सेहतनामा- कर्नाटक में फैल रहा मंकी फीवर:  क्या है ये बीमारी, क्या इंसानों के जरिए भी फैलती है, डॉक्टर से जानें हर सवाल का जवाब
महिला

सेहतनामा- कर्नाटक में फैल रहा मंकी फीवर: क्या है ये बीमारी, क्या इंसानों के जरिए भी फैलती है, डॉक्टर से जानें हर सवाल का जवाब

Spread the love


  • Hindi News
  • Lifestyle
  • KFD Virus Outbreak; Monkey Fever Symptoms Transmission And Treatment Explained

17 घंटे पहलेलेखक: गौरव तिवारी

  • कॉपी लिंक

पिछले महीने कर्नाटक में मंकी फीवर के 64 मामले दर्ज हुए और दो लोगों की मौत हो गई। मामले बढ़ते देखकर सरकार ने फ्री इलाज की घोषणा की है। साथ ही, लोगों से सतर्क रहने की अपील की है।

मंकी फीवर का खतरा उन इलाकों में ज्यादा है, जहां बंदर ज्यादा रहते हैं। कर्नाटक के अलावा महाराष्ट्र और गोवा में भी मंकी फीवर के कई केस देखने को मिले हैं।

हर साल जनवरी से मई के बीच इसके मामले तेजी से बढ़ते हैं। इसलिए कई बार कुछ इलाकों में यह बीमारी इस दौरान एपिडेमिक का रूप ले लेती है। इसका मतलब है कि किसी खास क्षेत्र में किसी बीमारी के मामले बहुत ज्यादा मिल रहे हैं।

भारत में हर साल मंकी फीवर के 400 से 500 केस आते हैं, जिनमें से तकरीबन 25 लोगों की मृत्यु हो जाती है।

इसलिए ‘सेहतनामा’ में आज मंकी फीवर की बात करेंगे। साथ ही जानेंगे कि-

  • इसके क्या लक्षण हैं?
  • यह बीमारी कितनी खतरनाक है?
  • इसका इलाज और बचाव क्या है?

पिछले साल कर्नाटक में मंकी फीवर से 14 मौतें

कर्नाटक सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2024 में कर्नाटक में मंकी फीवर के 303 मामले दर्ज किए गए, जिसमें से 14 लोगों की मौत हो गई। कर्नाटक में कमोबेश हर साल यही हाल रहता है। पश्चिमी घाट के आसपास के इलाकों में यह बीमारी एंडेमिक है। इसका मतलब है कि कोई बीमारी लगातार बनी हुई है, पर एक खास इलाके में ही सीमित है।

मंकी फीवर के कारण मौतों का यह आंकड़ा भले कम लग रहा है, पर संक्रमण बढ़े तो यह बेहद घातक साबित हो सकता है। इसकी डेथ रेट 3-10% है।

मंकी फीवर क्या है?

मंकी फीवर यानी क्यासानूर फॉरेस्ट डिजीज (KFD) जानवरों से इंसानों में फैलने वाली बीमारी है। यह बंदरों के शरीर में रहने वाले टिक्स (किलनी) के काटने से फैलती है।

मंकी फीवर के लक्षण क्या हैं?

इसके लक्षण आमतौर पर टिक्स के काटने के 3-4 दिन बाद सामने आते हैं। इसमें ज्यादातर लोगों को अचानक ठंड के साथ बुखार होता है। साथ ही तेज सिरदर्द भी होता है।

लक्षण गंभीर होने पर हैमरेज जैसे लक्षण दिख सकते हैं। इसमें नाक से खून आ सकता है। इसके कारण न्यूरोलॉजिकल प्रॉब्लम्स हो सकती हैं। उनींदेपन और भ्रम की स्थिति हो सकती है।

इसके सभी लक्षण ग्राफिक में देखिए-

मंकी फीवर का इलाज क्या है?

मंकी फीवर के लिए कोई खास एंटीबायोटिक्स उपलब्ध नहीं है। इसके इलाज में मुख्य रूप से लक्षणों को कम करने की कोशिश की जाती है। डॉक्टर बुखार और दर्द कम करने के लिए दवाएं देते हैं। साथ ही शरीर को हाइड्रेटेड रखने की सलाह देते हैं।

इसके लक्षण तेजी से बढ़ते हैं, इसलिए ज्यादातर पेशेंट्स को हॉस्पिटल में एडमिट करके ट्रीटमेंट दिया जाता है। इस दौरान डॉक्टर डिहाइड्रेशन, लो ब्लड प्रेशर, ब्लीडिंग, बेहोशी जैसे सभी कॉम्प्लिकेशन का इलाज करते हैं। अगर डिहाइड्रेशन से ज्यादा कमजोरी हो गई है तो IV फ्लूइड और ब्लड चढ़ाया जा सकता है।

