दिल्ली गंवाई, पंजाब की टेंशन, AAP मीटिंग की इनसाइड स्टोरी:  केजरीवाल की फेस पॉलिटिक्स से तौबा, काम पर फोकस, इसकी 3 वजहें, 4 चुनौतियां – Ludhiana News
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दिल्ली गंवाई, पंजाब की टेंशन, AAP मीटिंग की इनसाइड स्टोरी: केजरीवाल की फेस पॉलिटिक्स से तौबा, काम पर फोकस, इसकी 3 वजहें, 4 चुनौतियां – Ludhiana News

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दिल्ली में कपूरथला हाउस में 11 फरवरी को अरविंद केजरीवाल ने पंजाब CM भगवंत मान और विधायकों के साथ मीटिंग की थी।

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शराब पॉलिसी से जुड़े भ्रष्टाचार के केस में जमानत पर आए AAP सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल ने एक इंटरव्यू में कहा-

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अगर जनता कहती है कि केजरीवाल ईमानदार है, तो मुझे वोट देना, वोट देकर दोबारा जिताना, तो मैं सीएम की कुर्सी पर बैठूंगा

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8 फरवरी को दिल्ली विधानसभा की 70 सीटों के नतीजे आए। 10 साल से सत्ता में बैठी AAP सिर्फ 22 सीटों पर सिमट गई। 48 सीटें जीतकर BJP ने 27 साल बाद दिल्ली में सरकार बना ली।

ठीक 3 दिन बाद 11 फरवरी को अचानक अरविंद केजरीवाल ने पंजाब के 93 विधायकों को मीटिंग के लिए दिल्ली बुला लिया। दोपहर साढ़े 11 बजे मीटिंग शुरू हुई। इस मीटिंग में केजरीवाल सिर्फ 2 मिनट बोले लेकिन उन्होंने जो कहा, उससे ये साफ हो गया कि पंजाब में AAP किसी एक चेहरे पर निर्भर नहीं रहेगी।

बल्कि दो साल बाद 2027 में सरकार के रिपीट होने का पूरा दारोमदार विधायकों के कामकाज पर रहेगा। जिस कमी की वजह से 10 साल सत्ता में रहने के बावजूद दिल्ली में वह चूक गए।

इसकी बड़ी वजह ये है कि दिल्ली के बाद सिर्फ पंजाब में ही AAP की सरकार बनी। अगर यहां से भी सत्ता गंवा दी तो पार्टी के हाथ खाली हो जाएंगे। मगर, पंजाब जीतने में भी AAP के आगे अधूरे चुनावी वादे, नशा-माइनिंग पर चुनाव से पूर्व किए दावे जैसी कई चुनौतियां भी खड़ी हैं।

दिल्ली में पंजाब के मुख्यमंत्री का आवास कपूरथला हाउस। यहीं पर अरविंद केजरीवाल ने पंजाब CM और विधायकों के साथ मीटिंग की।

दिल्ली में पंजाब के मुख्यमंत्री का आवास कपूरथला हाउस। यहीं पर अरविंद केजरीवाल ने पंजाब CM और विधायकों के साथ मीटिंग की।

कपूरथला हाउस, दिल्ली में बुलाई मीटिंग में क्या हुआ, इनसाइड स्टोरी पढ़ें…

दैनिक भास्कर ने इसको लेकर पंजाब के अलग–अलग जिलों से 5 AAP विधायकों से बात की। उन्होंने बताया कि एक तरफ पंजाब के 80 विधायक बैठे थे। उनके सामने 5 कुर्सियां लगीं थी। इन पर अरविंद केजरीवाल, CM भगवंत मान, विधानसभा स्पीकर कुलतार संधवां, पार्टी के पंजाब अध्यक्ष अमन अरोड़ा और संगठन महासचिव संदीप पाठक बैठे थे।

संदीप पाठक ने सबसे पहले मीटिंग को संबोधित किया पाठक ने कहा- पंजाबियों ने दिल्ली में आकर बहुत ज्यादा मेहनत की है। बाकी राज्यों से जब कोई भी प्रचार करने आता है तो वह सबसे पहले रहने और खाने की बात करते हैं। पंजाब एक ऐसा स्टेट है जिसके वालंटियरों ने कहा कि आप हमें काम दीजिए, हम करते हैं।

किसी पंजाबी ने हमें रहने या खाने को नहीं कहा। सभी ने अपनी व्यवस्था खुद की है। नतीजों में बहुत ज्यादा फर्क नहीं है। दिल्ली में वोट मार्जिन 3.6% है। जो विधायक हारे हैं वह कुछ ज्यादा अंतर से नहीं हारे। 5 साल में हमारी सरकार को केंद्र ने तंग करके रखा, लेकिन हमारे हौंसले टूटने वाले नहीं हैं।

