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- Pt. Vijayshankar Mehta’s Column Permanent Happiness Comes Not From Wealth, But From Connecting With God
11 घंटे पहले
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पं. विजयशंकर मेहता
कई लोगों के जीवन में सुख आ जाता है। लेकिन वे उसे भोग नहीं पाते हैं। क्योंकि वे सुख को समझ ही नहीं पाते हैं। एक लौकिक सुख होता है और दूसरा पारलौकिक सुख होता है। एक हमें संसार से मिलता है लेकिन ये अस्थायी होता है।
दूसरा सुख हमें ईश्वर से मिलता है, ये स्थायी होता है। सुख को समझाने के लिए श्रीराम ने कहा है कि “मम गुन ग्राम नाम रत गत ममता मद मोह, ता कर सुख सोइ जानइ परानंद संदोह।’ अर्थात जो मेरे पूर्ण समूहों और मेरे नाम के पारायण है एवं ममता, मद, मोह से रहित है उसका सुख वही जानता है, जो परमानंद राशि को प्राप्त करता है।
राम कह रहे हैं मुझसे जो सुख मिलता है वही असली है। सुख व दुख का संबंध शक्ति से है। जीवन में अमन, चैन, प्रसन्नता, हर्ष, आराम के पीछे शक्ति काम करती है। अगर सुख की शक्ति समझ गए तो सुख को भोग सकोगे। सुख को शक्तिमान बनाइए और दुख के पीछे की शक्ति को मिटा दीजिए। इससे दुख से जल्दी पार लग जाएगा।
सुख को सशक्त बनाएं और दुख को अशक्त। दौलत से सुख नहीं आता। असली अमीरी अलग है, दिखावे की दौलत अलग है। अगर असली अमीर होना है तो दुनिया की सबसे बड़ी शक्ति से जुड़ें। वो आश्वस्त करती है कि मुझसे जुड़ने पर ही सुख मिलेगा। अस्थायी आनंद किस काम का।