पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम:  मनुष्य अपनी इच्छाओं को सही दिशा में लगाएं
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पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम: मनुष्य अपनी इच्छाओं को सही दिशा में लगाएं

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1 घंटे पहले

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पं. विजयशंकर मेहता - Dainik Bhaskar

पं. विजयशंकर मेहता

जिन्हें मानवीय व्यवहार पर काम करना हो, उन्हें ध्यान रखना होगा कि इच्छाएं कैसे नियंत्रित करें। 5 इच्छाएं ऐसी होती हैं, जिनके कारण मनुष्य कुछ भी करने को तैयार हो जाता है। मनुष्य में पहली इच्छा होती है भोग, उसके बिना वह रह नहीं सकता। दूसरी इच्छा है विलास। जीवन ऊर्जा का एक हिस्सा वासना में तो लगेगा ही। तीसरी इच्छा प्रतिस्पर्धा है।

मनुष्य का स्वभाव है वह मुकाबला करेगा ही। चौथी इच्छा है अहंकार। पांचवी इच्छा प्रतिष्ठा है। मनुष्य में इच्छा होती है कि लोग उसे महत्वपूर्ण समझें। इन इच्छाओं का सदुपयोग करना सदव्यवहार है। रावण जब श्रीराम के तीर से मरणासन्न था, तब राम ने लक्ष्मण को उनके पास भेजा। राम जानते थे रावण विद्वान है।

लक्ष्मण ने पूछा कि राक्षसराज तुम्हारी सारी इच्छाएं पूरी हाे गईं? रावण बोला एक इच्छा मिटाओ तो दूसरी पैदा हो जाती है। अगर ये संसार की तरफ मुड़ जाए तो आसक्ति और ईश्वर की तरफ मुड़ जाए तो भक्ति कहलाती है। इच्छाएं तो होंगी ही, हमें तय करना है हमारी दिशा कौन-सी होगी।

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