दूसरे नंबर पर CM भगवंत मान ने कहा मैं विधायकों की पूरी टीम का धन्यवाद करता हूं, जिन्होंने दिल्ली में आकर चुनाव में काम किया है। पंजाब में अब हमें डबल एनर्जी से काम करना है। विधायकों को अपनी जिम्मेदारी समझते हुए लोगों के बीच जाना है। दिल्ली में धक्केशाही हुई है, जिस कारण पार्टी रह गई लेकिन हमने प्रयास जारी रखने हैं। पार्टी के आदर्शों और सुप्रीमो केजरीवाल के दिखाए रास्ते पर चल कर काम करना है। ये पॉजिटिव मीटिंग है।

इसके बाद अरविंद केजरीवाल का संबोधन शुरू हुआ अरविंद केजरीवाल ने कहा- सभी खुश रहो। किसी को सैड (उदास) होने की जरूरत नहीं है। पहले से अधिक एनर्जी से सभी काम करो। सब एक्टिव हो जाओ। 2 साल का समय अभी बचा हुआ है। हमें पंजाब में सरकार रिपीट करनी है। दोगुनी रफ्तार से काम करो।

लोगों से प्यार से बात करें। हम प्यार से दिल जीत सकते हैं। अगर कोई दफ्तर आता है तो उसे प्यार से डील करो। लोगों के बीच जाकर सभी तरह के उनके प्रोग्राम अटेंड करो। जब पहले मेरी सरकार बनी थी तो एक ही बात कही थी कि यदि मैंने काम किए हैं तो मुझे वोट डालना, अन्यथा न डालना। इसी तरीके से पंजाब में भी यही कहना है।

संगठन में जिन वॉलंटियरों को पद नहीं मिले या जो नाराज हैं, उन्हें मनाओ। सभी वॉलंटियरों को जिम्मेदारी दी जाएगी। यदि किसी विधायक का काम नहीं होता तो वे मुझसे सीधा फोन पर संपर्क करें। अब हम फ्री ही हैं, पंजाब पर ध्यान देंगे। विधायकों की पावर भी बढ़ाई गई है।

मीटिंग से जुड़े 4 अहम सवाल–जवाब पढ़िए…

सवाल: मीटिंग में 93 में से 80 विधायक थे, बाकी 13 विधायक क्यों नहीं आए? जवाब: इस पर एक AAP विधायक ने बताया कि अमृतसर नॉर्थ से विधायक कुंवर विजय प्रताप काफी समय से नाराज चल रहे हैं। बाकी ज्यादातर विधायक विधानसभा कमेटियों की मीटिंग को लेकर टूर पर थे। चूंकि मीटिंग का मैसेज एक दिन पहले आया, इसलिए बाकी हाजिर नहीं हो सके।

सवाल: कांग्रेस ने कहा था, AAP विधायक टूटेंगे, इस पर क्या चर्चा हुई? जवाब: मीटिंग में मौजूद आप MLA ने कहा कि इस पर कोई चर्चा नहीं हुई। केजरीवाल ने विधायकों को काम करने के लिए कहा।

सवाल: केजरीवाल ने विधायकों से कोई वन टु वन बात भी की? जवाब: आप MLA बताते हैं कि ऐसा कुछ नहीं हुआ। अंदर की मीटिंग सिर्फ 5 मिनट ही चली। जब हम पहुंचे तो सारे विधायक पहले CM भगवंत मान से मिले। इसके बाद मीटिंग हॉल में आए। 1 मिनट संदीप पाठक और 2–2 मिनट CM मान और केजरीवाल ने संबोधित किया। इसके बाद वे निकल गए। मंत्री और विधायक लंच कर लौट आए।

सवाल: क्या CM भगवंत मान को बदलने को लेकर कोई बात हुई? जवाब: ये ठीक है कि भगवंत मान CM पद के लिए कभी केजरीवाल की पसंद नहीं थे। 2022 के चुनाव के बीच भी वह सब कुछ छोड़कर घर बैठ गए थे। हालांकि बाद में उन्हें ही CM बनाया गया। ऐसा लग रहा है कि इस बार केजरीवाल मान के सिर पर सब कुछ नहीं छोड़ना चाहते। हालांकि AAP MLA कहते हैं कि मीटिंग में ऐसी कोई चर्चा नहीं हुई।

