19 घंटे पहले
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नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) पेमेंट फ्रॉड रोकने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है। इसे लेकर वह UPI (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस) के जुड़े सिक्योरिटी फीचर्स को लगातार मजबूत कर रहा है।
अब NPCI पेमेंट फ्रॉड को रोकने के लिए UPI से जुड़े नियमों में कुछ जरूरी बदलाव कर सकता है। इसमें ‘पुल ट्रांजैक्शन’ फीचर को बंद करने का फैसला लिया जा सकता है। इसे लेकर NPCI बैंकों से बातचीत कर रहा है। इस फीचर के बंद होने के बाद UPI से जुड़े साइबर फ्रॉड के मामलों में कमी आएगी।
तो चलिए, आज जरूरत की खबर में बात करेंगे कि पुल ट्रांजैक्शन क्या है? साथ ही जानेंगे कि-
- इस फीचर के बंद होने से यूजर्स को क्या फायदा मिलेगा?
- NPCI इसे क्यों खत्म करना चाहता है?
एक्सपर्ट: ईशान सिन्हा, साइबर एक्सपर्ट, नई दिल्ली
सवाल- ‘पुल ट्रांजैक्शन’ क्या है?
जवाब- UPI में दो तरीकों से ट्रांजैक्शन होता है। पहला पुश ट्रांजैक्शन और पुल ट्रांजैक्शन।
जब कोई मर्चेंट किसी सामान या सर्विस के बदले ग्राहक को पेमेंट के लिए रिक्वेस्ट भेजता है तो उसे ‘पुल ट्रांजैक्शन’ कहा जाता है। इस ट्रांजैक्शन में पेमेंट की राशि पहले से तय होती है। ग्राहक को सिर्फ अपना UPI पिन डालना होता है।
यहां यह स्पष्ट कर दें कि ऑनलाइन शॉप, दुकान या रेस्टोरेंट, बिजली, मोबाइल रिचार्ज जैसी सर्विस देने वाली कंपनियों को मर्चेंट्स कहते हैं क्योंकि वे ग्राहकों से पेमेंट लेती हैं।
वहीं जब ग्राहक खुद QR कोड स्कैन करके या मोबाइल नंबर डालकर पैसे भेजता है तो इसे ‘पुश ट्रांजैक्शन’ कहते हैं। इसमें ग्राहक खुद पेमेंट की राशि दर्ज करता है।
सवाल- ‘पुल ट्रांजैक्शन’ फीचर के बंद होने से यूजर्स को क्या फायदा होगा?
जवाब- NPCI इसे बंद करने को लेकर अभी बैंकों से बात कर रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह बातचीत अभी पहले चरण में है। अगर पुल ट्रांजैक्शन को भविष्य में बंद किया जाता है तो ग्राहकों को कुछ संभावित फायदे हो सकते हैं। इसे नीचे दिए ग्राफिक से समझिए-

सवाल- क्या इससे ऑनलाइन सब्सक्रिप्शन और बिल पेमेंट्स पर असर पड़ेगा?
जवाब- ‘पुल ट्रांजैक्शन’ बंद होने से ऑटो-डेबिट आधारित सब्सक्रिप्शन और बिल पेमेंट्स पर असर पड़ेगा। अभी कई लोग बिजली, मोबाइल रिचार्ज, गैस और अन्य बिल ऑटो-डेबिट पर सेट कर देते हैं। इससे हर महीने उनके बैंक अकाउंट से अपने आप पैसे कट जाते हैं। इस फीचर बंद होने के बाद यूजर को हर महीने मैन्युअली पेमेंट करना होगा।
सवाल- जिन सर्विस के लिए लोग ऑटो-डेबिट का इस्तेमाल करते थे, वे अब कैसे काम करेंगी?
जवाब- UPI के ‘पुल ट्रांजैक्शन’ फीचर के बंद होने के बाद ऑटो-डेबिट में कुछ बदलाव देखने को मिल सकते हैं। ऑटो-डेबिट का इस्तेमाल ज्यादातर बिजली बिल, मोबाइल रिचार्ज, OTT सब्सक्रिप्शन, लोन EMI, बीमा प्रीमियम, SIP निवेश, म्यूचुअल फंड के लिए किया जाता था। अब इन सर्विस के लिए नए विकल्प अपनाने होंगे। अब ग्राहक को UPI नोटिफिकेशन या SMS के जरिए पेमेंट मंजूरी देनी होगी। EMI पेमेंट एप्स या बैंकिंग एप्स में ऑटो-डेबिट ऑप्शन मिलेगा, लेकिन हर बार मंजूरी जरूरी होगी।

