।

फिर है स्टेज 3, सबसे गहरी नींद- ये इलेक्ट्रोएन्सेफेलोग्राम पर मस्तिष्क गतिविधि की बड़ी धीमी तरंगें उत्पन्न करता है। मस्तिष्क में तरल का प्रवाह बढ़ाता है ताकि जागते हुए जमा हुए न्यूरोटॉक्सिन बाहर निकाल सकें। ये ब्रेन सेल्स को अगले दिन के लिए चमचमाता छोड़ देता है।

गहरी नींद शरीर में दिन में हुई क्षति ठीक करने, हड्डियां-मांसपेशियां मजबूत करने, फैट मास कम करने, प्रतिरक्षा प्रणाली बढ़ाने व हृदय गति ठीक रखने में मदद करती है। चौथी स्टेज में रैपिड आई मूवमेंट (रेम) होता है।

इसी समय में आप सपने देखते हैं और आंखें पलकों के पीछे हिलती हैं। ये रचनात्मक सोच को बढ़ावा देता है। जैसे यदि आप कार्यस्थल पर प्रोजेक्ट कर रहे हैं, तो रेम दिमाग के महत्वपूर्ण हिस्सों को फिर सक्रिय करती है ताकि वे चुनौतियां दोहरा सकें, जो कि कुछ सुझाव भी देती हैं। इस तरह, नींद की सेहत का एक उभरता हुआ दृष्टिकोण पांच-छह मुख्य क्षेत्रों को उजागर करता है, जिन्हें अच्छे स्वास्थ्य और कल्याण से जोड़ा गया है। 1. समय ः एक वयस्क को 6-8 घंटे सोना चाहिए। हालांकि यह भिन्न है, विशेषज्ञों का सुझाव है कि हमें शरीर को उतनी नींद देनी चाहिए जितनी उसे आवश्यकता है। 2. निरंतरता : रात में जागना सामान्य है। पर यदि आप नियमित रूप से रात में 30 मिनट से अधिक तक जागते हैं, तो कोई चीज आपकी नींद को कमजोर कर रही है और आपको मदद की जरूरत है। अति-वृद्धों के लिए यह बहुत अधिक झपकी हो सकती है, वरिष्ठ नागरिकों के लिए जल्दी बिस्तर पर जाना हो सकता है और कामकाजी लोगों के लिए बेडटाइम से पहले पर्याप्त आराम करने का समय न होना हो सकता है। 3. समय ः सबको अपनी जैविक घड़ी के अनुसार सोना चाहिए जो सबमें भिन्न हो सकती है। यदि कोई जैविक घड़ी का पालन करता है, तो उसके शरीर का तापमान, हृदय गति, हार्मोन व मेटाबॉलिज्म भी तालमेल में होता है, जो खुद भी ‘स्लीप मोड’ में जाते हैं। 4. सजगता ः दिन में जागृत अवस्था की गुणवत्ता का हेल्दी नींद से सीधा संबंध है। अगर दिन में ऊर्जावान व एकाग्र महसूस करते हैं, तो अच्छी नींद आने की संभावना है। 5. नियमितता व संतुष्टि ः सोने का एक ही शेड्यूल रखने से अच्छी नींद के चांस बढ़ते हैं, वहीं जैविक घड़ी मजबूत रहती है। चूंकि हमेशा अच्छी नींद नहीं आ सकती, इसलिए यथार्थवादी अपेक्षाएं रखना, नींद से जुड़ी चिंता में डूबने से बचने के लिए जरूरी है। फिर भी, यदि लगातार नींद अच्छी नहीं आ रही है, तो डॉक्टर से मिल लेना चाहिए।

फंडा यह है कि 14 मार्च को वर्ल्ड स्लीप डे से पहले इससे जुड़ी कुछ रणनीति पर काम करें।

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