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- Pt. Vijayshankar Mehta’s Column Whatever Work You Get, You Should Like It
6 घंटे पहले
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पं. विजयशंकर मेहता
आपके करियर में एक समय के बाद परिश्रम ही सबसे बड़ी योग्यता बन जाता है। वैसे भी यह खूब मेहनत करने का युग है। रोजाना आठ से दस घंटे मेहनत करना सामान्य बात है। अगर आप ऐसा नहीं कर रहे हैं तो आप हाशिए पर आ जाएंगे।
इसलिए साल भर मेहनत करें। लेकिन बीच में छुट्टी भी मनाइए। छुट्टी के दिनों में परिश्रम करने का स्थान जरूर बदलें। लेकिन परिश्रम छोड़ना नहीं है। परिश्रम में दो बाते आती हैं- पहला विश्राम और दूसरा परिणाम। ये दोनो बातें इसमें समाई हैं। इसलिए परिश्रम करने वालों को इन बातों को समझना चाहिए। इस बहस में न पड़ें कि एक हफ्ते में कितने घंटे काम करें।
भागवत में भगवान कृष्ण के लिए लिखा है कि उनकी दिनचर्या ऐसी थी कि यदि हिसाब लगाया जाए तो 16 घंटे से ज्यादा काम करते थे। कुछ लोग अभी भी कर रहे हैं। कृष्ण से सीखिए कि वे कर्म के प्रति टॉक्सिक नहीं थे। बल्कि वे तो अपने काम का स्वाद लेते थे। इसलिए मशक्कत करते समय मौन जरूर रखिए। अपनी पसंद का काम करें, इससे परिश्रम बोझ नहीं होगा।