आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में मेंटल तनाव और चिंता बहुत ही आम समस्या बन गई है। दिमाग को शांत रखने के लिए लोग कई तरीकों का इस्तेमाल करते हैं। जापान जैसे देश जहां काम का दबाव बहुत ज्यादा है, वहां लोग दिमाग को ‘डिटॉक्स’ यानी मानसिक सफाई के लिए कुछ बेहद असरदार तरीके अपनाते हैं। जापान के लोग मेंटल पीस और ताजगी बनाए रखने के लिए कुछ बेहतरीन टेक्नीक्स को फॉलो करते हैं, जो न सिर्फ स्ट्रेस को कम करती हैं, बल्कि मेंटल हेल्थ को भी बेहतर बनाती हैं। चलिए आपको बताते हैं जापानी लोग किन 3 खास तरीकों से दिमाग को फिर से तरोताजा करते हैं और ये कैसे काम करते हैं।
शिनरिन-योकू (Forest Bathing)
‘शिनरिन-योकू’ का मतलब है प्रकृति के बीच जाकर सुकून से समय बिताना यानी जंगल या पार्क में बिना किसी लक्ष्य के सिर्फ चलना, पेड़ों, हवा और प्रकृति को महसूस करना। यह एक ऐसी टेक्नीक है, जिसमें आप जंगल की पीस और नेचुरल वातावरण में समय बिताते हैं। रिसर्च के मुताबिक, पेड़ों से निकलने वाले नेचुरल ऑर्गेनिक कम्पाउंड दिमाग को शांत करते हैं, स्ट्रेस हार्मोन घटाते हैं और मानसिक स्पष्टता बढ़ाते हैं।
जेन मेडिटेशन (Zen Meditation)
जापान की ‘जेन’ परंपरा पर आधारित यह ध्यान तकनीक है, जिसमें व्यक्ति आंखें हल्की बंद करके सांस पर फोकस करता है और विचारों को बस आने–जाने देता है, बिना जजमेंट के। मतलब कि रोज 10-15 मिनट शांत जगह बैठकर सिर्फ अपनी सांसों पर ध्यान केंद्रित करें। कोई विचार आए तो उसे बस आते-जाते देखें, पकड़ें नहीं। नियमित जेन मेडिटेशन से दिमाग में नेगेटिव थॉट्स की पकड़ कम होती है, फोकस बढ़ता है और मानसिक संतुलन बेहतर होता है।
काइजेन (Kaizen)
काइजेन का मतलब है छोटे-छोटे सुधार। जापानी लोग रोज अपने व्यवहार, आदतों और सोच में छोटे-छोटे सकारात्मक बदलाव करते हैं, जिससे मानसिक बोझ नहीं बनता। हर दिन 1 छोटी आदत सुधारने का लक्ष्य बनाएं, जैसे- 5 मिनट जल्दी उठना, 1 गिलास ज्यादा पानी पीना या 5 मिनट किताब पढ़ना। बड़े बदलाव की कोशिश में अक्सर स्ट्रेस होता है, लेकिन छोटे सुधार से आत्मविश्वास बढ़ता है और दिमाग पर हल्का, पॉजिटिव असर पड़ता है।
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