13 घंटे पहले
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- भारतीय विकेटकीपर पंत ने आईसीसी रैंकिंग में टॉप-10 में वापसी की है। टेस्ट क्रिकेट में दमदार वापसी की ताकत पीछे क्या है सोच, उन्हीं की जुबानी…
मेरी जिद देखकर ही शायद घर वाले हर दौर में मेरे साथ रहे। 14 साल का था, तो पापा ने 14 हजार का बैट लाकर दिया, जो एक मिडिल क्लास परिवार के लिए बेहद बड़ी बात थी। मैं दिल्ली खेलने आता, तो मेरी जिद होती थी कि मैं किसी के घर नहीं ठहरूंगा क्योंकि किसी का एहसान मुझे नहीं लेना। कभी गुरुद्वारे में रुकता था, तो कभी किसी गेम पार्लर में रात काटता था। एक्सीडेंट के बाद जब मुझे मेरे रोज के कामों के लिए मदद की जरूरत हुई तो मुझे जबरदस्त परेशानी होने लगी। क्योंकि बचपन से सब अपने दम पर करने की आदत थी। मैं ऐसे हालात में खुद की इज्जत करना छोड़ चुका था। लाचार वाली फीलिंग… मुझे इससे हमेशा नफरत रही है। मैंने सीखा कि जिन छोटी-छोटी चीजों के लिए हमें शुक्रगुजार होना चाहिए, हम नहीं होते हैं। हमें हर चीज के लिए ईश्वर का शुक्रगुजार होना चाहिए। यहां जिद भी काम आई… मेरी जिद थी कि जल्द से जल्द मुझे इन हालात से निकलना है। तो, तीन महीने के अंदर मैं अपने पैरों पर पहली बार बिना सहारे के खड़ा हुआ था। जिद्दी नहीं होंगे तो कभी अपने सपने नहीं पूरे कर पाएंगे। एक इंसान के रूप में, मैं अपनी जिंदगी में हमेशा चीजें जोड़ना चाहता हूं। उन चीजों को हटाने के बारे में सोच भी नहीं सकता, जो मुझे करना पसंद हैं। सपने कैसे हटाए जा सकते हैं। दुर्घटना एक झटका है, आप उसे कैसे पार कर सकते हैं? विश्वास के साथ। वह विश्वास बढ़ता रहता है और कभी-कभी यह जुनून की सीमा तक पहुंच सकता है। अगर आपको खुद पर यकीन है, तो जिद करिए। फिर आप कुछ भी हासिल कर सकते हैं।
अध्यात्म आपको ज्यादा अनुशासित बना देता है आप आध्यात्मिक हैं तो अधिक अनुशासित भी हो जाते हैं। यह एक व्यक्तिगत चुनाव है। इससे मुझे खुद पर फोकस करने में बहुत मदद मिली। जब मेरा एक्सीडेंट हुआ था, तो मैंने महसूस किया था कि एक शक्ति ने मुझे बचाया है। जिस तरह का एक्सीडेंट हुआ था, उसमें सिर्फ मेरा घुटना घायल हुआ, लेकिन मैं कल्पना भी नहीं कर सकता कि यह कितना बुरा हो सकता था। डॉक्टरों ने मुझसे यहां तक कहा कि अंग काटने की नौबत आ सकती थी। मैंने हमेशा ईश्वर के बारे में सोचा। इससे मुझे एक अलग नजरिया मिला है। मुझे पता है कि कोई है, जो मुझे देख रहा है।
ज्यादा सोचिए मत, जीवन के साथ बहते चलिए केवल एक चीज से जीवन को नहीं समझा जा सकता। जीवन तो अनुभवों का संग्रह है। केवल एक चीज आपके पूरे जीवन को परिभाषित नहीं कर सकती। जीवन एक यात्रा है और जो कुछ आपकी राह में आ रहा है आपको उसे अपनाना चाहिए, बिना भविष्य के बारे में ज्यादा योजना बनाए। जिंदगी को जिंदगी ही रहने दीजिए। ज्यादा लंबे प्लान मत बनाइए। प्लान कम होंगे, तो बुरा लगने की गुंजाइश कम रहेगी। जिंदगी ने जो आपके लिए सोचा है, उतना बड़ा आप कभी नहीं सोच पाएंगे। (विभिन्न इंटरव्यूज में भारतीय विकेटकीपर ऋषभ पंत)