Fact check: बांग्लादेश में हाथी के साथ क्रूरता की घटना सांप्रदायिक दावे के साथ वायरल, पड़ताल में जानें सच्चाई
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Fact check: बांग्लादेश में हाथी के साथ क्रूरता की घटना सांप्रदायिक दावे के साथ वायरल, पड़ताल में जानें सच्चाई

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बांग्लादेश में एक हाथी को जंजीरों से बांधकर बुरी तरह से पीटे जाने का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है। यूजर्स इस वीडियो के साथ दावा कर रहे हैं कि हाथी एक हिंदू मंदिर से संबंधित था इसलिए मुस्लिम उसके साथ यह क्रूरता कर रहे हैं।

बूम ने जांच में पाया कि वीडियो के साथ किया जा रहा सांप्रदायिक दावा गलत है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, हाथी को प्रशिक्षित करने वाले तीन महावत दुकानों में पैसे वसूलते थे। इसी दौरान हाथी बेकाबू होकर तोड़फोड़ करने लगा, जिसे काबू में लाने के लिए महावत उसे पीट रहे थे।

क्या है दावा 

फेसबुक पर एक यूजर ने इस वीडियो को शेयर करते हुए लिखा, ‘बांग्लादेश में मुसलमानों की भीड़ एक हाथी को जंजीरों से बांधकर लाठियों से बुरी तरह से इसलिए पीट रही है क्योंकि यह हाथी एक हिंदू मंदिर का था। सोचिए इनके मन में कितना जहर और नफरत भरा हुआ है और पेटा और पूरी दुनिया खामोश है।’

(आर्काइव लिंक)

एक्स पर भी इसी दावे से यह वीडियो (आर्काइव लिंक) वायरल है।

फैक्ट चेक

बूम ने दावे की पड़ताल की तो पाया कि यह घटना बांग्लादेश के कुमिल्ला में अगस्त 2024 में तीन महावतों द्वारा एक हाथी को प्रताड़ित किए जाने की है लेकिन इस घटना में किसी भी तरह का सांप्रदायिक एंगल नहीं है।

हाथी के माध्यम से पैसे उगाही की घटना

वायरल वीडियो के कुछ कीफ्रेम को गूगल लेंस से सर्च करने पर हमें इस घटना की कई मीडिया रिपोर्ट मिलीं। इन रिपोर्ट में वायरल वीडियो के विजुअल्स भी है।

ढाका ट्रिब्यून की 28 अगस्त 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश के कुमिल्ला में कुछ लोगों द्वारा एक हाथी के बच्चे को जंजीरों से बांधकर पीटने का वीडियो फेसबुक पर वायरल हुआ था। वीडियो सामने आने के बाद लोगों ने सरकार से आरोपियों को सजा देने के साथ उस हाथी के बच्चे को बचाने की मांग की।

रिपोर्ट में बताया गया कि पीपल फॉर एनिमल वेलफेयर फाउंडेशन के संस्थापक रकीबुल हक अमिल ने पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की सलाहकार सईदा रिजवाना हसन से इस मामले में कार्रवाई करने की मांग की। इसके बाद कुमिल्ला वन विभाग के अधिकारियों ने इस हाथी को खोजना शुरू किया।

 

द डेली स्टार की रिपोर्ट में कुमिल्ला के फॉरेस्ट ऑफिसर जीएम मोहम्मद कबीर के हवाले से कहा गया, “दउदकंदी सहित विभिन्न उपजिलों में हमारी टीमें हाथी और उसके महावत की तलाश कर रही हैं।”

ढाका ट्रिब्यून की एक अन्य फॉलोअप रिपोर्ट में बताया गया कि ढाका सफारी पार्क के वन अधिकारियों द्वारा नारायणगंज के कंचन क्षेत्र में विभिन्न वन्यजीव अधिकार संगठनों के सहयोग से चलाए गए बचाव अभियान में उस हाथी को रेस्क्यू कर लिया गया। हाथी 31 अगस्त 2024 को नारायणगंज जिले के रूपगंज एरिया में मिला था. 17 वर्षीय हाथी ‘निहारकोली’ को सफलतापूर्वक बचाने के बाद गाजीपुर स्थित बंगबंधु शेख मुजीब सफारी पार्क में छोड़ दिया गया।

रिपोर्ट में यह भी बताया कि इस मामले में महावत मोनिरुल इस्लाम समेत चार लोगों को हिरासत में लिया गया है, जबकि तीन नाबालिगों को उनके परिवार को सौंप दिया गया है।

Rising BD की रिपोर्ट में जीएम मोहम्मद कबीर के हवाले से बताया गया, “तीन महावत दुकानों में पैसे वसूलते थे। 24 अगस्त 2024 को दउदकंदी में हाथी बेकाबू होकर तोड़फोड़ करने लगा, जिसे काबू में लाने के लिए महावत उसे पीटने लगे। इसी दौरान किसी ने इसका वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर शेयर कर दिया।”

हाथी के किसी मंदिर से संबंधित होने का दावा गलत

बूम ने पाया कि इन सभी रिपोर्ट में हाथी के किसी हिंदू मंदिर के होने का कोई जिक्र नहीं किया गया और ना ही किसी तरह की कोई सांप्रदायिक घटना होने की बात कही है।

बूम ने अधिक स्पष्टिकरण के लिए NTV न्यूज के कुमिल्ला संवाददाता महफूज नंतो से भी संपर्क किया। उन्होंने कहा कि हाथी को मंदिर से संबंधित होने के कारण पीटने का दावा भ्रामक है।

महफूज नंतो ने बूम को बताया, “यह घटना अगस्त 2024 में कुमिल्ला के दउदकंदी उप-जिले में हुई थी, जहां हाथी को उसके महावत और सहायकों ने पीटा था। बाद में पुलिस ने महावत को गिरफ्तार किया था, जिसने बताया कि सड़क पर चंदा वसूलने के दौरान हाथी बेकाबू हो गया था. इस बात का कोई सबूत नहीं मिला था कि वह हाथी किसी मंदिर से संबंधित था।”

(बूम बांग्लादेश के साथी तौसीफ अकबर की अतिरिक्त रिपोर्टिंग के साथ)

(This story was originally published by BOOM as part of the Shakti Collective. Except for the headline and opening introduction para this story has not been edited by Amar Ujala staff)



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