पंजाब को लेकर टेंशन क्यों, पॉलिटिकल एक्सपर्ट से समझें इसकी 3 वजहें…

1. यहां हारे तो 3 साल सत्ता वापसी का मौका नहीं मौजूदा समय में AAP की सरकार सिर्फ पंजाब में है। 2025 के चुनाव में वह दिल्ली हार चुकी है। इसके बाद पंजाब में चुनाव 2027 में, जबकि दिल्ली में 2030 में होंगे। ऐसे में यदि AAP पंजाब भी हार जाती है तो सत्ता में वापसी का मौका 3 साल बाद दिल्ली में ही मिलेगा।

2. पार्टी के कामकाज के लिए भी जरूरी सरकार किसी पॉलिटिकल पार्टी को चलाने के लिए सिर्फ संगठन ही जरूरी नहीं होता, बल्कि उसके लिए रिसोर्स भी चाहिए। ज्यादातर पार्टियां फंडिंग पर चलती हैं। हालांकि, अगर सत्ता ही नहीं हुई तो फिर इसके लिए फंड मिलना उतना आसान नहीं होगा। इसके अलावा पार्टी का रसूख भी कमजोर होगा। ऐसे में सरकार होनी जरूरी है।

3. पंजाब जीते तो दिल्ली में आगे की राह आसान AAP भले ही ये चुनाव हार गई, लेकिन अपना गढ़ वापस पाने का मौका नहीं छोड़ेगी। क्योंकि, दिल्ली में BJP को AAP से महज 3.6% वोट ही ज्यादा मिले हैं। हालांकि, वे सीटें 26 ज्यादा ले गए। इससे साफ है कि दिल्ली में आप का जनाधार बरकरार है। पंजाब जीते तो अगली बार वापसी आसान रहेगी। पंजाब हारे तो ये प्रभाव बनेगा कि AAP को अब लोग नकार रहे हैं।

पंजाब जीतना AAP के लिए आसान नहीं, उनके आगे 4 बड़ी चुनौतियां…

1. जिस दिल्ली मॉडल पर सरकार बनी, वही फेल हुआ 2022 में AAP ने दिल्ली मॉडल बताकर सरकार बनाई थी, जिसमें अच्छे सरकारी स्कूल, मोहल्ला क्लिनिक, सरकारी अस्पताल, मुफ्त बिजली जैसे वादे थे। हालांकि, अब दिल्ली में हारने के बाद यह मॉडल सियासी तौर पर फेल हो गया। सीनियर पत्रकार एस. पुरषोतम कहते हैं कि AAP को अब पंजाब मॉडल पेश करना होगा।

2. महिलाओं को 1 हजार रुपए महीने की गारंटी अधूरी पंजाब में AAP की सरकार को 3 साल होने वाले हैं। केजरीवाल ने चुनाव के वक्त यह गारंटी दी थी कि 18 साल से अधिक उम्र की हर महिला को महीने में एक हजार रुपए दिए जाएंगे। यह वादा अब तक पूरा नहीं हुआ है। इसी वजह से दिल्ली चुनाव में AAP का 2100 रुपए देने का दांव फेल हुआ। अब पंजाब में AAP को इसे जल्दी पूरा करना होगा।

3. बेअदबी इंसाफ, माइनिंग से कमाई जैसे दावे फेल हुए 2022 में पंजाब में चुनाव के वक्त अरविंद केजरीवाल ने दावा किया था कि श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी करने वालों को एक महीने में सजा देंगे। इसी वजह से अकाली दल का कोर पंथक वोट बैंक AAP में शिफ्ट हुआ। मगर, करीब 3 साल हो चुके, लेकिन यह मामले धीमी रफ्तार से ही चल रहे हैं।

केजरीवाल ने कहा था कि माइनिंग में 20 हजार करोड़ की रेत चोरी हो रही, इसे रोककर महिलाओं को एक हजार महीना देंगे। कांग्रेस विधायक दल नेता प्रताप बाजवा ने कहा कि इन्होंने टारगेट ही 800 करोड़ का रखा है।

4. राज्य पर लगातार कर्ज बढ़ रहा पंजाब पर इस समय 3.75 लाख करोड़ का कर्ज है। पिछले साल बैंक ऑफ बड़ौदा ने एक रिपोर्ट जारी कर कहा था कि पंजाब की कुल कमाई का 22% हिस्सा केवल ब्याज के भुगतान में जा रहा है। सरकार को हर घर को 300 यूनिट मुफ्त बिजली, महिलाओं को फ्री बस सर्विस जैसी स्कीमों का बोझ भी उठाना पड़ रहा है। मौजूदा वित्त वर्ष में भी सरकार को 28 हजार करोड़ का कर्ज लेना पड़ा है।

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