रसरंग में मेरे हिस्से के किस्से:  समय पर खाना ना पहुंचा तो भूखे रहे थे बिग बी
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रसरंग में मेरे हिस्से के किस्से: समय पर खाना ना पहुंचा तो भूखे रहे थे बिग बी

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रूमी जाफरी4 घंटे पहले

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फिल्म ‘चेहरे’ के एक दृश्य में अमिताभ बच्चन। - Dainik Bhaskar

फिल्म ‘चेहरे’ के एक दृश्य में अमिताभ बच्चन।

  • फिल्म ‘चेहरे’ की शूटिंग के दौरान अमिताभ बच्चन ने होटल में सूप पीकर निकाली थी पूरी रात

आज यानी 23 मार्च को मेरा जन्मदिन है। मैंने पिछले साल सबको बताया था कि मुझे पहली फिल्म मेरे जन्मदिन पर ही मिली थी। आज मैं आपको अपने जन्मदिन का एक और यादगार किस्सा बताने जा रहा हूं।

वो 23 मार्च 1998 का दिन था। लोगों के मुबारकबाद के फोन आ रहे थे। मैंने कोई पार्टी नहीं रखी थी। दोपहर में बच्चन साहब का फोन आया। उन्होंने जन्मदिन की बधाई और शुभकामनाएं दीं और बोले कि रूमी, मैं बाबूजी को लेकर ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल आया हूं। अगर घर जल्दी पहुंच गया तो रात को तुम्हारे घर आता हूं। मैंने सोचा कि औपचारिकतावश बोल रहे होंगे, घर कहां आने वाले हैं। तो शाम को अपनी फैमिली के साथ किस रेस्टॉरेंट में चलना है, इसको लेकर मैं डिस्कस कर रहा था। तभी बच्चन साहब के ऑफिस से फोन आया कि साहब 8 बजे आपके घर पहुंच जाएंगे। मैंने जैसे ही घर पर बताया, परिवार के सभी लोग तो उत्साहित हो गए, लेकिन मैं और मेरी बीवी परेशान हो गए कि बच्चन साहब आ रहे हैं तो घर पर उनका स्वागत कैसे करें। मेरी पत्नी यह सोच रही थी कि बच्चन साहब को क्या खिलाऊं और मैं सोच रहा था कि उनकी कंपनी के लिए किसे बुलाऊं। मैंने गोविंदा जी को, डेविड साहब को, हनी ईरानी को, रमेश तौरानी से जल्दी घर आने की गुजारिश की। सब जानते थे कि बच्चन साहब समय के कितने पक्के हैं। ठीक 8 बजे वो आ गए। साथ में जया जी भी थीं। अभिषेक भी आ गए, हनी के साथ निशि प्रेम भी थीं। मेरे जन्मदिन का इससे बड़ा तोहफा क्या हो सकता है कि बच्चन साहब आए और साथ ही बाकी अन्य लोग भी इतने शार्ट नोटिस पर आ गए। वो शाम मेरी जिंदगी की यादगार शाम बन गई। इसी बात पर मुझे नूह नारवी का एक शेर याद आ रहा है:

आप जिन के करीब होते हैं वो बड़े खुशनसीब होते हैं

मेरी बीवी हनान को हमेशा इस बात का अफसोस रहा कि वो बच्चन साहब को अपने घर में अपने हाथ से पकाया खाना नहीं खिला सकीं। खैर फिर एक मौका 2019 में आया। दिसंबर का महीना था। हम लोग पोलैंड में चेहरे फिल्म की शूटिंग कर रहे थे। पहाड़ पर एक स्कीइंग रिसॉर्ट था और वहां पर हम बच्चन साहब के साथ शूटिंग कर रहे थे। वहां बर्फ के बीचो-बीच बड़ा खूबसूरत-सा शीशे का बना हुआ किचन था, जिसमें खाना बनता था। तो हनान बोलीं कि आज मैं बच्चन साहब के लिए डिनर बनाती हूं और उन्होंने किचन में जाकर बनाना शुरू कर दिया। सब लोग किचन के पास से शूटिंग देखते थे। चूंकि किचन शीशे का था तो लोगों ने देखा कि हनान खाना बना रही हैं। बच्चन साहब ने भी देखा। मैंने उनसे कहा कि देखिए कि आज हनान आपके लिए खाना बना रही हैं। खाने में थी भिंडी की सब्जी, आलू, दाल, पनीर, और भी बहुत कुछ। हमारे प्रोड्यूसर आनंद पंडित भी बहुत खुश थे कि चलो, आज भाभी जी के हाथ का घर जैसा बना खाना मिलेगा। बच्चन साहब ने अपने होटल को मना कर दिया कि आज मेरा खाना नहीं बनाना। पैकअप हुआ तो मेरी वाइफ ने खाना रेडी कर दिया।

चूंकि बच्चन साहब को अगले दिन जाना था। तो वहां किचन का सारा स्टाफ उनके साथ फोटो खिंचवाने में लग गया। मैंने स्टॉफ से कहा भी कि पहले बच्चन साहब का खाना तो पैक कर दो तो वो बोले कि रात को खाना जाता ही है सबका। बच्चन साहब 7 बजे खाना खाते हैं। तो हम उस समय तक खाना पैक करके उनके होटल में पहुंचा देंगे। आनंद पंडित के सह-निर्माता वैशल ने भी कहा कि रूमी भाई, आप बेफिक्र रहो, खाना समय पर पहुंच जाएगा। हम लोग फिर होटल के लिए निकल गए।

शाम को 7.30 बजे बच्चन साहब के बॉय प्रवीण का फोन आया। उसने बताया कि अभी तक खाना नहीं आया है। मैंने तुरंत वैशल को फोन किया तो वह बोला कि हम लोग यहीं हैं, अभी खाना बस निकल ही रहा है। करीब साढ़े आठ बजे फिर से प्रवीण का फोन आया और वो बोला कि सर का टाइम ओवर हो गया है, खाना कब आएगा? मैंने फिर वैशल को फोन किया तो उसने बताया कि रूमी भाई, स्कीइंग रिसॉर्ट का पूरा रास्ता बर्फ का है। वहां बर्फ में दो गाड़ियां स्किट करके आपस में टकरा गई हैं और उसकी वजह से रास्ता बंद हो गया है। ये रास्ता क्लियर होगा, गाड़ियां हटेंगी, तभी यहां से खाना निकल पाएगा। मैंने 9 बजे प्रवीण को यह समस्या बताई। बच्चन साहब तक भी यह खबर पहुंची। फिर प्रवीण ने खुद किचन में सूप बनाकर उनको पिलाया। तब तक वे इतने लंबे समय तक भूखे ही रहे।

मेरी बीवी और मुझे आज तक इस बात का दुख है कि जब बच्चन साहब घर आए, तब उन्हें अपने हाथ से पकाया हुआ खाना नहीं खिला पाए और जब पकाया तो टाइम पर होटल नहीं पहुंच पाया और इसलिए नहीं खा पाए। मगर बच्चन साहब इतने बड़े दिल के इंसान हैं कि जब दूसरे दिन वो शूटिंग पर आए तो उनके चेहरे पर एक शिकन तक नहीं थी। उन्होंने एक शब्द तक नहीं कहा कि तुम्हारे द्वारा खाना बनाने की वजह से रात को मैं भूखा रहा। आज उनके लिए उन्हीं की फिल्म ‘याराना’ का ये गीत सुनिए, अपना खयाल रखिए, खुश रहिए।

छूकर मेरे मन को, किया तूने क्या इशारा…



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