सवाल- क्या इससे मर्चेंट और ग्राहकों के बीच ट्रांजैक्शन पर कोई असर पड़ेगा?
जवाब- साइबर एक्सपर्ट ईशान सिन्हा बताते हैं कि कई मर्चेंट ग्राहकों से मेंबरशिप चार्ज, EMI पेमेंट और मंथली सर्विस का चार्ज लेने के लिए UPI के ऑटो-डेबिट मॉडल पर निर्भर हैं। पुल ट्रांजैक्शन के बंद होने के बाद उन्हें हर बार ग्राहक से पेमेंट की मंजूरी लेनी होगी, जिससे लेनदेन प्रभावित हो सकता है। साथ ही अब उन्हें पेमेंट लेने के लिए ग्राहकों को मैन्युअली रिमाइंडर भेजना पड़ेगा।
सवाल- पुल ट्रांजैक्शन की जगह कौन-से नए पेमेंट सिस्टम विकसित किए जा सकते हैं?
जवाब- UPI ‘पुल ट्रांजैक्शन’ फीचर के बंद होने से पेमेंट सिक्योरिटी बढ़ेगी, लेकिन मर्चेंट और ग्राहकों को नए सिस्टम अपनाने होंगे। इसके लिए कंपनियों को नए विकल्प तलाशने होंगे।
सवाल- क्या NPCI कोई नया फीचर पेश करेगा, जो ऑटो-डेबिट के लिए सुरक्षित हो?
जवाब- सुरक्षित ऑटो-डेबिट के लिए कुछ अन्य फीचर्स भी हैं। इनमें से प्रमुख है e-KYC सेतु सिस्टम, जो ग्राहकों की पहचान को सुरक्षित और प्रभावी ढंग से वेरिफाई करने में मदद करता है। e-KYC सेतु सिस्टम के कई फायदे हैं। जैसेकि-
- यह सिस्टम आधार-बेस्ड e-KYC ऑथेंटिकेशन का इस्तेमाल करती है, जिससे ग्राहकों की पहचान बिना आधार नंबर शेयर किए वेरिफाई नहीं की जा सकती है।
- डिजिटल वेरिफिकेशन होने के कारण कागजी कार्रवाई की जरूरत नहीं होती है।
सवाल- अब लोग कैसे सुनिश्चित करें कि उनके खाते से बिना अनुमति पैसे न कटें?
जवाब- UPI ‘पुल ट्रांजैक्शन’ फीचर के बंद होने के बाद ग्राहकों को भी यह सुनिश्चित करने की जरूरत होगी कि उनके बैंक खाते से बिना अनुमति पैसे न कटें। इसके लिए खुद सतर्क रहना सबसे अच्छा सुरक्षा उपाय है। अगर ग्राहक UPI AutoPay, बैंक अलर्ट, लिमिट सेटिंग्स और ई-मैंडेट मैनेजमेंट का सही से इस्तेमाल करें तो बिना अनुमति पैसे नहीं कटेंगे। इसे नीचे दिए ग्राफिक से समझिए-

आइए, अब इन पॉइंट्स के बारे में समझते हैं।
- बैंक और UPI एप में जाकर SMS और ईमेल अलर्ट ऑन करें।
- अगर कोई अनऑथराइज्ड ट्रांजैक्शन हो तो तुरंत बैंक को सूचना दें।
- बैंक और UPI एप (फोनपे, गूगलपे, पेटीएम) में जाकर UPI ट्रांजैक्शन लिमिट सेट करें।
- बैंक से संपर्क करके यह सुनिश्चित करें कि बड़ी रकम के लिए OTP या UPI पिन की जरूरत हो।
- महीने में कम-से-कम एक बार बैंक स्टेटमेंट और UPI ट्रांजैक्शन की समीक्षा करें।
- अनजान नंबरों या ईमेल से आए पेमेंट लिंक पर क्लिक न करें। कोई भी बैंक या NPCI आपसे OTP या UPI पिन नहीं पूछता है।
- गूगल प्ले स्टोर या एपल प्ले स्टोर से ही UPI एप डाउनलोड करें।
- अपने बैंक की आधिकारिक वेबसाइट या NPCI के पोर्टल से ही जानकारी लें।
- गूगल पे, फोनपे और पेटीएम या बैंक की नेट बैंकिंग में जाकर अनवांटेड ऑटो-डेबिट सर्विस को बंद करें।
- UPI एप में जाकर देखें कि कौन-सा अकाउंट लिंक है और अनावश्यक अकाउंट हटा दें।
………..…………… साइबर क्राइम से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें…. जरूरत की खबर- अनजान कॉल्स को कभी न करें मर्ज:NPCI की चेतावनी, बैंक अकाउंट खाली हो सकता है, जानें बचने के उपाय

नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने अपने ऑफिशियल एक्स (ट्विटर) अकाउंट से चेतावनी जारी की है। NPCI ने कहा कि स्कैमर्स कॉल मर्जिंग के जरिए OTP चुरा रहे हैं, जिससे आपका बैंक अकाउंट खाली हो सकता है। पूरी खबर पढ़िए…