मंकी फीवर से बचाव कैसे करें

मंकी फीवर का कोई सटीक इलाज नहीं है। इसलिए इससे बचाव करना बहुत जरूरी है। भारत में अभी तक इसकी वैक्सीन उपलब्ध नहीं है तो मंकी फीवर फैलाने वाले टिक्स से बचाव के लिए कुछ जरूरी टिप्स अपनाने होंगे। ग्राफिक में देखिए-

मंकी फीवर से जुड़े कुछ कॉमन सवाल और जवाब

सवाल: क्या मंकी फीवर के लिए वैक्सीन उपलब्ध है? जवाब: ICMR के मुताबिक, पूरी दुनिया में मंकी फीवर की किसी भी वैक्सीन को अभी तक लाइसेंस नहीं मिला है। पिछले काफी समय से भारत इसकी वैक्सीन बनाने के लिए काम कर रहा था। खुशी की बात ये है कि भारत को इस काम में काफी हद तक सफलता मिल गई है। हमारे यहां बनी वैक्सीन फिलहाल प्री-क्लिनिकल टेस्टिंग स्टेज में है। अगले साल इसकी क्लिनिकल टेस्टिंग पूरी होने की उम्मीद है। संभवत: अगले साल तक भारत के पास मंकी फीवर की अपनी वैक्सीन होगी।

सवाल: क्या KFD यानी मंकी फीवर को पूरी तरह खत्म किया जा सकता है? जवाब: KFD वायरस मुख्य रूप से जंगली जानवरों और कीड़ों के बीच फैलता है। इसलिए इसे पूरी तरह खत्म करना मुश्किल है। हालांकि, सावधानी बरती जाए तो टिक से बचाव करके इस खतरनाक बीमारी से बचा जा सकता है।

सवाल: इसके संक्रमण का जोखिम कब बढ़ सकता है? जवाब: अगर कोई जंगल में घूमने गया है, खासतौर से जनवरी से मई के बीच, तो इसका जोखिम ज्यादा हो सकता है। इस मामले में सबसे ज्यादा खतरनाक इलाके कर्नाटक के पश्चिमी घाट के आसपास के जंगल हैं। हालांकि, तमिलनाडु, गोवा, केरल और महाराष्ट्र में भी इसके कई मामले देखे गए हैं। जलवायु परिवर्तन और जंगलों में बढ़ रही मानवीय गतिविधियों से संक्रमण का खतरा बढ़ता जा रहा है।

सवाल: क्या मंकी फीवर एक व्यक्ति से दूसरे में फैल सकता है? जवाब: नहीं, मंकी फीवर इंसानों-से-इंसानों में नहीं फैलता है। यह सिर्फ संक्रमित टिक्स के काटने से ही फैलता है।

सवाल: मंकी फीवर का वायरस कैसे फैलता है? जवाब: यह बीमारी संक्रमित टिक्स के काटने से फैलती है। जंगल में रहने वाले ज्यादातर बंदर इस बीमारी से प्रभावित होते हैं। इससे उनके शरीर पर चिपके टिक्स भी संक्रमित हो जाते हैं। ये संक्रमित टिक्स जब उड़कर इंसानों को काटते हैं, तब यह वायरस फैलता है। आमतौर पर जंगल में घूमने गए लोग या चरवाहे इस वायरस की चपेट में आते हैं।

सवाल: क्या मंकी फीवर से मौत हो सकती है? जवाब: हां, अगर समय पर इलाज न मिले तो मंकी फीवर जानलेवा हो सकता है। इसका डेथ रेट 3-10% तक है।

सवाल: मंकी फीवर का सबसे पहला मामला कहां मिला था ? जवाब: साल 1957 में कर्नाटक के क्यासानूर जंगल में एक बीमार बंदर मिला था। उसमें इस वायरस की पुष्टि की गई थी। इसीलिए इसे क्यासानूर वायरस डिजीज या मंकी फीवर कहते हैं।

इसके बाद से यह वायरस इंसानों में भी फैलना शुरू हो गया। अब हर साल क्यासानूर वायरस डिजीज के 400-500 केस सामने आते हैं, जिसमें लगभग 20 लोगों की मौत भी हो जाती है। …… सेहत से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें

सेहतनामा- महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश में फैल रहा बर्ड फ्लू:किन लोगों को इसका रिस्क ज्यादा, डॉक्टर से जानें, बचाव और सावधानियां

महाराष्ट्र के 6 जिलों के कई पोल्ट्री फार्म में बर्ड फ्लू के केस सामने आए हैं। आमतौर पर बर्ड फ्लू पक्षियों या जानवरों में फैलता है। हालांकि, बीते कुछ सालों में इंसानों में भी इसके कई केस सामने आए हैं। पूरी खबर पढ़ें

खबरें और भी हैं…



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *