टिप्स:  कठिन बातचीत को प्रभावी बनाने के चार तरीके
अअनुबंधित

टिप्स: कठिन बातचीत को प्रभावी बनाने के चार तरीके

Spread the love


10 घंटे पहले

  • कॉपी लिंक
  • एक सफल संगठन के होने में यह बात सबसे ज्यादा आवश्यक होती है कि कर्मचारी और लीडर आखिर में प्रोडक्टिव बातचीत करें, भले ही उनके विचार और राय एक-दूसरे से बिल्कुल मेल न खाते हों। कठिन चर्चाओं को अधिक प्रभावी बनाने के लिए पहले तो संवाद को समझें और फिर उसे ग्रहण करें। जब हम असहमति के बावजूद दूसरे के दृष्टिकोण को सम्मानपूर्वक स्वीकार करते हैं, तो हमारी बात अधिक प्रभावशाली लगती है। तनावपूर्ण चर्चाओं में संवाद को जोड़ने वाली यह रणनीतियां अपना सकते हैं…

1) दूसरों के दृष्टिकोण को भी स्वीकार करें अपना दृष्टिकोण साझा करने के लिए धन्यवाद कहें, क्योंकि यह दर्शाता है कि सामने वाले की राय भी आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण होती है, भले ही आप उनकी बात से असहमत ही क्यों न हों। धन्यवाद कहने से सामने वाला व्यक्ति अधिक मूल्यवान और सम्मानित महसूस करता है, जिससे आपसी संवाद के रास्ते भी बड़ी ही सहजता के साथ खुल जाते हैं। बहुत जरूरी है दूसरों की बात सुनना।

2) अपने दावों को लचीले अंदाज में प्रस्तुत करें अपने दावों में थोड़ी अनिश्चितता का संकेत देना, किसी भी तरह के संवाद में ग्रहणशीलता को बढ़ावा देना ही होता है। उदाहरण के तौर पर, यदि एेसा लगता है कि लोगों को फ्लेग्जिबल कार्य विकल्प देने से उनकी प्रतिबद्धता को कुछ हद तक बढ़ाया जा सकता है, तो यह निश्चित रूप से अधिक प्रभावी हो सकता है, क्योंकि यह बात हठीलेपन के बजाय आपके खुलेपन को दर्शाता है।

3) अपनी बात को सकारात्मक भाषा में रखें संघर्ष के दौर में हमेशा ही सकारात्मक भाषा का उपयोग करें। उदाहरण के लिए “आइए इस पर विचार करें कि मार्केटिंग टीम में कम लोग होने के क्या संभावित फायदे हो सकते हैं?’ बजाय यह कहने के कि “हमें मार्केटिंग टीम में और लोगों को नहीं जोड़ना चाहिए।’ इस तरह के मौके पर सकारात्मक वाक्य ही लोगों को चर्चा के लिए तैयार करते हैं, उनकी सोच भी बड़ी करते हैं।

4) सहमति उजागर करें, चाहे छोटी ही क्यों न हो सहमति के बिंदुओं को उजागर करें, चाहे वे छोटे ही क्यों न हों। संघर्ष के दौरान असहमति पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, साझा मूल्यों और विचारों को पहचानें। जब लोग भावनात्मक रूप से किसी विषय से जुड़े होते हैं, तब भी कुछ न कुछ सामान्य आधार जरूर होता है। इन साझा मूल्यों को उजागर करने से आपसी संबंध मजबूत होते हैं और बातचीत अधिक प्रभावी रहती है।



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *