रूमी जाफरी14 घंटे पहले
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राहुल रवैल निर्देशित फिल्म ‘लव स्टोरी’ का एक दृश्य।
मेरे हिस्से के किस्से में आज बात मशहूर डायरेक्टर राहुल रवैल और उनकी सबसे पहली सुपर हिट और यादगार फिल्म ‘लव स्टोरी’ की। मुझे अच्छी तरह याद है कि जब ये फिल्म रिलीज हुई थी, उस वक्त मैं 15 साल का था मगर फिल्म देखकर दीवाना-सा हो गया था। फिल्म के पर्दे पर पहली बार एक अलग तरह का युवा रोमांस देखने को मिला था। सारे के सारे गाने सुपर हिट थे। कुमार गौरव का इतना क्रेज हो गया था कि हर लड़की अपने ख्वाबों में कुमार गौरव को ही देखती थी। मेरी खुशनसीबी है कि मुझे रवैल जी के साथ काम करने का मौका मिला। पिछले 35 सालों से मेरा उनका साथ रहा है। इस दौरान मैंने उनसे बहुत सारे किस्से सुने हैं। आज यहां मैं आपको ‘लव स्टोरी’ की कुछ रोचक बातें बताना चाहता हूं।
उसका एक सुपर हिट गीत ‘तेरी याद आ रही है’ याद आ रहा है। राहुल जी ने मुझे बताया था कि आरडी बर्मन के साथ इसकी धुन फाइनल हो गई और आनंद बख्शी के साथ बैठकर गाने की लाइनें और बोल भी फाइनल कर लिए गए। यह भी फाइनल कर लिया गया कि विजेता पंडित पर पिक्चराइस लताजी की लाइनें कौन-सी होंगी और कुमार गौरव पर पिक्चराइज अमित कुमार की लाइनें कौन-सी। फिर मैं कश्मीर निकल गया, शूटिंग वहीं पर थी। रिकॉर्डिंग के वक्त मैं मौजूद नहीं था। हां, गाना रिकॉर्ड होते वक्त फिल्म के प्रोड्यूसर राजेंद्र कुमार जी जरूर मौजूद थे। जब गाना रिकार्ड होकर मेरे पास आया और मैंने उसे सुना तो मैं हैरान रह गया। पूरा उलटा हो गया था। जो लाइनें मैंने अमित कुमार के लिए फाइनल की थीं, वो लता जी की आवाज में थीं और जो मैंने लता जी के लिए फाइनल की थीं, वो अमित कुमार की आवाज में। मैंने सोचा कि यह शायद गलती से हो गया होगा। मैंने पूछा तो मुझे बताया गया कि राजेंद्र कुमार जी ने इसे बदलवा दिया कि अमुक लाइनें कुमार गौरव को दो और कुमार की लाइनें विजेता पंडित को। लेकिन राहुल जी ने बताया कि मैंने जो-जो लाइनें जिसके लिए फाइनल की थीं, वैसे ही पिक्चराइस किया। मैंने शूटिंग पर अमित कुमार का प्लेबेक दिया विजेता पंडित को और लता जी का प्लेबेक दिया कुमार गौरव को, क्योंकि मैंने वो ही लाइनें उनके लिए फाइनल की थीं। तो जब हमने आकर एडिटिंग देखी तो बड़ा मजा आया, क्योंकि उसमें अमित कुमार का प्लेबेक चलता था विजेता पंडित पर और लता जी का प्लेबेक चलता था कुमार गौरव पर। बाद में लता जी और अमित कुमार से ओरिजिनल लाइनें उनकी आवाज में डब कराई गईं और पिक्चर में डाली गईं।
खैर, पिक्चर कम्पलिट होने पर आई तो कुछ चीजों को लेकर राजेंद्र कुमार और राहुल जी के बीच क्रिएटिव मतभेद हो गए। फिल्म के पूरा होने के बाद उसका पहला पोस्टर बना और जब उसे राहुल जी ने देखा तो उस पर लिखा था – ‘राजेंद्र कुमार्स लव स्टोरी’ और राहुल जी का डायरेक्टर के रूप में नाम ही नहीं था। इससे राहुल जी को बहुत बुरा लगा, जबकि राजेंद्र कुमार और राहुल जी का बचपन से रिश्ता था, क्योंकि राजेंद्र कुमार जी राहुल जी के पिता एचएस रवैल के असिस्टेंट रहे। तो अब राहुल जी ने राजेंद्र जी से बोल दिया कि जब आपने पोस्टर पर मेरा नाम नहीं दिया है तो पिक्चर के अंदर भी मत दो। लेकिन राहुल जी के अनुसार उन्हें राज कपूर साहब ने बताया कि दरअसल, पिक्चर बहुत जबरदस्त बन गई है और इसलिए राजेंद्र कुमार इसमें बतौर डायरेक्टर अपना नाम डाल देना चाहते हैं। तो राहुल जी कोर्ट चले गए जहां उन्होंने अपने एक्टर्स विद्या सिन्हा, अमजद खान, डैनी, अरुणा जी के हलफनामे लगाए। इनमें इन लोगों ने कहा कि पूरी फिल्म, आखिरी शॉट तक राहुल रवैल ने ही बनाई है। तो कोर्ट ने फैसले में कहा कि चूंकि फिल्म राहुल रवैल ने बनाई है। इसलिए नाम देना या नहीं देना, राहुल रवैल की अपनी मर्जी है, लेकिन डायरेक्टर की जगह और किसी दूसरे का नाम नहीं आ सकता। तो मुझे लगता है कि हिंदी इतिहास की ये ऐसी पहली फिल्म है, जो इतनी बड़ी ब्लॉक बस्टर फिल्म रही, लेकिन उसमें डायरेक्टर का नाम नहीं आता है, जबकि पूरी इंडस्ट्री को पता है कि फिल्म राहुल रवैल ने ही डायरेक्ट की है।
मुझे उनका एक और वाकया याद आ रहा है, जो बहुत दिल को छूने वाला है। राहुल रवैल के बड़े बेटे का नाम भरत है जो एक बड़ा फोटोग्राफर है। दूसरा बेटा शिव रवैल है, जिसने वेब सीरीज ‘रेलवे मैन’ डायरेक्ट की है। जब राहुल जी को बेटे हुए तो उन्होंने बर्थ सर्टिफिकेट में रिलिजियन (धर्म) के कॉलम में लिखा – इंडियन। तो अधिकारी ने मना कर दिया कि आप ‘इंडियन’ नहीं लिख सकते। आपको अपना धर्म लिखना पड़ेगा। राहुल जी ने कहा कि मेरा धर्म तो इंडियन है, मैं हिंदुस्तानी हूं, आपको लिखना ही पड़ेगा। राहुल जी ने उनको एक लिखित में नोटिस भेजा और आखिर उनको राहुल जी की बात माननी पड़ी। शिव और भरत के बर्थ सर्टिफिकेट में धर्म के कॉलम मंे ‘इंडियन’ लिखा है। जब राहुल जी मुझे यह बताया कि तो मेरी नजर में उनकी इज्जत और बढ़ गई। इसी बात पर मुझे नवाज देवबंदी के दो शेर याद आ रहे हैं:
रोशनी का कुछ न कुछ इमकान होना चाहिए बंद कमरे में भी रोशदान होना चाहिए माथे पे आप के चाहे कुछ भी लिखा हो सीने पे मगर हिंदोस्तान होना चाहिए
कल यानी 7 अप्रैल को राहुल जी का जन्मदिन है। मेरी तरफ से, हर इंसान की तरफ से उन्हें जन्मदिन की बहुत-बहुत मुबारकबाद। आज उनकी याद में ‘लव स्टोरी’ का वही गाना सुनते हैं, जिसका किस्सा मैंने अभी-अभी बताया है। तो ये गीत सुनिए, अपना खयाल रखिए और खुश रहिए।