टिप्स:  नेतृत्व में संवेदनशीलता के लिए कुछ सुझाव
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टिप्स: नेतृत्व में संवेदनशीलता के लिए कुछ सुझाव

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2 घंटे पहले

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  • अक्सर ऐसा हो सकता है कि लीडर्स काम के ज्यादा तनाव में और संकट के समय अपने आसपास के लोगों के प्रति तिरस्कार या कठोरता महसूस कर सकते हैं। यदि ऐसा होता है, तो यह बिल्कुल भी ठीक नहीं है। यदि आप किसी कारण से कठिन परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं, तो ऐसे में मजबूत और दृढ़ रहना बेहद आवश्यक है। लेकिन साथ ही आपको यह भी याद रखना बेहद जरूरी है कि हर कोई उतना मजबूत नहीं होता जितना आप हैं। ऐसे में संवेदनशीलता विकसित करने के ये चार तरीके अपनाए जा सकते हैं…

1) टीम के लिए सहायक वातावरण तैयार करें यदि आप अपने आपको एक अत्यधिक सहनशील और मजबूत लीडर मानते हैं, तो यह पहचानें कि यह कोई सामान्य नहीं, असामान्य विशेषता होती है। बहुत सारे लोगों में इसकी कमी हो सकती है। इसलिए दूसरों को अपनी कसौटी पर न परखें। इसके बजाय यह सोचें कि किन अनुभवों ने आपको मजबूत बनाया है और अपने तजुर्बों से किस तरह आप प्रयास करके अपनी टीम के लिए एक सहायक वातावरण तैयार कर सकते हैं, जिससे वे भी आपकी तरह मजबूती से आगे बढ़ सकें।

2) हर व्यक्ति को उसके संपूर्ण रूप में देखें जिस व्यक्ति के प्रति आप तिरस्कार महसूस कर रहे हैं, उसे सिर्फ वर्तमान स्थिति के तहत मत आंकिए। सबसे पहले तो उसकी संपूर्ण क्षमताओं और योगदान को याद करके देखें। अगर आप उसके बारे में तीन सकारात्मक बातें नहीं सोच सकते हैं, तो आपको स्वयं से यह सवाल पूछना चाहिए कि क्या यह व्यक्ति वास्तव में मेरी टीम के लिए उपयुक्त साबित हो सकता है? यदि नहीं, तो यह भी आपकी ही जिम्मेदारी बनती है कि आपने उसे अब तक टीम में क्यों रखा हुआ है।

3) सहानुभूति और दयालुता को अपनाएं सहानुभूति का मतलब है समय पड़ने पर अतिरिक्त प्रयास करना और दयालु बनना। खुद को दूसरे व्यक्ति की जगह रखकर देखें। जरूरी नहीं है कि हर कोई आपकी तरह सोचे। दूसरों का नजरिया आपसे कुछ अलग भी हो सकता है। पहले तो आप दुनिया को उसकी नजर से समझने की कोशिश करें और फिर उसे भी अपनी दृष्टि से चीजें समझाने में आप उसकी पूरी मदद कर सकते हैं। मन में सहानुभूति और दयालुता रखें।

4) अपने मूल्यों को याद कर सही काम करें अपने नेतृत्व और प्रभाव को सही दिशा में ले जाने के लिए भी कुछ उपाय किए जा सकते हैं। आप खुद से भी कुछ सवाल पूछ सकते हैं। इन सवालों को खुद से बार-बार पूछ सकते हैं : इस समय मैं आखिर किस तरह का व्यक्ति बनना चाहता हूं? क्या मैं अपने मूल्यों के अनुसार ही अपना काम कर रहा हूं? इस तरह से सवाल पूछेंगे तो आप कुछ गलत करने से बचे रहेंगे। हर दिन अपने सवालों को कम से कम 30 बार दोहराएं और फिर अगले दिन भी यही काम दोबारा शुरू करें।



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