गौरव पाठक2 घंटे पहले
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भारत में पर्यटन उद्योग तेजी से बढ़ रहा है। अगर हम अकेले घरेलू पर्यटन की ही बात करें तो साल 2023 में देश में 1.7 अरब यात्राएं रिकॉर्ड की गईं। यात्राएं चाहे अंतरराष्ट्रीय हों, तीर्थयात्रा पैकेज हों या घरेलू हॉलिडे ट्रिप्स, ट्रैवल ऑपरेटरों के माध्यम से उपभोक्ता बुकिंग पर लाखों रुपए खर्च करते हैं। उपभोक्ताओं और टूर ऑपरेटरों के बीच संबंध उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 द्वारा शासित होते हैं। आइए आज समझते हैं कि इस कानून के तहत उपभोक्ताओं को क्या-क्या अधिकार हासिल हैं।
यात्रा कार्यक्रम में अचानक बदलाव जो मुद्दा बार-बार सामने आता है, वह है टूर ऑपरेटरों द्वारा यात्रा कार्यक्रम में बदलाव। मेक माई ट्रिप बनाम मानवेंद्र साहा रॉय (2019) मामले की सुनवाई राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग ने की थी। इसमें ऑपरेटर ने अपने उपभोक्ता को एक अस्थायी यात्रा कार्यक्रम भेजा था और पूरा भुगतान भी ले लिया था। लेकिन फिर प्रस्थान से सिर्फ 3 दिन पहले पूरी तरह से एक अलग यात्रा कार्यक्रम भेज दिया। ऑपरेटर की कैंसलेशन की पॉलिसी भी काफी सख्त थी, जिसके अनुसार प्रस्तावित यात्रा से 10 दिन के भीतर यात्रा रद्द करने पर पूरी राशि जब्त करने की शर्त थी। इस कैंसलेशन पॉलिसी को बनाए रखते हुए अंतिम समय में बदलाव करने की इस प्रैक्टिस को अनुचित एवं प्रतिबंधात्मक व्यापार प्रथा माना गया। आयोग ने मुआवजे के साथ पूरी बुकिंग राशि वापस करने के निर्देश दिए।
वीजा का कैंसलेशन अगर वीजा रिजेक्शन के कारण अंतरराष्ट्रीय यात्रा कार्यक्रम रद्द किए जाते हैं तो उपभोक्ता आयोग टूर ऑपरेटरों की शर्तों और नियमों पर विचार करने के बाद ही आदेश देते हैं। मेक माई ट्रिप बनाम डॉ. एस. नागराजन (2024) मामले में उपभोक्ताओं को वीजा रिजेक्शन के कारण अपना यूरोप का दौरा रद्द करना पड़ा। राष्ट्रीय आयोग ने माना कि यदि प्रस्थान से 45 दिन पहले वीजा रिजेक्शन की सूचना दी जाती है तो केवल एडमिनिस्ट्रेटिव चार्जेस काटे जा सकते हैं। हालांकि यदि टूर ऑपरेटर को इसके बाद में सूचित किया जाता है, तो जो भी कांट्रैक्ट हुआ, उसके अनुसार नॉर्मल कैंसलेशन चार्जेस लागू होंगे। आयोग ने गौर किया कि अंतरराष्ट्रीय पर्यटन के लिए ऑपरेटरों को कंफर्म बुकिंग करने और बेहतर डील पाने के लिए ज्यादा समय की दरकार होती है।
उपभोक्ता किन बातों का रखें ध्यान? उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 की धारा 2(9) के तहत उपभोक्ताओं को सभी प्रासंगिक जानकारियां प्राप्त करने और अनुचित व्यापार प्रथाओं से सुरक्षित रहने का अधिकार है। टूर की बुकिंग करने से पहले उपभोक्ताओं को चाहिए कि वे अपने ऑपरेटर से लिखित में पूरा यात्रा कार्यक्रम प्राप्त करें और साथ ही कैंसलेशन और रिफंड पॉलिसियों को भी ध्यान से पढ़ना चाहिए। सभी कम्युनिकेशन की प्रतियां रखें और होटलों तथा वादा की गईं सेवाओं का विवरण भी पहले से ही ले लेना चाहिए। ऑपरेटर के रजिस्ट्रेशन और क्रेडेंशियल की भी जांच कर लेनी चाहिए और भुगतान के लिए उस प्रणाली का इस्तेमाल करना चाहिए जिसे ट्रेस किया जा सके। उचित रसीदें प्राप्त करनी चाहिए और (यदि अंतरराष्ट्रीय पर्यटन का मामला हो) तो वीजा रिजेक्शन पत्र की प्रति भी रखनी चाहिए।
उपभोक्ता कैसे करें शिकायत? उपभोक्ता अपनी शिकायत को लेकर उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 की धारा 35 के तहत उपभोक्ता आयोगों से संपर्क कर सकते हैं। शिकायत घटना (काज ऑफ एक्शन) की तारीख से दो साल के भीतर दर्ज की जानी चाहिए। यदि भुगतान की गई राशि 50 लाख रुपए से कम है तो शिकायत जिला आयोग में दर्ज की जाएगी। आयोगों ने अतीत में आम तौर पर ब्याज के साथ यात्रा राशि की वापसी, मानसिक पीड़ा और उत्पीड़न के लिए मुआवजा, मुकदमेबाजी की लागत और अनुचित व्यापार प्रथाओं के मामलों में अतिरिक्त मुआवजे के आदेश दिए हैं। कोर्ट सफलता उचित दस्तावेज अपने पास बनाए रखने पर निर्भर करती है, जिसमें बुकिंग की रसीदें, ऑपरेटर के साथ पत्राचार, वादा किए गए यात्रा कार्यक्रम को दिखाने वाले ब्रोशर और बगैर सहमति या उचित सूचना के कार्यक्रम में बदलवा किए जाने के सबूत शामिल हैं।
(लेखक सीएएससी के सचिव भी हैं।)