भगवान गणेश के साथ शनि की पूजा का शुभ योग:  आज तिलकुंद चतुर्थी, शनिदेव के दस नाम का करें जप, काले तिल का करें दान
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भगवान गणेश के साथ शनि की पूजा का शुभ योग: आज तिलकुंद चतुर्थी, शनिदेव के दस नाम का करें जप, काले तिल का करें दान

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2 घंटे पहले

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आज (1 फरवरी) माघ शुक्ल चतुर्थी यानी तिलकुंद चतुर्थी है। इस तिथि पर भगवान गणेश के लिए व्रत किया जाता है। शनिवार को ये तिथि होने से इसका महत्व और अधिक बढ़ गया है। गणेश जी के लिए व्रत-उपवास करें और इसके साथ ही शनिदेव की भी विशेष पूजा जरूर करें। शनि पूजा से कुंडली के शनि से जुड़े दोषों का असर कम हो सकता है, ऐसी मान्यता है।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा से जानिए तिलकुंद चतुर्थी और शनिवार के योग में शनि की पूजा कैसे कर सकते हैं…

शनि के 10 नाम वाले मंत्र का करें जप

कोणस्थ पिंगलो बभ्रु: कृष्णो रौद्रोन्तको यम:।

सौरि: शनैश्चरो मंद: पिप्पलादेन संस्तुत:।।

शास्त्रों में शनि देव के दस नाम बताए गए हैं, इन दस नामों का जप करते हुए शनि पूजा करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं, ऐसी मान्यता है।

ये हैं शनि के दस नाम- कोणस्थ, पिंगल, बभ्रु, कृष्ण, रौद्रान्तक, यम, सौरि, शनैश्चर, मन्द, पिप्पलाश्रय।

शनि देव की सरल पूजा विधि

शनि देव की पूजा के लिए सरसों का तेल, काले तिल, नीले या काले फूल, लोहे की बर्तन, काली उड़द की दाल, दीपक और धूपबत्ती जरूर रखें।

स्नान के बाद घर के मंदिर में भगवान गणेश, विष्णु जी की पूजा करें। इनके बाद शनि देव की पूजा करें। आप चाहें तो शनि देव के मंदिर जाकर भी पूजा कर सकते हैं।

शनि देव की प्रतिमा पर सरसों का तेल और काले तिल चढ़ाएं। तेल का दीपक जलाएं।

ऊँ शनिश्चराय नमः मंत्र का जप करें। शनि चालीसा या शनि स्तोत्र का पाठ करें। शनि के दस नामों का जप करें।

मिठाई और तिल से बने लड्डू का भोग लगाएं। सरसों का तेल और काले तिल का दान करें।

शनि देव की पूजा के बाद जरूरतमंद लोगों को भोजन कराएं और वस्त्र दान करें। पीपल की पूजा करें और पीपल के नीचे दीया जलाएं।

शनि के मंत्रों का जप करें

ऊँ शं शनैश्चराय नम:।

ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।

ऊँ सूर्यपुत्राय विद्महे, महाकायाय धीमहि। तन्नो मंदः प्रचोदयात्।

शनि से जुड़ी ज्योतिष की मान्यताएं

  • शनि देव को न्याय का देवता माना जाता है। यही ग्रह हमें हमारे कर्मों का फल देता है।
  • शनि एक राशि में करीब ढाई साल रुकता है। शनि साढ़ेसाती और ढय्या की स्थिति में सबसे ज्यादा प्रभावित करता है।
  • शनि धीमी गति से चलने वाले ग्रह हैं और इसका प्रभाव लंबे समय तक बना रहता है।
  • ये ग्रह मकर और कुंभ राशि के स्वामी है। तुला राशि में शनि उच्च का और मेष में नीच का रहता है।

सरल स्टेप्स में कर सकते हैं गणेश जी की पूजा

तिलकुंद चतुर्थी पर स्नान के बाद घर के मंदिर में भगवान गणेश का पूजन करें।

पूजा के में भगवान गणेश का पंचामृत और जल से अभिषेक करें। इसके बाद हार-फूल और वस्त्रों से श्रृंगार करें।

दूर्वा, फल, फूल, चावल, रौली, मौली चढ़ाएं। तिल और तिल-गुड़ से बनी मिठाई, लड्डुओं का भोग लगाएं।

गणेश पूजा करते समय अपना मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखेंगे तो बहुत शुभ रहेगा।

पूजा में ऊँ श्रीगणेशाय नम: मंत्र का जप करें। धूप-दीप जलाएं। कर्पूर जलाकर आरती करें।

पूजा के बाद भगवान से जानी-अनजानी गलतियों के लिए क्षमा याचना करें। प्रसाद बाटें।

शाम को भी ठीक इसी तरह भगवान की पूजा करें। चतुर्थी व्रत की कथा पढ़ें-सुनें।

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