पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम:  बच्चों को संस्कार देने के मामले में ‘डी2सी’ रहें
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पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम: बच्चों को संस्कार देने के मामले में ‘डी2सी’ रहें

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37 मिनट पहले

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पं. विजयशंकर मेहता - Dainik Bhaskar

पं. विजयशंकर मेहता

व्यवसाय की दुनिया में एक शब्द चलता है- ‘डी2सी’ यानी डायरेक्ट टु कंज्यूमर। इसका अर्थ होता है कि वस्तु के निर्माता उपभोक्ता से सीधे संबंध रखते हैं। इसके व्यापारिक लाभ की लंबी व्याख्या की जाती है। हमें बच्चों के लालन-पालन में भी ‘डी2सी’ का फार्मूला अपनाना चाहिए। यहां इसका मतलब डायरेक्ट टु चाइल्ड है।

माता-पिता बच्चों में सीधे संस्कार डालें। इसका सबसे अच्छा रास्ता है माता-पिता का आचरण। स्कूल-कॉलेज में संस्कार मिल जाएंगे, यह सोचना बहुत सही नहीं है, क्योंकि वहां पहले ही बहुत उपद्रव हो रहे हैं। माता-पिता अपने बच्चों में संस्कार की नई-नई रेसिपी डालें।

दुनिया में भोजन पर बहुत काम किया जा रहा है। कुछ ने तो 3000 से ज्यादा रेसिपी बना दी हैं। लेकिन बच्चों के लालन-पालन की जो रेसिपी है, उसे लेकर माता-पिता लापरवाह हैं। अगर बच्चों में अच्छे संस्कार देना है तो अन्न का भी बहुत प्रभाव पड़ेगा। कोशिश की जाए कि बच्चों को संस्कार देने के मामले में माता-पिता हमेशा ‘डी2सी’ रहें।

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