पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम:  नियम बना लें कि रोज कुछ न कुछ हाथ से जरूर लिखेंगे
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पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम: नियम बना लें कि रोज कुछ न कुछ हाथ से जरूर लिखेंगे

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4 घंटे पहले

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पं. विजयशंकर मेहता - Dainik Bhaskar

पं. विजयशंकर मेहता

ये मल्टीटास्किंग का जमाना है। आजकल के बच्चों को सिखाया जाता है कि प्रतिस्पर्धा के युग में दो पैसे ज्यादा कमाना हो तो एक से अधिक काम करना चाहिए। मल्टीटास्किंग से पैसा तो अधिक आ जाता है, पर मानसिक अशांति बढ़ जाती है। तो जो लोग मल्टीटास्किंग में लगे हों, उनको एक प्रयोग करना चाहिए।

हाथ से लिखने की वृत्ति बढ़ा देना चाहिए। शिक्षा का अर्थ होता है पढ़ना-लिखना। तो यदि हम पढ़ रहे हैं तो लिखना न छोड़ें, क्योंकि जितना अधिक अपने हाथ से लेखन करेंगे, जीवन के उतने निकट हो जाएंगे। ऐसे प्रयोग मनोवैज्ञानिकों ने किए हैं कि जिन लोगों ने हाथ से नोट्स बनाए और जिन लोगों ने मोबाइल पर टाइप किया, उनकी याददाश्त के स्तर में फर्क पाया गया है।

जिन्होंने हाथ से लिखा, उनका स्मृति का स्तर बढ़ा हुआ मिला, क्योंकि लिखा हुआ ज्यादा देर तक याद रहता है। टाइप करना मल्टीटास्किंग है, हाथ से लिखना फोकस्ड मामला है। इसे यूं भी समझ सकते हैं कि कर्मकांड टाइपिंग है और लेखन ध्यान है।

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