हरिद्वार20 घंटे पहले
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हमारी संस्कृति उजालों की उपासक है, हम प्रकाश का अभिनंदन करते रहे हैं, लेकिन हम रात के भी आभारी हैं। रात ने हमारा परिचय निहारिका, नक्षत्र और चंद्र की विविध कलाओं से कराया है। रात का एक पक्ष है और वो है विश्राम का। रात ये शांति और निद्रा का समय है, इसका लाभ लेना चाहिए। सुबह होने तक, पूरी नींद लें और सुबह उजाले का अभिनंदन करें। इसका अर्थ ये है कि जीवन में रात यानी मुश्किलें आएंगी, तब हमें शांति से काम लेना चाहिए।
आज जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद जी गिरि के जीवन सूत्र में जानिए रात के समय का सही इस्तेमाल कैसे करें?
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